केडीए उपाध्यक्ष अरविंद सिंह पर भ्रष्टाचार के अनगिनत आरोप, फिर भी जांच नहीं!

चेतन गुप्ता
लखनऊ। भ्रष्टाचार पर जीरों टॉलरेंस की नीति अपनाने वाली योगी सरकार आखिरकार एक आरोपी आईएएस अफसर को क्यों बचा रहीं है। जिस पर खुद भाजपा के ही एक नेता ने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से लेकर शासन-प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई। मामले की जांच करना तो दूर उलटा उस नेता को ही उस विभाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। योगीराज में एक दबंग आईएएस अफसर का पॉवर देखिए उसके कार्यकाल में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले नेताजी को अपने पद से हाथ धोना पड़ गया। यहां बात हो रही है कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) के उपाध्यक्ष अरविंद सिंह की। आईएएस अरविंद सिंह का विवादों से पुराना नाता रहा है। ये जहां भी रहते वहां चर्चाओं में जरूर रहते हैं। खुद को सीएम का करीबी बताकर रौब गांठते हैं। अगस्त 2021 में केडीए के उपाध्यक्ष बने अरविंद सिंह के राज में हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत बोर्ड सदस्य राम लखन रावत को इस कदर भारी पड़ गई कि उन्हें अपना पद गंवाना पड़ गया। भाजपा अनसूचित मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रामलखन रावत केडीए बोर्ड के सदस्य भी थे। पिछले दिनों रावत ने 230 अवैध निर्माणों की मयफोटो सूची सौंपते हुए केडीए पर भ्रष्टïाचार का आरोप लगाया और कार्रवाई की मांग की, जिससे वीसी से उनकी अनबन हो गई। बोर्ड सदस्य होने के नाते रामलखन समय समय पर भ्रष्टाचार को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते रहे। रावत जब से बोर्ड सदस्य बने तब से वो अरविंद सिंह की आंखों की किरकिरी बने रहे।

बताया जाता है कि शासन-सत्ता स्तर पर तगड़ी पैैठ के चलते वीसी ने रावत को ही गलत साबित कर अपने अपमान का बदला ले लिया। रावत की केडीए बोर्ड से बर्खास्तगी की खबर मिलते ही अरविंद सिंह के विरोधी गुट में मायूसी छा गई क्योंकि केडीए में अफसरों का एक धड़ा उनको नापसंद करता है। कानपुर मंडलायुक्त राजशेखर बतौर केडीए अध्यक्ष वीसी के फैसलों में बहुत ज्यादा हस्ताक्षेप नहीं करते। वीसी के कामकाज के तरीकों से उनके वरिष्ठ अफसर भी खुश नहीं माने जाते है। लेकिन पॉलिटिकल कनेक्शन के बूते वीसी साहब कुर्सी पर अब तक जमे है। सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने तो केडीए के भ्रष्टाचार को लेकर विधानसभा तक में सवाल उठाया और पूछा कि शहर में कितने अवैध निर्माण चिन्हित किए गए है और उन पर क्या कार्रवाई हुई है। विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर उन्होंने केडीए अफसरों की आमजनता और पत्रकारों से अभद्रता की शिकायत तक की। भ्रष्टïाचार की शिकायत पर वीसी मीडिया पर भी बिफरे रहते हैं। यहां तक कि कमिश्नर के निरीक्षण के दौरान मीडियाकर्मियों को दलाल कह संबोधित कहने का वीडियो वायरल भी हुआ। शिकायत करने पर कमिश्नर ने कहा कि औचक निरीक्षण के दौरान वीडियोग्राफी गलत है। इससे पत्रकार संगठनों में रोष है।

कहीं कागजी कार्रवाई तो कहीं बुलडोजर!
केडीए वीसी ने जब से कार्यभार संभाला है, शहर में हड़कंप मचा हुआ है। अवैध निर्माणों की तो जैसे आफत आ गई हो लेकिन इसमें भी खेल खुलकर कुछ ही समय में सामने आ गया। शहरी क्षेत्र में होने वाले अवैध निर्माणों को अवैध वसूली के बदले अभयदान और शहर के बाहरी क्षेत्रों में होने वाली प्लाटिंग को निशाना बनाया गया। सत्ता या फिर पैसों के रसूख वाले अवैध निर्माणों पर कागजी कार्रवाई तो की गई लेकिन वास्तविकता में उनको खुली छूट दी गई है, यहां तक कि ध्वस्तीकरण के आदेश तक फाइलों में दफन हो गए। इसका उदाहरण कैबिनेट मंत्री राकेश सचान के किदवई नगर स्थित आवास वाले रोड पर सुधा श्री अवैध इमारत व श्री लगन साड़ीज वाली अवैध बिल्डिंग है।

