छगन भुजबल की मंत्रिमंडल में वापसी: ओबीसी समीकरण साधने की रणनीति

महाराष्ट्र कैबिनेट में वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल की वापसी हो गई है। राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने मंगलवार को राजभवन में उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र कैबिनेट में वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल की वापसी हो गई है। राज्यपाल सी.पी.राधाकृष्णन ने मंगलवार को राजभवन में उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई। भुजबल की यह वापसी धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद एनसीपी कोटे से खाली हुए मंत्री पद को भरने की कवायद के रूप में देखी जा रही है। साथ ही, इसे ओबीसी वोट बैंक को साधने की रणनीति के तौर पर भी माना जा रहा है।

भुजबल, जो कि नासिक जिले के येवला से विधायक हैं, महाराष्ट्र में ओबीसी वर्ग के एक बड़े चेहरे माने जाते हैं। जब पांच महीने पहले देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महायुति सरकार बनी थी, तब भुजबल को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई थी, इस वजह से वे पार्टी और सरकार से नाराज बताए जा रहे थे। अब उनकी वापसी को न केवल उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि ओबीसी समुदाय के बीच भाजपा- शिवसेना-एनसीपी गठबंधन की पकड़ मजबूत करने की रणनीति भी मानी जा रही है।

महाराष्ट्र में जब देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में महायुति सरकार का गठन हुआ, तब कुल 33 कैबिनेट मंत्री और 6 राज्य मंत्री शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों समेत यह संख्या 42 तक पहुंची थी। चूंकि महाराष्ट्र कैबिनेट में अधिकतम 43 मंत्री शपथ ले सकते हैं, इसलिए एक पद खाली छोड़ा गया था। इस गठबंधन सरकार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से 19, शिवसेना से 11 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से 9 मंत्रियों को शामिल किया गया था। हाल ही में एनसीपी नेता धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद पार्टी कोटे से एक मंत्री पद रिक्त हो गया था। इस खाली स्थान को अब छगन भुजबल की नियुक्ति के ज़रिए भरा गया है। भुजबल की वापसी को न केवल उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास माना जा रहा है, बल्कि यह कदम ओबीसी वर्ग को साधने की रणनीति का हिस्सा भी है।

मुंडे की जगह भुजबल बनेंगे मंत्री
छगन भुजबल महाराष्ट्र कैबिनेट में एनसीपी के दिग्गज नेता धनंजय मुंडे की जगह लेंगे. धनंजय मुंडे ने मार्च में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, मुंडे के सहयोगी वाल्मिक कराड का नाम बीड सरपंच देशमुख हत्या मामले में सामने आने के बाद से इस्तीफा देने का दबाव था. इस तरह मुंडे की इस्तीफे से खाली हुए मंत्री पद पर छगन भुजबल की ताजपोशी हो गई है.

महाराष्ट्र की राजनीति में छगन भुजबल ओबीसी समुदाय के प्रमुख चेहरा माने जाते हैं. राज्य के उपमुख्यमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक रह चुके हैं. शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के साथ खड़े हैं. दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा की गई मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें जगह नहीं मिलने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई थी, लेकिन अब पांच महीने के बाद अब उनकी कैबिनेट में वापसी धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद हो रही है.

भुजबल की नाराजगी दूर करने का दांव
मंत्री नहीं बनाए जाने पर छगन भुजबल ने दावा किया था कि नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जरांगे का विरोध करने के कारण उन्हें कैबिनेट से बाहर रखा गया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है. मैं पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि मुझे मंत्री पद के लिए किसने अस्वीकार किया. मंत्री पद आते-जाते रहते हैं, लेकिन मुझे खत्म नहीं किया जा सकता. इसके लिए उन्होंने अजित पवार से अपनी नाराजगी जाहिर की थी.

महाराष्ट्र का जातीय समीकरण
महाराष्ट्र के जातीय समीकरण में सबसे बड़ी आबादी मराठा समुदाय की है, जिसके चलते ही सूबे की सत्ता पर मराठा समुदाय का लंबे समय तक कब्जा रहा है. सूबे में करीब 28 फीसदी मराठा आबादी है, तो दलित 12 फीसदी और मुस्लिम 12 फीसदी है. महाराष्ट्र में 8 फीसदी आदिवासी और ओबीसी की आबादी 38 फीसदी के बीच है और अलग-अलग जातियों में बंटी हुई है. ब्राह्मण और अन्य समुदाय की आबादी 8 फीसदी है. ओबीसी में मुस्लिम ओबीसी जातियां भी शामिल हैं.

ओबीसी में तमाम जातियां है, जिसमें तेली, माली, लोहार, कुर्मी, धनगर, घुमंतु, कुनबी और बंजारा जैसी 356 जातियां शामिल हैं. इसी तरह दलित जातियां महार और गैर-महार के बीच बंटी हुई है. महार की जातियां नवबौद्ध धर्म के तहत आती हैं, तो गैर-महार जातियां मंग, मातंग, चंभर नवबौद्ध अपना रखा है. प्रदेश की सियासत लंबे समय से मराठा बनाम गैर-मराठा के सियासी समीकरण की रही है.

महाराष्ट्र में गैर-मराठा जातियों में मुख्य रूप से ब्राह्मण, दलित, ओबीसी और मुसलमान जातियां आती हैं. ओबीसी के जरिए बीजेपी महाराष्ट्र में अपने सियासी जड़े जमाने में लगी है, लेकिन अजित पवार भी ओबीसी वोटों पर किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. ओबीसी जातियां कुनबी, माली, धनगर, बंजारा, लोहार, तेली, घुमंतू, मुन्नार कापू, तेलंगी, पेंटारेड्डी और विभिन्न गुर्जर जातियां है. इस तर ओबीसी में करीब 356 जातियां है. अजित पवार के पास ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर छगन भुजबल और धनंजय मुंडे थे. मुंडे की कैबिनेट से छुट्टी होने के बाद अब उनकी जगह भुजबल को जगह देकर सियासी बैलेंस बनाने की कवायद में अजित पवार हैं.

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