कर्नाटक में कांग्रेस को मिल सकती है बढ़त

बीजेपी सरकार की कमियों को करेंगे उजागर

  • तैैयारी में जुटे राज्य के कांग्रेसी नेता
  • भाजपा के सामने चेहरे का संकट
  • राज्य में 67 विधानसभा सीटों में लिंगायत समुदाय का प्रभाव

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बंगलुरू। संसद में भाजपा-कांग्रेस के बीच बहस की वजह ये सत्र चल नहीं पा रहा है। पर इन सबके बीच कांग्रेस ने कर्नाटक में आगामी विधान सभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी हे। कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति ने 17 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में बैठक की। उधर इसबार भाजपा के पास येदियुरप्पा जैैसे दिग्गज नेता का चेहरा नही है। वसवराज बोम्मई क ा जादू चलना मुश्किल है। ऐसे में कांग्रेस भाजपा की कमियों का फायदा उठाकर वहां की सत्ता पर काबिज हो सकती है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी 20 मार्च को चुनाव प्रचार के लिए बेलगावी जाएंगे। इससे पहले 9 मार्च को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने आगामी चुनावी मुकाबले की तैयारी के तहत कर्नाटक के विजयपुरा जिले में निर्वाचन क्षेत्रों के लिए टिकट वितरण पर विचार-विमर्श किया था। कर्नाटक में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। जबकि भाजपा पहले से ही कर्नाटक में प्रचार मोड में आ गई है। इस समय भाजपा कर्नाटक में सत्ता में है। गत दिनों कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने आगामी चुनावी मुकाबले की तैयारी के तहत कर्नाटक के विजयपुरा जिले में निर्वाचन क्षेत्रों के लिए टिकट वितरण पर विचार-विमर्श किया था।
बैठक में मौजूद लोगों में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, पार्टी की चुनाव टिकट जांच समिति के अध्यक्ष मोहन प्रकाश, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री और कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया शामिल थे। कुछ दिनों पहले कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने आगामी चुनावों में अपनी पार्टी की संभावनाओं के बारे में बात करते हुए दावा किया कि सत्तारूढ़ भाजपा 65 से अधिक सीटों को सुरक्षित नहीं कर पाएगी।
2018 विधान सभा कर्नाटक चुनाव में जाति, धर्म, क्षेत्रीयता और विकास के मुद्दों के बीच चुनावी राजनीति के जटिल कॉकटेल में भी उलझा। लेकिन अब बड़ा सवाल है कि इसबार ये समीकरण किसके पक्ष में जाते हैं। राज्य में 67 विधानसभा सीटों में लिंगायत समुदाय का प्रभाव है। गत चुनाव में लिंगायतों ने भाजपा को अपना समर्थन दिया। इस समुदाय ने कांग्रेस को नकारा था। कांग्रेस को पिछले चुनाव परिणामों की तुलना में भारी नुकसान हुआ है। वहीं जेडीएस को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का लिंगायत को अल्पसंख्यक का दर्जा देने का फैसला भी कर्नाटक चुनाव नतीजों को प्रभावित नहीं कर पाया था। कर्नाटक में 17 फीसदी आबादी वाला लिंगायत समुदाय राज्य का सबसे बड़ा वोट बैंक है। कर्नाटक में अधिकतर उसी पार्टी की सरकार बनती है, जिसके पक्ष में लिंगायत होते हैं। चाहे वह जनता दल के रामकृष्ण हेगड़े हों या कांग्रेस के वीरेंद्र पाटिल। लेकिन राजीव गांधी द्वारा पाटिल का अपमान कर मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद से लिंगायतों ने कांग्रेस को वोट नहीं दिए। हेगड़े के बाद येदियुरप्पा उनके पसंदीदा नेता रहे।

