भारतीयों का नाम आने से पहले अचानक रोक दी गयी एप्सटीन फ़ाइल
दुनिया के चर्चित लोगों के लिए जी का जंजाल बनी एप्सटीन फाइल्स को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दुनिया के चर्चित लोगों के लिए जी का जंजाल बनी एप्सटीन फाइल्स को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है।
भारतीयों का नाम आने से पहले अचानक ये फाइल्स रोक दी गई है, जिसको लेकर हड़कंप मच गया है। एक ओर जहां डेमोक्रेट लगातार ट्रंप प्रशासन पर ये आरोप लगा रहे हैं कि ये सबकुछ ट्रंप के इशारे पर किया गया है तो वहीं दूसरी ओर एप्सटीन फाइल्स पहले से आए चार भारतीया नामों की डिटेल नहीं आ सकी है।
ऐसे में एक ओर जहां संसद में एप्सटीन को प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार को सरेआम स्पष्टीकरण मांग लिया है तो वहीं दूसरी ओर फाइल्स के रुक जाने एक बार फिर से संशय की स्थिति हो गई है। क्यों और कहां कितनी फाइल्स रोकी हैं, और इसके रोके जाने के पीछे कौन सी बड़ी वजह है,
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने जेफ्री एपस्टीन से जुड़ी जांच के तहत शुक्रवार भारतीय समय के मुताबिक रात ढाई बजे तीन लाख दस्तावेज जारी कर दिए हैं। इनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, पॉप सिंगर माइकल जैक्सन, हॉलीवुड एक्टर क्रिस टकर, ब्रिटिश प्रिंस एंड्रयू जैसे दिग्गजों की तस्वीरें सामने आई हैं। कुछ फोटोज में क्लिंटन लड़कियों के साथ पूल में नहाते और पार्टी करते नजर आ रहे हैं।
पहले ये सभी तस्वीरें 4 सेट में जारी की गईं। इसके कुछ घंटे बाद 1 और सेट जारी किया गया। इसमें कुल मिलाकर 3,500 से अधिक फाइलें हैं, जिनमें 2.5 जीबी से ज्यादा तस्वीरें और दस्तावेज शामिल हैं। हालांकि कई तस्वीरों में यह साफ नहीं है कि ये कहां ली गई हैं। ब्रिटिश प्रिंस एंड्रयू 7 महिलाओं के साथ नजर आ रहे हैं। वे 5 महिलाओं की उनकी गोद में लेटे हुए हैं। इसमें घिसलीन मैक्सवेल भी हैं। ब्रिटिश प्रिंस एंड्रयू 7 महिलाओं के साथ नजर आ रहे हैं। वे 5 महिलाओं की उनकी गोद में लेटे हुए हैं। इसमें घिसलीन मैक्सवेल भी हैं।
इन खुलासों का असर कितना बड़ा होगा, यह अभी साफ नहीं है। वजह यह है कि दस्तावेजों की संख्या बहुत ज्यादा है और एपस्टीन से जुड़ी काफी तस्वीरें पहले भी सामने आ चुकी है। जस्टिस डिपार्टमेंट ने यह भी कहा है कि कुछ दस्तावेज अभी रोके गए हैं, क्योंकि कुछ जांचें चल रही हैं या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कारण हैं। हजारों फाइलें अभी भी लंबित हैं। कानूनी समयसीमा 19 दिसंबर के बावजूद, न्याय विभाग ने सामग्री की भारी मात्रा का हवाला देते हुए सभी फाइलों को सार्वजनिक नहीं किया है। विभाग ने कहा है कि शेष फाइलें आने वाले हफ्तों में रोलिंग बेसिस (चरणबद्ध तरीके) पर जारी की जाएंगी। आपको जो भी दस्तावेज जारी किए जा रहे है उनको भारी संख्या में एडिट किया गया है।
कई दस्तावेज भारी रूप से काफी कुछ एडिट कर दिया है। आपको बता दें कि हालिया रिलीज में कम से कम 550 पृष्ठ पूरी तरह से काले कर दिए गए थे। डीओजे का दावा है कि पीड़ितों की पहचान और यौन शोषण से संबंधित संवेदनशील सामग्रियों को कानूनी तौर पर सार्वजनिक करने से रोका गया है। अमेरिकी संसद के कई सदस्य इस अधूरी रिलीज की आलोचना कर रहे हैं और बाकी फाइलों को जल्द से जल्द सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। दावा ये भी किया जा रहा है कि ट्रंप को बचाने की कोशिश हो रही है।
