4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तराखंड के जोशीमठ इन दिनों बर्फ गिरने से लोगों की दिक्कते बढ़ती जा रहीं हैं। मलबे पर बसे जोशीमठ में लोगों के आशियानों को हिला कर रख दिया है। और यही वजह है कि आपदा के लिए जलविद्युत परियोजनाओं को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। माना जा रहा है कि टनल निर्माण से यहां की जमीन भीतर पूरी तरह खोखली हो गई थी। नतीजा ये है कि अब ये जगह-जगह दरकने लगी है। ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं पर कई सवाल उठने लगे हैं। जलविद्युत परियोजनों पर उठ रहे सवालों के बीच विश्व के सबसे बड़े बांधों में एक टिहरी बांध पर भी चर्चा तेज है, जिस टिहरी बांध को 24 सौ मेगावॉट बिजली पैदा करने के लिए बनाया गया था.वहां परियोजना बनने के 17 साल बाद मात्र हजार मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो रहा है. टिहरी बांध को बनाने में जहां टिहरी शहर को जलमग्न होना पड़ा, वहीं 37 गांव पूरी तरह डूब गए. यही नहीं अन्य 88 गांव भी आंशिक रूप प्रभावित हुए हैं. वही अब सवाल ये है कि अगर भूकंप आता है तो डैम भी पूरी तरह टूट जाएगा जिसके चलते ऋषिकेश ,मेरठ ,और बुलंदशहर जैसे इलाके जलग्रम हो जाएंगे।