छोटे दलों को साथ लेकर पूर्वांचल में जातीय समीकरण साधने में जुटी भाजपा

यूपी में भाजपा ने सात गैर यादव ओबीसी जातियों की पार्टियों से किया गठबंधन

अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावी पकड़ रखती है पार्टियां ओपी राजभर के सपा में जाने से बदला गणित

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। विधान सभा चुनाव की जंग जीतने के लिए भाजपा कोई कोर कसर छोडऩे को तैयार नहीं है। विपक्षी दलों को चित करने के लिए भाजपा ने अब छोटी-छोटी गैर यादव ओबीसी जातियों की पार्टियों से गठबंधन कर लिया है। भाजपा ने इसे हिस्सेदारी मोर्चा का नाम दिया है। ये पार्टियां अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावी पकड़ रखती हैं। इसके जरिए भाजपा पूर्वांचल में जातीय समीकरण साधेगी।
भाजपा पूर्वी उत्तर प्रदेश की इन सात पार्टियों-भारतीय मानव समाज पार्टी, शोषित समाज पार्टी, भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी, भारतीय समता समाज पार्टी, मानव हित पार्टी, पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी और मुसहर आंदोलन मंच उर्फ गरीब पार्टी को एक मंच पर लाने में कामयाब हो गई है। ये पार्टियां ओबीसी की हैं। इनका प्रभाव सीमित ही सही लेकिन अपने-अपने इलाके में प्रभावी हैं।

भाजपा की कोशिश इन छोटी-छोटी पार्टियों को एक साथ लाकर यूपी में गैर यादव ओबीसी वोट बैंक में प्रभावी पकड़ बनाना है। भाजपा ने यह दांव ओपी राजभर के सपा में जाने के बाद चला है। 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भाजपा ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पूर्वांचल में कुर्मी मतों में सेंध लगाने में कामयाब हुई थी लेकिन इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नेता ओपी राजभर ने सपा का साथ देने की घोषणा की है। इन कारण भाजपा ने छोटी-छोटी सात पार्टियों को अपने साथ लाने की कवायद की और इन पार्टियों के साथ गठबंधन का ऐलान किया। इसे हिस्सेदारी मोर्चा नाम दिया गया है।

हिस्सेदारी मोर्चा

हिस्सेदारी मोर्चा का संयोजक केवट रामधनी बिंद को बनाया गया है। बिंद का कहना है कि हमारे पास छोटी-छोटी जाति समूहों का समर्थन है। भाजपा गैर यादव ओबीसी और दलित पर फोकस कर रही है। इसी कारण हमने उनके साथ गठबंधन करने का फैसला किया है। भाजपा ने मोर्चे को एक बड़ा मंच दिया है। हम आगामी विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहते हैं। भारतीय मानव समाज पार्टी को 2017 में बनाया गया। इसके प्रमुख केवट रामधनी बिंद हैं। यह ओबीसी में आने वाली निषाद जाति की उप जाति है। पूर्वी यूपी के करीब 10 जिलों प्रयागराज, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र और गाजीपुर में बिंद जाति की करीब 6 फीसदी आबादी है।

ओबीसी को ऐसे किया लामबंद

शोषित समाज पार्टी की स्थापना 2020 में हुई और इसके प्रमुख हैं बाबू लाल राजभर। ये ओपी राजभर के करीबी थे। उनकी पार्टी राजभर समुदाय सहित अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है। बाबूलाल का दावा है कि पूर्वी यूपी में राजभर समुदाय की आबादी करीब 14 से 22 फीसदी के बीच है। वह कहते हैं कि ओपी राजभर केवल अपने परिवार के बारे में सोचते हैं इसलिए इस बार समुदाय उनकी पार्टी को वोट करेगा। भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी की स्थापना 2020 में की गई और इसके प्रमुख भीम राजभर हैं। इस पार्टी का बलिया जिले के राजभर समुदाय पर प्रभाव है। भीम राजभर भी पूर्व में ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के हिस्सा रह चुके हैं। भारतीय समता समाज पार्टी के प्रमुख महेंद्र प्रजापति हैं और इस पार्टी की स्थापना 2008 में हुई थी।

मानव हित पार्टी की स्थापना 2015 में हुई

इस पार्टी की नजर ओबीसी में आने वाले प्रजापति समुदाय पर है। महेंद्र प्रजापति का दावा है कि उनके समुदाय की आबादी राज्य की कुल जनसंख्या में करीब 5 फीसदी है। मानव हित पार्टी की स्थापना 2015 में हुई थी और इसके प्रमुख कृष्ण गोपाल सिंह हैं। इस पार्टी की नजर निषाद समुदाय की उपजाति कश्यप पर है। इस समुदाय के लोगों ने 1998 से 2014 तक बसपा का साथ दिया लेकिन अब ये भी भाजपा के गैर यादव ओबीसी फॉर्मूले में फिट बैठ रही है। पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी की स्थापना 2018 में हुई और इसके प्रमुख चंदन सिंह चौहान हैं। यह मुख्य रूप से नोनिया जाति की पार्टी है।

पूर्वी यूपी में यह एक प्रमुख ओबीसी जाति है। ऐसा दावा किया जाता है कि पूर्वी यूपी में इस जाति की हिस्सेदारी करीब तीन फीसदी है। वाराणसी, चंदौसी और मिर्जापुर में इनका प्रभाव बताया जाता है। मुसहर आंदोलन मंच की स्थापना 2020 में हुई और इसके प्रमुख चंद्रमा वनवासी हैं। इस समूह ने खुद को गरीब पार्टी के नाम से पंजीकरण कराने में लगा है। यह पूर्वी यूपी के गाजीपुर में सक्रिय है। इनका फोकस दलित समुदाय में आने वाली मुसहर जाति के लोगों पर है।

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