दिवाली पर ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
दिवाली हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन पूरा देश दीये को रोशनी से जगमगा उठता है। दिवाली को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला त्योहार माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पर पधारती हैं और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। यही वजह है कि इस दिन लोग मां लक्ष्मी की पूजा करके जीवन में सुख-समृद्धि आने की कामना करते हैं, लेकिन इस साल दिवाली की सही तारीख को लेकर असंजस की स्थिति बनी हुई है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस बार कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा। इस बार दिवाली पर पूजन के लिए शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है। इस दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 36 मिनट से रात्रि 08 बजकर 11 मिनट के बीच रहेगा, जिसमें वृषभ काल शाम 6 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इसमें मां लक्ष्मी का पूजन शुभ माना जायेगा।
पूजन सामग्री
दिवाली की पूजा के लिए पूजा सामग्री में सबसे पहले मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा, रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी के दीऐ, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, बताशे, जनेऊ, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, बैठने का आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद रखना जरुरी है।
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली की रात भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की नव स्थापित प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश के अलावा कुबेर देवता और बही-खाता की पूजा करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि दिवाली की रात पूजा करने से जीवन में धन-धान्य की कभी भी कमी नहीं होती है।
क्यों मनाई जाती है?
दिवाली के पर्व को हर साल अमावस्या की अंधेरी रात्रि में मनाया जाता है। इस दिन दीयों की रोशनी से पूरे घर को रोशन किया जाता है। इसलिए इस पर्व को अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना गया है। साथ ही मान्यता है कि दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण को हरा कर अयोध्या लौटे थे। 14 वर्ष का वनवास पूरा कर भगवान राम के लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरे अयोध्या को दीयों को रोशनी से सजा दिया था। तभी से पूरे देश में दिवाली मनाई जाती है।
लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते समय रखें इनका ध्यान
दिवाली पर दौरान लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति खरीदने का विधान है। हालांकि इनकी नई मूर्ति खरीदते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कहते हैं दिवाली के दिन मां लक्ष्मी-गणेश की पूजा करने से घर में सुख-संपदा बनी रहती है। इस दौरान मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की नई मूर्तियां खरीदी जाती है। बाजार से लक्ष्मी मां और गणेश भगवान की मूर्ति खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरू है। गणेश की नई मूर्ति खरीदते समय उनकी सूंड बाई ओर हो ना की दाईं ओर। गणेश भगवान के साथ उनकी सवारी मूषक और उनकी प्रिय मिठाई मोदक भी जरूर हो। लक्ष्मी मां की नई मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें की मूर्ति ऐसी न खरीदें जिस पर वे उल्लू पर सवार हों। इसके अलावा मूर्ति खड़ी अवस्था में न हो। लक्ष्मी मां की नई मूर्ति ऐसी होनी चाहिए जिस पर वे कमल पर विराजमान हो। ऐसी मूर्ति सबसे शुभ मानी जाती है। कभी भी लक्ष्मी मां और भगवान गणेश की जुड़ी हुई मूर्ति न खरीदें। दोनों मूर्तियां अलग-अलग लें।