केरल हाईकोर्ट का अहम फैसला: शादीशुदा महिला नहीं लगा सकती शादी के झूठे वादे पर रेप का आरोप
कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला पहले से शादीशुदा है, तो वह किसी पुरुष पर यह आरोप नहीं लगा सकती कि उसने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ दुष्कर्म किया।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत में रेप के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनमें से कई मामलों में महिलाओं द्वारा यह आरोप लगाया जाता है कि उनसे शादी का वादा कर यौन संबंध बनाए गए, जो बाद में रेप में तब्दील हो जाते हैं। लेकिन इसी मुद्दे केरल हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला पहले से शादीशुदा है, तो वह किसी पुरुष पर यह आरोप नहीं लगा सकती कि उसने शादी का झूठा वादा कर उसके साथ दुष्कर्म किया।
यह फैसला उस केस में आया जिसमें एक विवाहित महिला ने आरोप लगाया था कि एक पुरुष ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। कोर्ट ने मामले के सभी पहुलओं पर गौर करने के बाद कहा कि शादीशुदा महुला के लिए दावा करना तर्कसंगत नहीं कि वह किसी दूसरे व्यक्ति से शादी की उम्मीद में यौन संबंध बनाने के लिए मजबीर हुई।
कोर्ट ने क्या-क्या कहा?
कोर्ट ने कहा, यह देखा गया है कि शादी का वादा करके रेप करने का आरोप लगाने वाले मामलों पर विचार करते समय, इस समय इस अदालत के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है कि संबंध सहमति से था या नहीं. पूरी परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा, खासकर जब एक शादीशुदा महिला किसी अन्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाती है. अगर दोनों पक्ष मौजूदा विवाह के बारे में जानते हैं तो यह आरोप नहीं लगाया जा सकता है कि उनके बीच यौन संबंध शादी के वादे के लिए बनाए गए थे.
यह आदेश कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की ओर से दायर जमानत याचिका पर पारित किया है, जिस पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 84 (आपराधिक इरादे से एक विवाहित महिला को लुभाना या ले जाना) और 69 (चालाकी से यौन संबंध बनाना) के तहत आरोप लगाया गया था. धारा 69 के तहत शादी का झूठा वादा करके संबंध बनाना भी शामिल है. इसमें 10 साल तक की कैद की सजा हो सकती है.
किस मामले पर हुई सुनवाई
याचिकाकर्ता (आरोपी) के खिलाफ अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि उसने एक महिला से शादी का झूठा वादा करके उसके साथ यौन उत्पीड़न किया. इसी के साथ उसने महिला के फोटो और वीडियो पब्लिश करने के लिए उसको डराया और 2.5 लाख रुपये ले लिए. शख्स को 13 जून को गिरफ्तार किया गया और तभी से वो सलाखों के पीछे हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने इन सभी आरोपों का खंडन किया. उन्होंने तर्क दिया कि शादी के वादे के तहत रेप का आरोप सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए शख्स पर लगाया गया था कि याचिकाकर्ता महिला की वित्तीय मांगों को पूरा करें.
शादीशुदा महिलाओं को लेकर क्या कहा?
कोर्ट ने कहा कि अब निरस्त भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 पर हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित उदाहरणों के अनुसार, जब कोई पक्ष शादीशुदा है तो उससे शादी का वादा नहीं किया जा सकता है.
कोर्ट ने कहा, इस मामले में शिकायतकर्ता महिला शादीशुदा है, इसलिए यह प्रथम दृष्टया संदिग्ध है कि क्या बीएनएस की धारा 69 के तहत संबंधित अपराध के मामले के तहत एक्शन लिया जा सकता है. यह भी नोट किया गया कि बीएनएस की धारा 84 के तहत जो आरोप लगाए गए हैं उन पर जमानत दी जा सकती है. इन चीजों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने याचिकाकर्ता को जमानत दे दी.