चीफ इंजीनियर-बोर्ड मेम्बर निपटे, अब ÓसचिवÓ की बारी!
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खुद को करीबी बताने वाले अरविंद सिंह की शासन-सत्ता में हनक का अंदाजा यहीं से लगा सकते है कि पूर्व में चीफ इंजीनियर चक्रेश जैन ने वीसी की सनकमिजाजी और गलत कार्यों का खुलकर विरोध किया था। पीएम आवास योजना के टेंडर में जैन रोड़ा बन गए तो वीसी ने शासन में उनकी शिकायत कर उनको हटवा दिया। टेंडर पुलिंग का काम तत्कालीन अधिशाषी अभियंता आशु मिततल द्वारा किया गया था। इसी तरह 17 अगस्त को आवास एवं शहरी नियोजन अनुभाग-10 उत्तर प्रदेश शासन की अधिसूचना के द्वारा केडीए बोर्ड के गैर सरकारी सदस्य के रूप में राम लखन रावत की सदस्यता को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया था। रामलखन को केडीए कार्मिक अनुभाग की ओर से 18 अगस्त को सदस्यता समाप्ति का पत्र जारी हुआ। सचिव शत्रोहन वैश्य के हस्ताक्षर से जारी इस पत्र के वायरल होते ही केडीए में हड़कंप मच गया। वीसी ने रामलखन को उनके पद से हटवाकर एक बार फिर अपना पॉवर दिखाया। सचिव शत्रोहन वैश्य से भी उनकी अनबन की खबरें केडीए के गलियारों से बाहर आ रही है। सूत्रों की माने तो पिछले दिनों वीसी ने एक जेई को अपने केबिन में बुलाकर एक कथित अवैध निर्माण के लिए सचिव पर आरोप लगाते हुए रिपोर्ट में जिक्र करने का दबाव डाला लेकिन जेई ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। उसने दो टूक कह दिया कि साहब हटाना हो तो हटा दीजिए लेकिन ऐसा नहीं कर पाउंगा। वीसी साहब मन मसोसकर रह गए। सूत्रों की माने तो सचिव की कार्यप्रणाली से पूरा केडीए स्टॉफ खुश रहता है। वीसी ने तो उनको भी साइड लाइन कर अपने हिसाब से सभी अफसरों को कार्यभार सौंप रखा है।

प्ंागेबाजी के लिए जाने जाते है वीसी साहब
अरविंद सिंह के किस्से कहांनियां यही तक नहीं खत्म होते, वो आदतन मजबूर है पंगेबाजी के लिए। चाहे वो सत्ता पक्ष का जनप्रतिनिधि हो या फिर विपक्ष का। अपने से छोटे अफसरों को तो वो दबाकर रखते है लेकिन अपने से बड़े अफसरों तक अपने उपर हावी नहीं होने देते। क्या मजाल साहब की मर्जी के बिना शहर में कोई अवैध निर्माण हो जाए। बिठूर में प्राधिकरण के सबसे बड़े साहब की सिफारिश के बाजवूद वीसी साहब के निर्देश पर उनके कारखास ने उद्योगपति के निर्माण को सीलकर उनको भी अंदरखाने से चुनौती दे दी। लेकिन चाहकर भी बड़े साहब कुछ नहीं कर पाए। कानपुर के पूर्व में रहे मंत्री और कई विधायकों तक के सिफारिशी निर्माणों पर वीसी ने कैंची चला दी जबकि सैकड़ों ऐसे अवैध निर्माण है जिन पर तत्परता से कार्रवाई नहीं हुई। इसी साल फरवरी में लखनऊ कानपुर हाइवे पर एक अंजान शख्स के साथ फोटो का प्रकरण केडीए में चर्चा का विषय बना रहा। कहा जाता है कि डीलिंग के लिए साहब वहां मिलने गए थे, जहां से बड़ा पैकेट मिला। उन्हीं के स्टॉफ के लोगों में से किसी ने फोटो खींचकर चुगली कर दी, तब से साहब अपने स्टॉफ पर भी भरोसा नहीं करते।

