4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। पीलीभीत टाइगर रिजर्व अब सिर्फ बाघों के साथ अब हाथियों के लिए भी पहचाना जाएगा. तराई के जंगलों में अब बाघों के साथ हाथियों का भी प्राकृतिक संरक्षण होगा. केंद्र सरकार के बाद गुरुवार को प्रदेश सरकार से भी तराई एलिफैंट रिजर्व की स्थापना को मंजूरी मिल गयी है . इससे यहां पर अब पर्यटकों की संख्या दोगुनी होने की भी उम्मीद लगाई जा रही है.पीटीआर की बराही रेंज की सीमा नेपाल की शुक्लाफांटा सेंचुरी से मिली हुई है। इसके चलते पीलीभीत का जंगल बाघ समेत अन्य वन्यजीवों के अलावा हाथियों के लिए भी शुरू से मुफीद रहा। बराही रेंज के लग्गा-भग्गा से लेकर दुधवा टाइगर रिजर्व तक का जंगल हाथियों का कॉरिडोर माना जाता है। कई वर्षों तक हाथी इन इलाकों में विचरण करते रहे, लेकिन समय से साथ आए बदलाव में कॉरिडोर खेती में तब्दील हो गया। जंगल क्षेत्र को उजाड़कर खेती करनी शुरू कर दी गई। इसके बाद भी नेेेपाल की ओर से हाथियों के आने का सिलसिला बंद नहीं हो सका। कॉरिडोर नष्ट होने से हाथी रास्ता भटकने लगे। पिछले कुछ सालों से स्थिति बिगड़ने लगी। इसके बाद विभागीय स्तर से रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई। 22 अक्तूबर, 2022 को केंद्र पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने अपने ट्विटर अकाउंट से तराई एलीफैंट रिजर्व को केंद्र की मंजूरी मिलने की जानकारी साझा की थी। इसके बाद प्रदेश सरकार की ओर से पत्राचार तेज कर दिए थे। बृहस्पतिवार को राज्यपाल की सहमति के बाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।