जेफ्री एपस्टीन एक फाइनेंसर और यौन उत्पीड़न का अपराधी था, उसकी जेल में मौत हो गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 18 नवंबर को कानून पर दस्तखत कर एपस्टीन से जुड़े सभी दस्तावेजों को 30 दिन के भीतर जारी करने का आदेश दिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 18 नवंबर को कानून पर दस्तखत कर एपस्टीन से जुड़े सभी दस्तावेजों को 30 दिन के भीतर जारी करने का आदेश दिया था।
19 दिसंबर तक 30 दिन की समय सीमा पूरी हो गई। जेफ्री एपस्टीन की एक पीड़िता लीसा फिलिप्स ने अमेरिकी न्याय विभाग यानि डीओजे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। लीसा फिलिप्स ने बताया कि जब उनकी उम्र 20 के आसपास थी, तब उनकी मुलाकात एपस्टीन से हुई थी। इसके बाद उन्हें एपस्टीन और उसके नेटवर्क से जुड़े लोगों की ओर से सालों तक शोषण झेलना पड़ा। सीएनएन की पत्रकार कैटलिन कॉलिन्स से बातचीत में लीसा फिलिप्स ने कहा कि एपस्टीन फाइल्स के कई हिस्सों को काला करके जारी किया गया है।
लीसा के मुताबिक कि न्याय विभाग पीड़ितों के बजाय खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है। लीसा ने कहा, “मुझे लगता है कि उनके पास इतनी जानकारी है, जिससे सारी कड़ी जोड़ी जा सकती हैं और पीड़ितों को न्याय मिल सकता है। लेकिन जैसा आप देख रहे हैं, मामला बार-बार टाला जा रहा है। दूसरी ओर एप्सटीन फाइल के जारी होने के हंगामा और कार्यवाहियों का दौर भी शुरु हो चुका है। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं।
रो खन्ना ने एपस्टीन फाइल्स से जुड़े उस कानून को तौर पर तैयार किया था, जिसके तहत सभी फाइलें सार्वजनिक की जानी थीं। खन्ना का आरोप है कि न्याय विभाग ने कानून के बावजूद एपस्टीन से जुड़ी सभी फाइलें जारी नहीं कीं। उन्होंने कहा कि जो दस्तावेज आज जारी किए गए हैं, उनसे वह निराश हैं। एपस्टीन की शुरुआती पीड़ितों में से एक जेस माइकल्स ने कहा, “न्याय विभाग फाइल जारी करने में भ्रष्टाचार और देरी से साबित कर रहे हैं कि वो कुछ छुपा रहे हैं। जेस माइकल्स ने बताया कि 1991 में जब वे 22 साल की थीं और डांसर बनने की ट्रेनिंग ले रही थीं, तब एपस्टीन ने उनका यौन शोषण किया था। वे उन पीड़ितों में शामिल थीं जिन्होंने द्विदलीय कानून के लिए लॉबी की थी।
इसके तहत न्याय विभाग को एपस्टीन और उसकी मुख्य साथी मैक्सवेल की सेक्स तस्करी जांच की लगभग सभी फाइलें जारी करनी थीं। लेकिन शुक्रवार को जारी 13,000 से ज्यादा फाइलें काफी हैवी है और आसानी से सर्च नहीं की जा सकतीं। एक अन्य पीड़िता मारीजके चार्टाैनी ने कहा, “सब कुछ एडिट कर दिया गया है, तो पारदर्शिता कहां है?” उन्होंने बताया कि 20 साल की उम्र में एपस्टीन ने उनका यौन शोषण किया था। रिलीज हुई फाइलों में एक दस्तावेज से पता चला कि एपस्टीन की एक और शुरुआती पीड़िता मारिया फार्मर ने 1996 में उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, लेकिन एफबीआई ने समय पर जांच नहीं की।