आईएएस अरविंद सिंह पर आरोपों की लंबी है फेहरिस्त
21 जून को भाजपा नेता व तत्कालीन केडीए बोर्ड मेंबर रामलखन रावत ने उपाध्यक्ष अरविंद सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शिकायती पत्र लिखा। आरोपों की जांच मंडलायुक्त, एसआईटी अथवा किसी अन्य अधिकारी या जांच एजेंसी से निष्पक्ष कराने की मांग की गई। मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय, अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन, प्रमुख सचिव सतर्कता, आयुक्त कानपुर मंडल, जिलाधिकारी कानपुर नगर, सचिव कानपुर विकास प्राधिकरण, वित्त नियंत्रक कानपुर विकास प्राधिकरण को इसकी प्रति भी भेजी गई थी। लेकिन आज तक इतने गंभीर आरोप होने के बावजूद भी शासन स्तर पर कोई जांच नहीं बैठी।

  • केडीए के जवाहरपुरम में पीएम आवास योजना के अंतर्गत लगभग 400 करोड़ के विकास कार्यों के टेंडर करोड़ों रुपए की रिश्वत लेकर खुलेआम नियमों के विरुद्ध जाकर अपने पसंद के लोगों को दिए गए। पूर्व चीफ इंजीनियर चक्रेश जैन भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हुए तो उनका ट्रांसफर करा दिया और अपनी पसंद के इंजीनियर को निविदा कमेटी में शामिल कर केडीए वीसी ने टेंडर स्वीकृत करा दिए।
  • केडीए द्वारा नवाबगंज चिड़ियाघर के पास सिग्नेचर ग्रीन्स के नाम से बहुमंजिला आवासीय योजना के अंतर्गत 12 सौ से अधिक फ्लैटों का निर्माण किया गया है, जिसकी निर्माण लागत 400 करोड़ से अधिक है। उक्त फ्लैटों के निर्माण में अनेक कमियां हैं तथा कार्य पूर्ण नहीं है लेकिन उपाध्यक्ष ने ठेकेदार से करोड़ों की रिश्वत लेकर पूर्णता प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया, जिस कारण से अब ठेकेदार का वैधानिक दायित्व खत्म हो गया है। इससे नाराज आवंटियों ने 7 जून को केडीए में हंगामा किया। आरोप लगाया कि कि बिजली, ट्रांसफॉर्मर कनेक्शन देने का काम अधूरा है और अन्य कमियां भी हैं।
  • फ्लैशर- एस्कॉर्ट का दुरुपयोग व फर्जीवाड़े का भी उपाध्यक्ष पर आरोप है। भूतपूर्व सैनिक कल्याण निगम से करीब 50 पूर्व सैनिकों की सुरक्षा के लिहाज से केडीए में ड्यूटी लगाई गई है जिनमें ज्यादातर का उपयोग उपाध्यक्ष कमांडो के रूप में निजी तौर पर अपने सरकारी बंगले और कार्यालय पर करते हैं। साथ ही सरकारी वाहन पर अवैध ढंग से फ्लैशर व हूटर लगवाकर एस्कॉर्ट लेकर साथ चलते हैं जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग होता है जबकि सरकारी स्तर पर उनको एस्कॉर्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उपाध्यक्ष की सनकमिजाजी यहां तक है कि कई बार सरकारी ड्राइवर को छोड़कर गोपनीयता बनाए रखने का हवाला देकर पूर्व सैनिकों से अपना सरकारी वाहन तक चलवाते हैं।
  • केडीए उपाध्यक्ष अपने सरकारी आवास के बिजली बिल का भुगतान स्वयं नहीं करते। उनके घर पर कोई कैंप कार्यालय नहीं है। मात्र एक छोटे से कमरे में कुछ कुर्सियां व मेज है जिसका उपयोग उपाध्यक्ष द्वारा अपने विश्वसनीयअधिकारियों को निजी स्वार्थ से बुलाकर बैठकों के लिए किया जाता है। आम जनता का कोई भी कामकाज यहां से नहीं निपटाया जाता और न ही बंगले में चल रहे कथित कैंप कार्यालय में प्रवेश की किसी को अनुमति है
  • केडीए उपाध्यक्ष अरविंद सिंह पर गलत तरीके से अपने सरकारी आवास पर रिनोवेशन के नाम पर एक करोड़ रुपए खर्च करने और इस काम में मोटा कमीशन लेने का आरोप है। नियमों के विपरीत जाकर उपाध्यक्ष द्वारा केयरटेकर अनुभाग के 50 लाख तक के कार्यों के अधिकार को सचिव को प्रदान कर दिया गया। इनके निवास में एक कमरे में छत की मरम्मत कार्बन सरफेसिंग के नाम पर 28 लाख रूपए का भुगतान किया जा रहा है।
