बीजेपी से लड़ने के लिए कांग्रेस का मेगा प्लान तैयार, राहुल का आरक्षण पर मजबूत रुख
बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। कांग्रेस ने सामाजिक न्याय, आरक्षण, और सद्भावना से लेकर राष्ट्रवाद तक का खाका खींचा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है। कांग्रेस ने सामाजिक न्याय, आरक्षण, और सद्भावना से लेकर राष्ट्रवाद तक का खाका खींचा है। पार्टी की योजना है कि इन मुद्दों को लेकर जनता के बीच मजबूत संदेश भेजा जाए, ताकि बीजेपी की नीतियों का मुकाबला किया जा सके। कांग्रेस का मानना है कि सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर वह अपने समर्थकों को एकजुट कर सकती है। साथ ही, सद्भावना और राष्ट्रवाद जैसे पहलुओं पर जोर देकर वह बीजेपी के राष्ट्रवादी एजेंडे का सही जवाब दे सकती है।
गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित विस्तारित कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में कांग्रेस ने देश के प्रजातंत्र और संविधान की रक्षा के लिए ‘न्याय पथ’ पर चलने का संकल्प लिया। कांग्रेस ने बीजेपी की निंदा करने की अपनी पुरानी रीति-रिवाजों से आगे बढ़ने के संकेत भी दिए हैं।कांग्रेस ने महात्मा गांधी की विचारधारा और सरदार पटेल की विरासत को साथ लेकर आगे बढ़ने का फैसला किया है। इस निर्णय पर बुधवार को होने वाली कांग्रेस की बैठक में प्रस्ताव पर चर्चा की जाएगी, जिसकी पूर्व तैयारी मंगलवार को CWC की बैठक में की गई।
कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की यात्रा में यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकिइस वर्ष महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की 100वीं वर्षगांठ और सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. कांग्रेस का गुजरात के साथ गहरा जुड़ाव रहा है क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के बीज यहीं पर पोषित हुए थे. साथ ही जयराम रमेश ने कहा कि सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे, उन्होंने गांधी जी नेतृत्व में देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ी. इन दोनों नेताओं का देश के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान रहा है.
कांग्रेस ने सरदार पटेल और नेहरू के रिश्तों को एक सूत्र में पिरोकर बीजेपी को झूठा करार देने की कवायद की है. जयराम रमेश ने कहा कि जो लोग सरदार पटेल और नेहरू के रिश्तों के बारे में झूठ फैलाते हैं कि वो एक दूसरे के विरोधी थे जबकि सच्चाई यह है कि वो एक ही सिक्के के दो पहलू थे. कई घटनाएं और दस्तावेज उनके सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं. प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस के लिए राष्ट्रवाद का विचार लोगों को एक साथ बांधता है, जबकि बीजेपी-आरएसएस का ‘छद्म राष्ट्रवाद’ देश और लोगों को विभाजित करना चाहता है. बीजेपी-आरएसएस का राष्ट्रवाद मॉडल भारत की विविधता को मिटाने के उद्देश्य से है.
सामाजिक न्याय की दिशा में बढ़ाया कदम
सीडब्ल्यूसी की बैठक में राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय की दिशा में बढ़ने का संकेत दिया है. उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस ओबीसी वर्ग तक पहुंचने से पीछे नहीं हटेगी और मुसलमानों से जुड़े हुए मुद्दों पर भी खुलकर बोलने की वकालत की है. राहुल गांधी ने जोरदार ढंग से तर्क दिया कि पार्टी को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तक अपनी पहुंच बढ़ानी होगी और उन्हें उनके हितों की रक्षा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. उन्होंने कहा कि पार्टी को निजी क्षेत्र में वंचित वर्गों के लिए आरक्षण की मांग करनी चाहिए.
राहुल गांधी ने कहा कि पिछड़े, अति पिछड़े और सबसे पिछड़े समुदायों तक पहुंचकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में चुनावी वापसी भी कर
सकती है. राहुल ने कहा कि कांग्रेस को मुस्लिम, ईसाई या सिख जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से नहीं डरना चाहिए क्योंकि ये ‘आक्रमण के शिकार अल्पसंख्यक’ हैं. जयराम रमेश ने बताया कि भारत के संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय व राजनीतिक न्याय की बात कही गई है, जिसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत अन्य सदस्यों ने भी चर्चा की.
जयराम रमेश ने कहा कि बुधवार को कांग्रेस अधिवेशन में दो और प्रस्तावों पर चर्चा होगी, जिनमें एक राष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित होगा और दूसरा गुजरात की राजनीतिक स्थिति से जुड़ा होगा. सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय को लेकर कांग्रेस पार्टी का क्या एजेंडा है, इसे लेकर बुधवार के प्रस्ताव पेश करेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस आरक्षण की 50 फीसदी लिमिट को खत्म कर जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी के फॉर्मूले पर प्रस्ताव पास कर सकती है. ऐसे में कांग्रेस का फोकस दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वोटों पर है.
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के प्रस्ताव में कहा गया है कि इतिहास इस बात का गवाह है कि जब 1951 में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को रद्द कर दिया था, तो जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने ही संविधान में पहला संशोधन किया था और मौलिक अधिकारों के अध्याय में अनुच्छेद 15(4) जोड़ा था. इसके बाद से आरक्षण आधारित सामाजिक न्याय का मार्ग हमेशा के लिए सुरक्षित हो गया. प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ही थी, जिसने 1993 में मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू किया और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया.
राष्ट्रीय जाति जनगणना की मांग को दोहराते पार्टी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2006 में मौलिक अधिकारों के अध्याय में अनुच्छेद 15(5) जोड़कर और ओबीसी को शैक्षणिक संस्थानों में 27 फीसदी आरक्षण देकर एक बार फिर इतिहास लिखा. इस तरह से कांग्रेस ये बताने में जुटी है कि कांग्रेस हमेशा से ओबीसी आरक्षण की पैरेकार रही है और उसे कानूनी ही नहीं बल्कि संवैधानिक दर्जा देने की कवायद की है. इस तरह कांग्रेस अपने ऊपर लगे आरक्षण विरोधी तमगे को तोड़ना का दांव भी माना जा रहा है.