मृतक आश्रितों को दूसरे विभागों में मिलेगी नौकरी

लखनऊ। मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को दूसरे विभागों में सेवायोजित करने का सिलसिला शुरू हो गया है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति की सोमवार को हुई बैठक में 37 मृतक आश्रितों को अन्य विभागों में नौकरी देने पर सहमति बनी है। इन मृतक आश्रितों को औद्योगिक विकास, कृषि, राजस्व, होम्योपैथी तथा वन एवं पर्यावरण विभागों में नौकरी दी जाएगी। सेवाकाल में राज्य कर्मचारियों के दिवंगत होने पर उनके आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर उसी विभाग में समूह घ या शैक्षिक अर्हता के आधार पर समूह ग की नौकरी देने की व्यवस्था है। मृतक आश्रितों को नौकरी देने में कई बार पदों की कमी रुकावट बनती है। उपयोगिता न होते हुए भी कई बार मृतक आश्रितों को नौकरी देने के लिए विभाग में अधिसंख्य पद सृजित करने पड़ते हैं। इसमें विभाग टालमटोल करते हैं।

कोरोना काल के दौरान कोविड संक्रमण से बड़ी संख्या में राज्य कर्मचारियों की मृत्यु हुई है। ऐसे मृत कर्मियों के आश्रितों को सरकार की ओर से अनुकंपा के आधार पर सेवायोजित करने के बाद भी बड़ी संख्या में मृतक आश्रित नौकरी पाने का इंतजार कर रहे हैं। कई विभागों में पद खाली नहीं है। कई अन्य विभाग ऐसे हैं जिनमें बड़ी संख्या में पद खाली हैं। इसलिए सरकार ने पिछले वर्ष यह निर्णय लिया था कि यदि मृत राज्य कर्मचारी के मूल विभाग में पद खाली न हों तो उसके आश्रित को किसी अन्य विभाग में नौकरी दे दी जाए। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित की गई थी। राज्य सरकार के इस निर्णय के क्रम में औद्योगिक विकास, राजस्व, वन एवं पर्यावरण, कृषि, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभागों ने अपने यहां अन्य विभागों के मृतक आश्रितों को सेवायोजित करने पर सहमति दी थी।

आजम खां की डिस्चार्ज अर्जी खारिज, धार्मिक उन्माद फैलाने के मामले में सुनवाई 12 को

लखनऊ। सरकारी लेटर पैड और मुहर का गलत इस्तेमाल कर धार्मिक उन्माद फैलाने और अपमानित करने के मामले में आरोपी पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की ओर से दाखिल डिस्चार्ज अर्जी खारिज हो गई। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम अंबरीश कुमार श्रीवास्तव ने आरोपी आजम खान पर आरोप तय करने के लिए 12 सितंबर की तारीख तय की है। इसके पहले आरोपी आजम खान की ओर से आरोपों से मुक्त करने की मांग वाली अर्जी का विरोध करते हुए एपीओ सोनू सिंह राठौर ने तर्क दिया कि मामले में वादी अल्लामा जमीर नकवी 2014 से रिपोर्ट लिखाने का प्रयास कर रहा था लेकिन आरोपी के रसूख के चलते रिपोर्ट दर्ज नहीं हो पाई। बहस के दौरान कहा गया है कि आरोपी ने समुदाय विशेष को उन्मा फैलाने के लिए प्रेरित किया जो कि आपराधिक कृत्य हैं। कोर्ट ने आजम खां की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि फाइल पर मौजूद साक्ष्यों को देखते हुए आरोपी के खिलाफ आरोप तय करने के पर्याप्त आधार हैं। पत्रावली के अनुसार आजम खान के खिलाफ इस मामले की रिपोर्ट हजरतगंज थाने में 1 फरवरी 2019 को वादी अल्लामा जमीर नकवी ने दर्ज कराई थी।

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