नहर-पानी के सहारे राजस्थान में कांग्रेस

सचिन पड़े शांत, वसुंधरा की सक्रियता से बीजेपी असहज

  • विस चुनाव में बजट का दांव चलेंगे गहलोत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। राजस्थान में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी को देखते हुए सभी दल अपनी-अपनी तैयारी में जुटें हैं। जहां राज्य की गहलोत सरकार अपनी सरकार को बरकरार रखना चाहती है वहीं भाजपा वापसी करने की फिराक में लगी है। हालांकि दोनों दलों में अंदरूनी विवाद गहरा है। कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच सब कुछ ठीक नहीं है जबकि भाजपा की नेता पूर्व सीएम वसुंधरा फिर सीएम बने के सपने बुन रही हैं।
राजस्थान में अगर पंरपरा देखे तो वहां एकबार कांग्रेस तो एकबार भाजपा की सरकार बनती है। हालांकि इसबार का वहां का राजनैतिक परिदृश्य समझ नहीं आ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है बीजेपी व कांग्रेस के आलाकामन ने अभी तक वसुंधरा व सचिन की भूमिका क्या होगी इसको साफ नही किया हैं। राजस्थान में चुनाव होने में कुछ महीनों का ही समय शेष रह गया है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव लडऩे के लिए अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। वहां पर कांग्रेस अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। सचिन पायलट ने भी अब मान लिया है कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का समय निकल चुका है। इसीलिए उनकी नेतृत्व परिवर्तन की मांग भी बंद हो गई है। अब सचिन पायलट कहने लगे हैं कि पार्टी के सभी लोगों की एकजुटता से ही अगला विधानसभा चुनाव जीता जा सकता है।
गहलोत ने अपने इस कार्यकाल के अंतिम बजट को पूरी तरह आमजन का विकासोन्मुखी बजट बनाया है। बजट में प्रदेश के आम आदमी का पूरा ख्याल रखा गया है। उनके हित की बहुत सारी योजनाएं शुरू करने की घोषणा की गई है, जिसका गहलोत पूरा राजनीतिक लाभ उठायेंगे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मालूम है कि सरकार चाहे कितने ही विकास के कार्य करवाये, जनता हर पांच साल के बाद सत्ता बदल देती है। राजस्थान के लोगों का मानना है कि सत्ता बदलने से प्रदेश में और अधिक तेजी से विकास कार्य होते हैं। अशोक गहलोत ने अपने पांच साल के कार्यकाल में सचिन पायलट को तो मात दे दी है। मगर अब उनके समक्ष विधानसभा चुनाव सबसे बड़ी चुनौती के रूप में खड़े हैं। जहां उन्हें सभी विपक्षी दलों को परास्त कर फिर से सरकार बनानी होगी। गहलोत को पता है कि कांग्रेस में चल रही आपसी गुटबाजी के चलते आम जनता में पार्टी के प्रति अच्छा संदेश नहीं जा रहा है। इसी कमी को पूरा करने के लिए अशोक गहलोत प्रदेश में विकास के मुद्दे पर चुनाव लडऩे जा रहे हैं। गहलोत के सोच की झलक इस बार राजस्थान के आम बजट में भी देखने को मिली है। बजट में प्रदेश के आम आदमी का पूरा ख्याल रखा गया है। उनके हित की बहुत सारी योजनाएं शुरू करने की घोषणा की गई है, जिसका गहलोत पूरा राजनीतिक लाभ उठायेंगे। गहलोत ने सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से प्रदेश के वृद्ध नागरिकों, विधवा महिलाओं, विकलांगों, अनाथ बच्चों को मिलने वाली मासिक पेंशन राशि में बढ़ोतरी करने की घोषणा कर उन्हें बड़ा आर्थिक संबल प्रदान किया है। जिसका लाभ उन्हें चुनाव में मिलना तय माना जा रहा है। मुख्यमंत्री बनते ही गहलोत ने उक्त सभी लोगों को मिलने वाली पेंशन की राशि में भी बढ़ोतरी की थी।

परियोजनाओं को लेकर केंद्र को भी घेरा

अपने विकास के एजेंडे के तहत ही मुख्यमंत्री गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के निर्माण को एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। इस नहर परियोजना के पूरा होने से पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लोगों को पीने का पानी तो मिलेगा ही साथ ही दो लाख 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध हो सकेगी। यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के लोगों के लिए जीवन-मरण का प्रश्न बनी हुई है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस परियोजना को केंद्रीय प्रोजेक्ट घोषित कर पूरा करवाने की बात कही थी। मगर केंद्र सरकार ने इस परियोजना को आज तक अपने हाथ में नहीं लिया है। इसी मुद्दे को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बड़े जोर शोर से उठा रहे हैं।