जातियों का जिसका समर्थन उसी का शासन

इसे अलावा कर्नाटक की आबादी में 8 फीसदी हिस्सा रखने वाला वोक्कालिगा समुदाय 48 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखता है। इस बार यह सिद्धारमैया को इन पर भरोसा है। कांग्रेस को 2018 में पिछली बार की तुलना में इस समुदाय के प्रभाव वाले आधी सीटों पर नुकसान हुआ है। जनता दल(एस) अपने प्रभावक्षेत्र में वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन हासिल करने में सफल रही। बीजेपी को भी वोक्कालिगा समुदाय का समर्थन मिला है। दलित प्रभाव वाले 38 सीटों पर बीजेपी को 2013 की तुलना में 2018 काफी बढ़त हासिल है। पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी को बहुत ज्यादा फायदा मिला है। हालांकि इन क्षेत्रों में बीजेपी और कांग्रेस को बराबर सीटें मिलती दिख रही हैं। कांग्रेस और जेडीएस को इन सीटों में नुकसान झेलना पड़ा है। भले ही देश में एससी/एसटी एक्ट के दौरान भाजपा विपक्षियों के निशाने पर रही और देशव्यापी आंदोलन हुआ। लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पिछड़ा वर्ग ने बीजेपी के साथ खड़ा दिखा है। पिछड़ा वर्ग के प्रभाव वाले 24 सीटों पर भाजपा को करीब दो तिहाई सीटें पर समर्थन मिला है। मुसलमानों को बीजेपी के विरोधी के तौर पर प्रचारित किया जाता है। लेकिन इन 17 सीटों पर प्रभाव रखने वाले इस समुदाय ने 2018 बीजेपी पर अपना विश्वास जताया है। इन क्षेत्रों में बीजेपी को कांग्रेस के बराबर सीटें मिलती दिख रही हैं, जो पिछले चुनाव की तुलना में बीजेपी को फायदा और कांग्रेस और जेडी(एस) को नुकसान है। 10 सीटों पर प्रभावी आदिवासी समुदाय इस चुनाव में कांग्रेस के समर्थन में खड़ा नजर आया। हालांकि यहां भी बीजेपी और जेडीएस को पिछले चुनाव के मुकाबले सीटों का फायदा हुआ है।

देवगौड़ा का प्रभाव क्षेत्र

2018 में एचडी देवगौड़ा के प्रभाव वाले क्षेत्र में 33 सीटों में जेडी(एस) अपनी सीटें बचाने में कामयाब हुई थी। इस क्षेत्र में बीजेपी के सभी उम्मीदवार जीत गए थे और कांग्रेस के सभी उम्मीदवार हार गए थे।

सिद्धारमैया का प्रभाव

सिद्धारमैया के प्रभाव क्षेत्र वाले 50 सीटों पर कांग्रेस पिछले चुनाव के मुकाबले भारी नुकसान झेलना पड़ा । वहीं बीजेपी को जबरदस्त फायदा हुआ था। जेडीएस को भी जहां पिछले चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी उसे भी कुछ सीटें मिली थी।

येदियुरप्पा का असर

हालांकि इसबार कर्नाटक के दिग्गज नेता येदियुरप्पा चुनाव नहीं लड़ेगे फिर भी वह प्रभावित तो करेंगे ही। उनके प्रभाव क्षेत्र वाले 49 सीटों में बीजेपी को 2018 में भारी सफलता और कांग्रेस को बुरी तरह शिकस्त मिली थी। जेडीएस को मामूली फायदा हुआ था।

भाजपा को 65 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी : शिवकुमार

शिवकुमार ने कहा कि हम चुनावों में अच्छी संख्या हासिल करने के लिए आश्वस्त हैं। हम जानते हैं कि भाजपा को 65 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी। मुझे अपने स्रोतों से जो जानकारी मिली है, उससे भाजपा की संख्या 40 सीटों तक भी कम हो सकती है। शिवकुमार ने दावा किया कि किसानों सहित उनके राज्य में सभी लोग कह रहे हैं कि भाजपा को इस बार 65 से अधिक सीटें नहीं मिलेंगी। उन्होंने कहा कि हमने लगभग 75 प्रतिशत सीट आवंटन को अंतिम रूप दे दिया है। सभी सीटों पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा, हम उम्मीदवारों के नाम आलाकमान को इसकी मंजूरी के लिए भेज देंगे।

सफल नही होगी कांग्रेस : बसवराज

उधर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ विधानसभा चुनाव जीतेगी और कांग्रेस के झूठे वादे करके सत्ता हासिल करने का प्रयास सफल नहीं होगा। चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं पर बोम्मई ने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी चुनाव जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन वे सफल नहीं होंगे क्योंकि सत्ता में रहते हुए उनका ट्रैक रिकॉर्ड खराब था। सीएम ने कहा कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल के दौरान लोगों के लिए कुछ नहीं किया और केवल समाज में विभाजन पैदा करने का काम किया। बसवराज बोम्मई ने आगे कहा कि कांग्रेस ने एससी और एसटी के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए वे सरकार में नहीं हैं। अब वे ऐसे वादे करके सत्ता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें पूरा करना असंभव है। वे कह रहे हैं कि वे प्रत्येक घर को 2,000 रुपये देंगे और उसके लिए , उन्हें 24,000 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है। वे इतनी बड़ी राशि कैसे जुटाएंगे? कांग्रेस चुनाव जीतने के लिए बेताब है, यही वजह है कि वे इस तरह के झूठे वादे कर रहे हैं, श्री बोम्मई ने इस महीने की शुरुआत में कहा था।

 

 

 

 

 

Related Articles

Back to top button