  • मोतीझील मेट्रो स्टेशन से सटा हुआ एक भूखंड संख्या 112/325 जिस पर अवैध व्यवसायिक निर्माण हो रहा है। उक्त अवैध निर्माण को केडीए ने सील कराया था। वर्तमान उपाध्यक्ष अरविंद सिंह के द्वारा भारी रकम लेकर उक्त निर्माण की सील शमन कर खुलवा दी गई जबकि उक्त अवैध निर्माण से बिल्कुल सटे मेट्रो के पिलर बने हुए हैं। एक फुट का भी सेटबैक नहीं है जिसका संज्ञान नहीं लिया गया। सेटबैक का आशय खुला क्षेत्रफल है। मुख्य मार्ग पर होने के बावजूद निर्माण में कोई भी पार्किंग नहीं है। केडीए कार्यालय से महज सौ कदम की दूरी पर यह अवैध निर्माण हुआ है, जहां से रोज केडीए उपाध्यक्ष गुजरते हैं और हकीकत जानते हुए भी ध्वस्तीकरण की बजाय इसकी सील खोलने के आदेश कर दिए।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा समस्त अधिकारीगणों को सुबह 10 से 12 बजे तक जनता से मुलाकात करने के लिए समय नियत किया गया है लेकिन उपाध्यक्ष बिना छुट्टी लिए अनेकों दिन तक कार्यालय नहीं आते हैं। विगत 10 जून से 20 जून तक उपाध्यक्ष बिना अवकाश लिए कार्यालय नहीं आए। उपाध्यक्ष अपने अब तक के कार्यकाल में गिने चुने दिन ही सुबह 10 से 12 के बीच चुनिंदा लोगों से मिले। प्राधिकरण में आने वाले पीड़ितों, आम जनता व पत्रकारों से अभद्र व्यवहार करते हैं। कार्यालय में उनके आने के समय की पुष्टि सीसीटीवी कैमरे से की जा सकती है। आम जनता शिकायतें लेकर आती है तो उनको कनिष्ठ अधिकारियों से मिलने पर मजबूर किया जाता है और इसी आड़ में अपना दामन बचाते हुए उपाध्यक्ष द्वारा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है जिससे कि उन पर सीधे तौर पर कोई आरोप ना लगे। कनिष्ठ अधिकारी हर काम के लिए पैसे की डिमांड करते हैं।
    केडीए उपाध्यक्ष पर आरोप है कि वो ओएसडी अवनीश कुमार सिंह के माध्यम से अवैध वसूली कराते हैं। दोनों लोग गोरखपुर जनपद के आसपास के मूल निवासी हैं और दूर के रिश्तेदार हैं। अवनीश कुमार सिंह को सबसे अधिक व महत्वपूर्ण प्रभार दे दिए गए हैं। जबकि उनसे वरिष्ठ अधिकारियों को महत्वहीन प्रभार दिए गए। प्राधिकरण के इतिहास में आज तक कभी भी एक अधिकारी को इतने अधिक महत्वपूर्ण प्रभार नहीं दिए गए। अवनीश कुमार सिंह 2020 में प्रोन्नत होकर एसडीएम बने जबकि विशेष कार्य अधिकारी भैरव पाल सिंह 2003 में एसडीएम प्रोन्नत हो गए थे।
  • उपाध्यक्ष द्वारा जोन 1 में सर्राफा व्यवसाई व बिल्डर महेश जैन का नियम विरुद्ध नामांतरण कराया गया है जिसकी भूमि लगभग 10 हज़ार वर्ग मीटर है। विशेष कार्य अधिकारी भैरव पाल सिंह जब विक्रय जोन-1 के प्रभारी थे उन्होंने नियम विरुद्ध कार्रवाई करने से इंकार कर दिया था तो इनका प्रभार हटाकर ओएसडी अवनीश कुमार सिंह को प्रभार दिया गया और उपाध्यक्ष के अन्य करीबी अधिकारी अपर सचिव व ओएसडी सत शुक्ला के द्वारा गैरकानूनी कार्य किया गया।
  • केडीए उपाध्यक्ष का एक पूरा सिंडीकेट है जिसमें ओएसडी अवनीश कुमार सिंह उनके कारखास माने जाते हैं। साथ में ओएसडी शत शुक्ला, चीफ इंजीनियर रोहित खन्ना समेत तमाम ऐसे अधिकारी हैं जो उनके इशारों पर काम करते हैं और हर माह करोड़ों रुपए की अवैध वसूली कर इन्हें भेंट चढ़ाते है।

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