नहर से 13 जिलों के वोटों पर नजर

पूर्वी राजस्थान के झालावड़, बांरा, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर सहित इन 13 जिलों में राजस्थान की एक तिहाई से अधिक आबादी रहती है। इस नहर परियोजना के पूरा होने से इस क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति तो सुदृढ़ होगी ही साथ ही उन्हें आने वाले लंबे समय तक पीने का पानी भी उपलब्ध हो सकेगा। इन 13 जिलों में विधानसभा की 83 सीटें आती हैं। जिनमें से अभी कांग्रेस के पास 49 और भाजपा के पास 25 सीटें हैं। राजनीतिक रूप से भी इन 13 जिलों में अभी कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। मुख्यमंत्री गहलोत इस नहर परियोजना के मुद्दे पर इस क्षेत्र में अपनी पार्टी की पकड़ को और भी मजबूत करने में लगे हुए हैं। इसीलिए मुख्यमंत्री गहलोत ने इस परियोजना को गति देने के लिए हाल ही में 14 हजार 200 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है। गहलोत सरकार ने अपने पिछले वर्ष के बजट में भी इस परियोजना के लिए 9 हजार 600 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की थी। इस तरह प्रदेश सरकार ने इस परियोजना पर अब तक 23 हजार 800 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी कर चुकी है। इससे उक्त परियोजना में नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना, निर्माणाधीन नवनेरा बैराज एवं ईसरदा बांध, रामगढ़ एवं महलपुर बैराज का निर्माण, नवनेरा बैराज, मेज एनीकट तथा गलवा बांध में पंपिंग और विद्युत स्टेशन स्थापित करने तथा बाढ़ के पानी को संग्रहित करने सहित विभिन्न कार्य पूरे किए जा सकेंगे। इसके साथ ही बीसलपुर बांध की ऊंचाई आधा मीटर बढ़ाने तथा 202.42 किलोमीटर लंबे जल परिवहन तंत्र को विकसित करने के कार्य भी किए जा सकेंगे।

पुरानी पेंशन योजना होगी गेमचेंजर

सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा तो मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री हैं। उनकी घोषणा के बाद कई राज्य सरकारों ने इस योजना को लागू करना करने की घोषणा की है। अब हर राज्य के सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। पुरानी पेंशन योजना के मुद्दे पर गहलोत ने भाजपा को राजनीतिक रूप से संकट में डाल दिया है। हाल ही में भाजपा शासित कर्नाटक सरकार ने भी पुरानी पेंशन योजना के अध्ययन के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति का गठन किया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी हर चाल बहुत सावधानी से चल रहे हैं। उन्हें पता है कि एक तरफ उन्हें भाजपा सहित अन्य विरोधी दलों से मुकाबला करना होगा। वहीं पार्टी में व्याप्त अंदरूनी गुटबाजी को भी काबू में कर उन्हें चुनाव में कांग्रेस को बहुमत दिलाना होगा। तभी उनका चौथी बार मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा हो पाएगा।

महंगाई पर राहत बनेगी मददगार

इसके अलावा वर्ष 2040 तक जयपुर, अजमेर, टोंक जिले की अतिरिक्त पेयजल आवश्यकताओं तथा जयपुर जिले के शेष ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 16.82 टीएमसी पेयजल की अतिरिक्त मांग को ध्यान में रखते हुए जल प्रबंधन के कार्य किए जा सकेंगे। प्रदेश के गरीब लोगों को महंगाई से राहत दिलाने के लिए गहलोत ने इस बार के बजट में 19 हजार करोड़ रुपए के महंगाई राहत पैकेज की घोषणा की है। इसमें उज्ज्वला योजना में शामिल प्रदेश के 76 लाख परिवारों को 500 रुपये में घरेलू गैस सिलेंडर देने व प्रदेश मे खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़ेंगे एक करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुख्यमंत्री नि:शुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना शुरू करने की घोषणा की गयी है। जिसके तहत हर पैकेट में 1 किलो दाल, 1 किलो चीनी, 1 किलो नमक, 1 लीटर खाद्य तेल और मसाले उपलब्ध करवाए जाएंगें। जिस पर राज्य सरकार तीन हजार करोड़ खर्च करेगी। गहलोत की यह योजना 2023 में सत्ता वापसी के लिए मददगार साबित हो सकती है। इसके साथ ही प्रदेश के सभी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 100 यूनिट प्रतिमाह व कृषि उपभोक्ताओं को दो हजार यूनिट प्रतिमाह मुफ्त बिजली देने तथा मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना में 25 लाख रुपए तक का नि:शुल्क उपचार की सुविधा देना शामिल है। प्रदेश में सरकार द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में युवाओं से अब कोई परीक्षा शुल्क नहीं लिया जाएगा। यह बेरोजगार अभ्यर्थियों को बहुत बड़ी राहत दी गई है। बेरोजगार युवकों के लिए आगामी वर्ष में एक लाख नई भर्तियां करने की घोषणा कर मुख्यमंत्री ने युवाओं को भी लुभाने का काम किया है।

Related Articles

Back to top button