नेहरू से माक्र्स तक… मनोज झा ने दिल्ली बिल पर केंद्र को घेरा, आम आदमी पार्टी को दिखाया आईना
नई दिल्ली। उनकी अपील है कि हम उनकी मदद करें, चाकू की पसलियों से गुजारिश तो देखिएज् दुष्यंत कुमार की इस शायरी का जिक्र राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज कुमार झा ने राज्यसभा में तब किया जब वो दिल्ली सर्विस बिल के खिलाफ बोल रहे थे। मनोज झा ने 9 मिनट के अपने संबोधन में सिर्फ दुष्यंत ही नहीं, बल्कि नेहरू, अंबेडकर से लेकर माक्र्स तक का जिक्र किया। उन्होंने बिल लाने के लिए सिर्फ सरकार को ही नहीं घेरा, बल्कि आज समर्थन मांग रही आम आदमी पार्टी को भी आईना दिखाया।
झा ने अपने संबोधन की शुरुआत एक कहानी से की। वो कहानी थी एक सेठ की, जो नींद से उठकर अचानक सांप-सांप चिल्लाने लगा। उसकी आवाज सुनकर लोग आए और पूछने लगे कि क्या हुआ। सेठ जवाब देता है कि एक सांप अभी-अभी पेट से निकलकर गया। लोगों ने पलकटर पूछा कि काटा तो नहीं। सेठ का जवाब था काटा तो नहीं, लेकिन रास्ता देख गया।
इस कहानी से मनोज झा का इशारा केंद्र की तरफ था कि इस बिल को वो दिल्ली का बिल मान ही नहीं रहे। वो इसे एक रास्ता मान रहे हैं, जिसपर भविष्य में कोई भी चल सकता है और इसका असर उनपर भी हो सकता है।आरजेडी सांसद ने कहा कि अगर सांप ने रास्ता देख लिया तो उनपर (आज की सरकार में काबिज पार्टी पर) भी गाज गिर सकती है। हालांकि उन्होंने ये भी साफ कह दिया कि अगर ऐसा होता है तो वो आज की तरह कल भी पीडि़त पक्ष के साथ ही खड़े दिखाई देंगे। दिल्ली सर्विस बिल का असर आज की तारीख में सबसे ज्यादा दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी पर पड़ेगा। अपने संबोधन में झा ने ्र्रक्क को भी आईना दिखाया। उन्होने कहा कि जैसा आज आम आदमी पार्टी के साथ हो रहा है, भविष्य में आपके साथ होगा तो हम आपके साथ रहेंगे। ये गारंटी है। हमारे पास विकल्प नहीं है। हम परेशान हताश लोगों के साथ खड़े होंगे। हमने कश्मीर के मसले पर भी ऐसा ही किया था। जब आम आदमी पार्टी ने कुछ अलग पोजिशन ली थी। आज उनको समझ आ रहा होगा कि क्यों उन्होंने उस वक्त वो निर्णय लिया। मनोज झा ने इस दौरान बिल पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह के संबोधन का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के वक्तव्य का इस्तेमाल किया था। झा ने कहा, ‘हमारे गृह मंत्री ने जवाहरलाल नेहरू को कोट किया तो एक पल को मुझे लगा कि शांतिवन में उनकी अस्थियां कशमशा गई होंगी कि ये हुआ क्या। जवाहरलाल जी की अस्थियों को मजा आया होगा।
झा ने यहां एथिकल साइटेशन को लेकर केंद्र को समझाइश दी। उन्होंने कहा कि माक्र्स के धर्म को लेकर दिए वक्तव्य का थोड़ा सा हिस्सा निकालकर उन्हें कोट किया जाता है। आरजेडी सांसद ने कहा कि साइटेशन बहुत जरूरी चीज है। उनका इशारा सदन में नेहरू के वक्तव्य का हवाला देने की ओर था। इसी के साथ उन्होंने कहा कि नेहरू 56 में नहीं चाहते थे। 67 साल बीत गए हैं। हकीकत बदल गई है। 56 की दिल्ली और आज की दिल्ली एक जैसी नहीं है। यहां उन्होंने केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि नेहरू के समय में हम सार्वजनिक क्षेत्रों पर ध्यान देते थे और आज हम उन्हें बेचने पर ध्यान दे रहे हैं।
दिल्ली सर्विस बिल का विरोध करते हुए मनोज झा ने सरकार से सवाल किया कि आखिर वो इतनी पावर का करेंगे क्या? इतने राज्यों में उनकी सरकार है। केंद्र में सरकार है। 303 का बहुमत है। उसके बावजूद किसी निर्वाचित सरकार को लेकर आपकी ये कार्यप्रणाली है। उन्होंने कहा कि अगर ब्यूरोक्रेट्स मंत्री को उत्तरदायी नहीं होंगे तो इससे अराजकता को जन्म मिलेगा। दिल्ली की सरकार दिल्ली की जनता के लिए उत्तरदायी है और ब्यूरोक्रेट्स को मंत्रियों के प्रति होना चाहिए।