नहीं बदल रहा गोदी मीडिया का लहजा!

4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। देश के बड़े-बड़े चैनलों ने इस दौर में जो रूख दिखाया है उसने जनता को हैरान कर दिया। मीडिया सत्ता से सवाल पूछने की जगह विपक्ष से पूछ रहा है। दिन भर हिंदू मुसलमान का झगड़ा लगवाने की कोशिश करने लगा तभी लोगों ने उसे गोदी मीडिया कहना शुरू कर दिया। देश के खराब हालात हो रहे है इस गोदी मीडिया के कारण पर यह कैसे सुधरे। इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार अशोक वानखेड़े, उत्कर्ष सिन्हा, प्रो. रविकांत, प्रो. लक्ष्मण यादव, किसान नेता डॉ. सुनीलम और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्चा की।
उत्कर्ष सिन्हा ने कहा कि नरेंद्र मोदी एक बिजनेस प्रोडेक्ट है। 2014 में जब वे आ रहे थे तो उसके पहले चहेते कॉरपोरेट ने मीडिया में बड़ा इन्वेस्टमेंंट किया। और जब इन्वेस्टमेंंट किया तो उनकी ही चलेगी। डॉ. सुनीलम ने कहा, गोदी मीडिया ने किसान आंदोलन की तस्वीर बिगाडऩे की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। सोशल मीडिया की एक ताकत थी, जो उसने दिखा दिया था कि किसान आंदोलन क्या है? अशोक वानखेड़े ने कहा कि जब पीएम मोदी का इंटरव्यू बॉलीवुड के अक्षय कुमार ले रहे हैं तो स्क्रिप्ट के ही हिसाब से सवाल पूछे होंगे। तो जो पत्रकार हैं, उनकी हिम्मत नहीं सवाल पूछने की। सवाल के कैरेक्टर होते हैं मगर अब कैरेक्टर तो खुद गढ़े जा रहे हैं।
प्रो. रविकांत ने कहा कि एक रिपोर्ट जो आई है, उसमें 2010 से 2020 तक करीब 154 पत्रकार गिरफ्तार हुए हैं उसमें से 40 फीसदी गिरफ्तारी 2020 में हुई है। पत्रकार मिड डे मिल की खबर चला दे तो गिरफ्तार कर लिया जाता है। सत्ता के सामने पत्रकारिता को गिरवी रख दिया गया है। कुछ पत्रकार सिस्टम से लड़ रहे हैं। परिचर्चा में प्रो. लक्ष्मण यादव ने भी विचार रखे।

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