पता नहीं किसको खुश करना चाहते हैं आजाद: उमर

गुलाम नबी के धर्मांतरण से जुड़े बयान पर दी प्रतिक्रिया

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जम्मू। डीपीएपी प्रमुख गुलाम नबी आजाद के मुसलमान ज्यादातर हिंदू धर्म से धर्मांतरित वाले बयान के बारे में पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा,मुझे नहीं पता कि उन्होंने यह किस संदर्भ में कहा है। ऐसा कहकर वह किसे खुश करना चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा एनसी संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला का नाम श्रीनगर स्थित कन्वेंशन सेंटर समेत सरकारी इमारतों से हटाने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि उनका नाम कोई नहीं मिटा सकता। लोगों के दिलों में उनका नाम है।
उन्होंने कहा, आप (सरकार) इमारतों से उनका नाम हटा सकते हैं, लेकिन (लोगों के) दिलों से नहीं। यदि आप एसकेआईसीसी या क्रिकेट स्टेडियम या अस्पतालों से शेर-ए-कश्मीर का नाम हटा देते हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आप सच्चाई को छिपा नहीं सकते। आप नाम हटा दें, लेकिन कल दूसरी सरकार आएगी, वह इसे वापस ले आएगी। लेकिन याद रखें, शेर-ए-कश्मीर का नाम नहीं मिटेगा। जो लोग उसका नाम हटा रहे हैं, उन्हें कोई याद नहीं रखेगा।जेकेएसएसआरबी द्वारा विज्ञापित विभिन्न पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए प्रशासन द्वारा एक अन्य एजेंसी टीसीएस को लाने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार भर्तियां पूरी करने में विफल रही है। टीसीएस लाने की कोई जरूरत नहीं थी। जेकेएसएसआरबी को मजबूत बनाया जाना चाहिए। इसमें सही लोगों को लाया जाना चाहिए। जब ऐसा किया जाएगा तो प्रक्रिया सही हो जाएगी।

और पीछे जाएं आजाद, उनके पूर्वज बंदर मिलेंगे : महबूबा मुफ्ती

पीपुल्स डेमोक्रे टिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आजाद पर तंज करते हुए कहा, मुझे नहीं पता कि वह कितना पीछे चले गए और उन्हें अपने पूर्वजों के बारे में क्या ज्ञान है, मैं उसे बहुत पीछे जाने की सलाह दूंगी और हो सकता है कि उसे वहां पूर्वजों में कुछ बंदर मिल जाएं। लगभग पांच दशकों के बाद कांग्रेस पार्टी से अलग होने के बाद 26 सितंबर, 2022 को गुलाम नबी आज़ाद ने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी, डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी बनाई। पूर्व कांग्रेस नेता अपने इस्तीफे के बाद से सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की लगातार आलोचना कर रहे हैं।

ये सिर्फ चुनावी हिंदू : रामेश्वर

वहीं, इस पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि हमने तो कल ही कहा था कि यह चुनावी हिंदू है। एक दिन में ही इनका असली चेहरा सामने आ गया। असल में यह हिंदू समर्थक नहीं बल्कि जिन्ना समर्थक है। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन अपने कार्यों के दम पर चल रहे हैं। उन्हें कांग्रेस या दिग्विजय सिंह जैसे लोगों की मदद की न कल जरूरत थी ना आज है और ना आगे होगी।

सिमी व बजरंग एक सिक्के के दो पहलू : दिग्विजय सिंह

भोपाल। मध्य प्रदेश में हिंदू और हिंदुत्व को लेकर सियासत जारी है। एक दिन पहले कांग्रेस की सरकार बनने पर बजरंग दल पर बैन नहीं लगाने के बाद गुरुवार को दिग्विजय सिंह अपने बयान से यूटर्न ले लिया। इस पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने भी पलटवार किया है। पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया कि मैंने मध्य प्रदेश का सीएम रहते भाजपा नेतृत्व वाली तत्कालीन एनडी सरकार से बजरंग दल और सिमी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। उन्होंने सिमी पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन बजरंग दल पर नहीं। हिंदू और मुस्लिम धार्मिक कट्टरपंथी दोनों एक ही सिक्के दो पहलू हैं। कांग्रेस ने हमेशा ऐसी ताकतों से लड़ाई लड़़ी है, जो धर्म को राजनीतिक हथियारके रूप में इस्तेमाल करते हैं, कि अवैध है और ऐसा करना जारी रहेगा।

 

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