ISRO ने रचा इतिहास, लॉन्च किया PROBA-3 मिशन
4PM न्यूज़ नेटवर्क:
- अंतरिक्ष में भारत की नई छलांग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज (5 दिसंबर) यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के PROBA-3 मिशन को लॉन्च कर दिया है।इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से PSLV-C59/PROBA-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह मिशन सूर्य के बाहरी वातावरण कोरोना का अध्ययन करेगा। इस मिशन में दो उपग्रहों को एक साथ छोड़ा गया। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह प्रक्षेपण ISRO के PSLV-C59 रॉकेट से किया गया और यह इसरो का 61वां पीएसएलवी मिशन है।
इसके साथ ही ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए ट्वीट कर इस मिशन की सफलता की घोषणा की। PSLV-C59/PROBA-3 मिशन ने अपने प्रक्षेपण लक्ष्यों को सटीकता से पूरा किया, और ESA के उपग्रहों को उनकी निर्दिष्ट कक्षा में सफलता से स्थापित किया। ISRO ने इसे PSLV की विश्वसनीयता, NSIL और ISRO के सहयोग, और ESA के अभिनव उद्देश्यों का एक बेहतरीन उदाहरण बताया। यह मिशन PSLV के प्रदर्शन, ISRO और NSIL की साझेदारी, और ESA की नई तकनीकों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
https://x.com/isro/status/1864624104294248477
जानिए क्या है प्रोबा-3 मिशन
बताया जा रहा है कि प्रोबा-3 मिशन सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है। कोरोना सूर्य का बाहरी वातावरण है, जो सूर्य की सतह से कहीं ज्यादा गर्म होता है। यह अंतरिक्ष के मौसम का भी स्रोत है, जिससे यह वैज्ञानिकों के लिए खास रुचि का विषय है। प्रोबा-3 मिशन में दो उपग्रह हैं: Coronagraph (310 किलोग्राम) और Occulter (240 किलोग्राम)। ये दोनों उपग्रह मिलकर एक अनोखा प्रयोग करेंगे। Occulter उपग्रह सूर्य की डिस्क को ढक लेगा, जिससे Coronagraph उपग्रह सूर्य के कोरोना का स्पष्ट रूप से अवलोकन कर पाएगा। यह तकनीक सूर्य के कोरोना के बारे में अध्ययन करने में मदद करेगी।
महत्वपूर्ण बिंदु
- इस मिशन का एक मुख्य उद्देश्य सटीक फॉर्मेशन फ्लाइंग का प्रदर्शन करना भी है।
- दोनों उपग्रहों को एक साथ, एक के ऊपर एक, निर्धारित कक्षा में स्थापित किया गया है।
- इस तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए नए रास्ते खोलेगा।
-
PSLV की विश्वसनीयता और ISRO, NSIL और ESA के सहयोग की ताकत जाहिर हुई।