राष्ट्ररक्षकों को पेंशन नहीं तो जनप्रतिनिधियों को क्यों मिले : वरूण गांधी
- बीजेपी सांसद बोले, अग्निवीरों के लिए पेंशन छोड़ें नेता
लखनऊ। पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी ने ट्वीट कर अग्निवीरों के मामले पर अब सभी जनप्रतिनिधियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि, अल्पअवधि की सेवा के बाद जब राष्टï्ररक्षकों को पेंशन की सुविधा नहीं है तो हम प्रतिनिधियों को पेंशन की सहूलियत क्यों? इससे पहले भी वरुण केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं। वरुण गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि राष्टï्ररक्षकों को पेंशन का अधिकार नहीं है तो मैं भी खुद की पेंशन छोड़ने को तैयार हूं। वरुण गांधी ने जनप्रतिनिधियों से अपील की कि हम सब अपनी पेंशन छोड़ें ताकि अग्निवीरों को पेंशन मिले। बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं जब बीजेपी सांसद वरुण गांधी अपने ही सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोला हो। इससे पहले सांसद अग्निपथ स्किम का विरोध करने वाले छात्रों के समर्थन में खड़े नजर आए थे। सांसद वरूण गांधी ने कहा था कि सरकार मुकदमे की धमकी से डरा रही है, इससे बातचीत के रास्ते बंद होंगे। ट्वीट कर लिखा था कि कभी मुकदमे तो कभी एफआईआर न देने की धमकी देकर हम ही संवाद के रास्ते बंद कर रहे है। कोई नई योजना लागू करने से पहले रिक्त पड़े लाखों पदों को भरने का ब्लूप्रिंट छात्रों से साझा करे सरकार। यही वक्त की सबसे बड़ी मांग है। कृषि कानून, बेरोजगारी जैसे तमाम जनता से जुड़े मुद्दे पर वरुण गांधी सरकार को कटघरे में खड़ा करते आ रहे हैं। बीजेपी सांसद लगातार अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ हमलावर नजर आते रहे हैं।
पल्लवी पटेल की याचिका पर फैसला सुरक्षित
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को पराजित कर निर्वाचित सपा विधायक पल्लवी सिंह पटेल की ओर से निर्वाचन आयोग के नोटिस के विरुद्ध दाखिल याचिका पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने पल्लवी पटेल के अधिवक्ता सरोज यादव व अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी की बहस सुनने के बाद दिया। एडवोकेट सरोज यादव ने बताया कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक रूप से नोटिस के क्षेत्राधिकार को लेकर सवाल उठाया। सपा विधायक पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे की जानकारी छिपाने का आरोप है। सिराथू के दिलीप पटेल की इसी शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने मामले में संज्ञान लिया। उसके बाद एसडीएम सिराथू ने पल्लवी को 18 औ 25 मई तथा तीन जून को नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा है। याचिका में इसी नोटिस को चुनौती दी गई है। शिकायतकर्ता ने पल्लवी पटेल पर आरोप लगाया कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी छिपाई और क्षेत्र के मतदाताओं को गुमराह कर अपने पक्ष में वोट हासिल किए। शिकायत में कहा गया है कि पल्लवी और उनके पति के खिलाफ लखनऊ में फर्जी दस्तावेजों के जरिए फ्लैट हड़पने का मुकदमा गोमतीनगर थाने में दर्ज है। इसके अलावा कानपुर में भी पैतृक मकान हड़पने का मुकदमा वहां की अदालत में चल रहा है। पिछले चुनाव में अपने नामांकन फार्म में उन्होंने ये जानकारियां छिपाई हैं।
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में हुआ कांटे का मुकाबला
लखनऊ। आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में मतदान के बाद सपा और भाजपा के बीच मुकाबला दिख रहा है। बसपा ने जिले में यह मुकाबला त्रिकोणात्मक बनाने की कोशिश की थी पर यह हो नहीं पाया। हालांकि बसपा के स्थानीय प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को अपने स्थानीय होने के साथ ही कोविड कॉल में लोगों की मदद को लेकर पूरा भरोसा था पर मतदान के दिन यह लड़ाई सपा के धर्मेन्द्र यादव और भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ के बीच होती दिख रही है। जहां भाजपा प्रत्याशी को अपनों से नुकसान होने की गुंजाईश ज्यादा दिख रही है वहीं सपा प्रत्याशी ने जिस तरह से कम समय में एक रणनीति के तहत चुनाव लड़ा वह रणनीति भारी पड़ रही है। भाजपा को यदि लोकसभा चुनाव में नुकसान होता है तो उसकी जिम्मेदारी अपनों की ही होगी। जिले में भले ही भाजपा का संगठन पहले से ही खड़ा है पर आपसी गुटबाजी का शिकार है। जिले के नेताओं में बड़े नेताओं के साथ फोटो खिचाने की होड़ लगी रहती है पर जमीनी स्तर पर यह नेता संगठन को मजबूती नहीं दे पा रहे।
निर्णायक हैं राजभर मतदाता
जिले की पांचो विधानसभा सीटों पर लगभग 10 हजार राजभर मतदाता हैं। विधानसभा चुनाव के समय यह मतदाता सपा के साथ थे। पर इस लोकसभा के उपचुनाव में यह मतदाता निर्णायक साबित होंगे। हालांकि जिले में प्रचार करने आए सुभाषपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को भी विरोध का सामना करना पड़ा। ऐसे में यदि इन राजभर समाज के लोगों का वोट सपा से खिसकता है तो इसका फायदा भाजपा को मिलेगा। एक तरफ जहां सपा के पास मुस्लिम यादव और अन्य पिछड़ी जातियां हैं, वहीं बसपा की तरफ केवल दलित और मुलसमान प्रत्याशी होने के कारण कुछ मुसलमान जुड़े हैं, जबकि भाजपा के पारंपरागत वोट, पिछड़ी जातियां और सवर्ण हैं।
कम मतदान भाजपा को नुकसान
जिले में हुए लोकसभा उपचुनाव में जिस तरह से 48.58 प्रतिशत मतदान हुआ वह भाजपा के लिए नुकसान दायक है। 2019 के लोकसभा चुनाव से 10 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 58 प्रतिशत, 2014 के लोकसभा चुनाव में 56 प्रतिशत ही मतदान हुआ था। ऐसे में जिले में सपा का पलड़ा भारी पड़ता दिख रहा है।