चंदे से जनमत को किया जा रहा प्रभावित: बसपा सुप्रीमो
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- मायावती बोलीं- अब नहीं चलेगा वोट हमारा राज तुम्हारा वाला पैटर्न
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भाजपा समेत विपक्ष पर हमला करते हुए कहा है कि आज विरोधी पार्टियों द्वारा जनहित, देशहित की नीति व सिद्धांत के बजाए धनबल, लुभावने वादों व छलावे वाले दावों की राजनीति की जा रही है। इस फाउल प्ले का सामना करने के लिए ’डबल मेहनत’ से संगठन मजबूत करना है, ताकि ’वोट हमारा, राज तुम्हारा’ की शोषणकारी व्यवस्था से सर्वसमाज को मुक्ति मिल सके।
प्रदेश मुख्यालय में आयोजित ऑल इंडिया बैठक में मौजूद पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो ने कहा कि विरोधी पार्टियां हजारों करोड़ रुपये के चंदे के बल पर शाही चुनाव लडक़र जनमत प्रभावित करती हैं। वहीं बसपा केवल अपने लोगों के खून-पसीने की कमाई पर ही आश्रित है। उन्हीं के तन, मन, धन के बल पर चुनाव लड़ती है। लोगों को बताना जरूरी है कि चुनावी स्वार्थ से अलग हटकर उनका असली हितैषी कौन है? चार राज्यों के हालिया विधानसभा चुनाव में विरोधी पार्टियों ने चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ा दी। लोगों को सावधान करना जरूरी है कि लुभावने वादों, छद्म दावों व चतुर नारों से उनका जीवन सुधरने वाला नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि क्या चुनावी चर्चा व मीडिया की हेडलाइन में बिना रोक-टोक बने रहने का विरोधी पार्टियों का प्रयास देश में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उचित है? उसी का नतीजा है कि सरकार विरोधी लहर के बावजूद चुनाव परिणाम लोगों के अपेक्षा के मुताबिक नहीं होते हैं। आगे लोकसभा चुनाव में भी माहौल को जातिवादी और सांप्रदायिक बनाने का प्रयास किया जायेगा ताकि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन आदि से लोगों का ध्यान बांटा जा सके।
सस्ती लोकप्रियता वाले काम नहीं किए
मायावती ने कहा कि बसपा सरकार में बेरोजगारी भत्ता अथवा पांच किलो सरकारी अनाज आदि देने जैसे सस्ती लोकप्रियता वाले कार्य नहीं किये गये, बल्कि लोगों को इज्जत से जीने के लिए लाखों की संख्या में सरकारी व गैर सरकारी स्थायी रोजगार मुहैया कराने का रिकार्ड कायम किया गया। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर पलायन भी रोका गया, जिसमें यूपी की अब तक की सरकारें विफल रही हैं।
भतीजे को बनाया उत्तराधिकारी
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को विरासत सौंपने का निर्णय लेने के दौरान पार्टी पदाधिकारियों को सख्त संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि मैंने जब भी किसी को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी, वह खुद को मेरा उत्तराधिकारी समझने लगा। पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वह इसी तरह पेश आता था। इसी वजह से उपजे कंफ्यूजन को खत्म करने के लिए मैंने आकाश आनंद को उत्तराधिकारी बनाया है। भाजपा में गए अधिकतर नेता अपने साथ उन बसपा नेताओं को भी ले गए, जो कभी सपा को धूल चटाने का काम करते थे। इससे यूपी के साथ पड़ोसी राज्यों में अपनी अलग पहचान बनाने और विधानसभा चुनाव में कई सीटें जीतने वाली बसपा का जनाधार कम होता चला गया। यूपी में चार बार सरकार बनाने वाली बसपा को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट से ही संतोष करना पड़ा। तमाम नेताओं के दूसरे दलों में जाने से पार्टी के वोट बैंक पर भी असर पड़ा और कभी 28 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करने वाली बसपा यूपी में करीब 12 प्रतिशत पर ही सिमट गयी। उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खतरे में पड़ गया।