BPSC के मुद्दे पर डिप्टी CM सम्राट चौधरी ने दिया टेंशन वाला बयान, सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी 

4PM न्यूज नेटवर्क:  BPSC अभ्यर्थी अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच री-एग्जाम की मांग को लेकर धरना पर बैठे अभ्यर्थियों के लिए टेंशन वाली खबर सामने आई है। इस पूरे मुद्दे पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि बीपीएससी पूरी तरह से स्वतंत्र है। सरकार ने खुली छूट दे दी है, वो (आयोग) निर्णय ले, छात्रों के संबंध में कोई भी निर्णय लेने के लिए वो स्वतंत्र है, वो तय करेगा कि छात्रों का हित क्या है?

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी का बड़ा बयान

आपको बता दें कि सम्राट चौधरी मंगलवार (31 दिसंबर) को पूर्व विधायक श्रद्धेय नवीन किशोर सिन्हा की पुण्यतिथि पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करने पहुंचे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी नवीन किशोर सिन्हा को श्रद्धांजलि दी। बताया जा रहा है कि लौटते समय डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने मीडिया कर्मियों के सवालों के जवाब में यह बयान दिया है। आज (मंगलवार) BPSC अभ्यर्थियों के धरने का 14वां दिन है, इसे लेकर अभ्यर्थियों का कहना है कि नीतीश कुमार से मुलाकात कराई जाए। वह दिल्ली से पटना आ गए हैं, हम लोग मिलकर उनसे अपनी बात रखना चाहते हैं, वह पूरे मामले में हस्तक्षेप करें, परीक्षा रद्द करें, जब तक निर्णय नहीं होगा तब तक हम लोगों का आंदोलन जारी रहेगा। हम लोगों की आवाज दबाई नहीं जा सकती है।

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वहीं दूसरी तरफ जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे पर कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री सीन से गायब हैं। 4 लाख से ज्यादा छात्र पिछले 15 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में छात्रों की कुछ मांग है, कुछ शिकायतें हैं।प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि “शुरुआती दिनों में करीब आठ या नौ दिनों में कोई भी राजनीतिक दल उस आंदोलन से नहीं जुड़ा।

आज से करीब पांच दिन पहले छात्रों के प्रदर्शन के दौरान जब पुलिस ने लाठी चलाई, बर्बरता से मारा तब हम जैसे लोग खड़े हुए. इस मांग के साथ खड़े नहीं हुए हैं कि छात्रों की क्या मांग है और सरकार का क्या रवैया है। बिहार लोकतंत्र की जननी रही है। किसी भी सभ्य समाज में इस बात की इजाजत नहीं दी जा सकती है कि पूरी सरकार लाठीतंत्र में बदल जाए. बच्चों की बात सुने बगैर उनको सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर मारा जाए। प्रशांत किशोर ने कहा कि हम लोग इसलिए  अभ्यर्थियों के साथ खड़े हैं कि सरकार उनसे बात करे. उनके विषयों की जांच करे, जो अच्छा न लगे उसे खारिज कर दे, लेकिन किसी भी हालत में बच्चों पर एफआईआर न हो. बच्चों को लाठी से पीटा न जाए. उनको डराया न जाए. प्रताड़ित न किया जाए।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • अभ्यर्थियों का कहना है कि मुख्य सचिव से बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला है, मुख्य सचिव ने हमारी सारी बातें सुनीं।
  • ऐसे में उम्मीद है कि कोई निर्णय लिया जाएगा, हमने मुख्य सचिव से अपील की है कि पूरी प्रारंभिक परीक्षा रद्द की जाये।

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