मारिया फार्मर ने कहा कि अपनी शिकायत सार्वजनिक होते देख उन्हें राहत मिली, लेकिन एफबीआई के चुप रहने से उन्हें दुख भी हुआ। उनकी बहन एनी फार्मर ने कहा कि रिलीज में पारदर्शिता की कमी है, जिसने उन्हें निराश किया है। एक अन्य पीड़ित मरीना लार्सेडा ने कहा, “फोटो ज्यादातर बेकार हैं। हमें धोखा दिया गया है। हम इंतजार कर रहे थे कि सरकार जिन्हें बचा रही है उनके नाम सामने आए। मरीना ने बताया कि वे 14 साल की उम्र में एपस्टीन का शिकार बनी थीं और 2019 की जांच में गवाह थीं। पीड़ितों का कहना है कि यह रिलीज उनके साथ अन्याय है और साजिशकर्ताओं को बचाने की कोशिश लगती है। आज जारी किए तस्वीरों में जेफ्री एपस्टीन के विला की भी फोटो शामिल हैं। इनमें कमरों में लगे कैमरे नजर आ रहे हैं। साथ ही मसाज रूम में भी छुपे हुए कैमरे लगाए गए थे। इनकी मदद से पीड़ितों को रिकॉर्ड किया जाता था।
कहा जा रहा है कि जारी दस्तावेजों में हजारों फोटो और जांच से जुड़े कागजात शामिल हैं, लेकिन इनसे एपस्टीन के अपराधों या दिग्गज लोगों से उसके रिश्तों को लेकर कोई बड़ी नई जानकारी सामने नहीं आई। हालांकि अभी कुछ दस्तावेज बाकी भी है ऐसे में फिलहाल भारत के लोगों को नाम पर अभी कोई बड़ी अपडेट नहीं है। भारत में चार लोगों के नाम एप्सटीन फाइल से पहले से जुडे थे, इसमें हमारे पीएम साहब, अनिल अंबानी और पीएम साहब के मंत्री हरदीप पुरी नाम शामिल था, इसके अलावा एक लेखक भी थे। एप्सटीन के दस्तावेजों के हवाले से दावा किया गया था कि एपस्टीन ने 2014 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्टीव बैनन के साथ प्रधानमंत्री मोदी और हरदीप सिंह पुरी (जो उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि थे) के बीच बैठकें आयोजित करने का प्रयास किया था।
ये बातचीत मुख्य रूप से भू-राजनीतिक मुद्दों और भारत-अमेरिका संबंधों पर केंद्रित थीं। सरकार ने इन दावों को निराधार बताया है, यह तर्क देते हुए कि एपस्टीन अपनी पहुंच को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा था और वास्तव में ऐसी कोई बैठक नहीं हुई। अंबानी का नाम भी एपस्टीन के साथ ईमेल संचार में सामने आया है। ये ईमेल भी किसी यौन अपराध की ओर इशारा नहीं करते, बल्कि एपस्टीन के वैश्विक अभिजात वर्ग के साथ संबंध बनाने के प्रयासों का हिस्सा थे। इसके अलावा भारतीय मूल के लेखक दीपक चोपड़ा ने स्वीकार किया है कि वह एपस्टीन से सामाजिक या पेशेवर समारोहों में मिले थे, जैसा कि कई अन्य सार्वजनिक हस्तियां मिली थीं, लेकिन उन्होंने किसी भी अनुचित संबंध से इनकार किया है।
एप्स्टीन फाइल खुलने से पहले दावा किया जा रहा था कि एक क्लाइंट लिस्ट है और इस क्लाइंट लिस्ट में कई बड़े खुलासे होंगे लेकिन आपको बता दें कि अब तक कोई क्लाइंट लिस्ट सामने नहीं आई है। अभी जो फाइलें रुकी हुई हैं उसमें ऐसा कुछ सामने आएगा या नहीं इसको लेकर भी संशय है।
हालांकि दावा है कि आगे अभी काफी कुछ आना बाकी है लेकिन क्या भारतीयों से जुड़ी कोई नई अपडेट सामने आएगी या नहीं इसको लेकर अभी कुछ कह पाना मुश्किल है ंलेकिन ये बात साफ हैं कि अभी काफी फाइलें रुकी हैं। एक ओर जहां एप्सटीन फाइल्स को लेकर सबकी नजरें भारत पर टिकी हैं तो वहीं दूसरी ओर संसद सत्र के आखिरी दिन प्रियंका गांधी ने इसक पूरे मामले को लेकर मोदी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
देखा आपने साफतौर पर प्रियंका गांधी ने एपस्टीन फाइल पर चर्चा कराने की बात संसद में कही है। ऐसे में विपक्ष के सवालों के साथ एप्सटीन फाइल सुर्खियों में है और दावा किया जा रहा है कि अभी तक जो फाइल्स सामने आई हैं उनमें से क्लाइंट लिस्ट नहीं है, जोकि कहीं न कहीं संशय पैदा कर रहा है। अमेरिकी न्याय विभाग का दावा है कि जल्द ही बची हुई फाइल्स रिलीज की जाएंगे। अब देखना यह है कि क्या बची हुई फाइल्स में कुछ तथ्य भारत से जुड़े सामने आते भी हैं या नहीं।



