बेहतरीन संगीत की अलख जगाना चाहता हूं : कैलाश खेर

लाश खेर का नाम जुबान पर आते ही जेहन में ऐसा भक्तिमय-सूफियाना संगीत गूंजने लगता है जो सबकुछ भुलाकर आपको ईश्वर से जोड़ता हो। कैलाश कहते हैं कि जिंदगी के थपेड़ों ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है। वक्त की छेनी-हथौड़ी से गढ़े जाने के दौरान उन्होंने जो सीखा, आज वही उनके संगीत में झलकता है। अपने संगीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर देने वाले कैलाश खेर को तो पीएम नरेंद्र मोदी भी अपना नवरत्न बता चुके हैं। कैलाश सात वर्षों से अपने जन्मदिन पर केक काटने या मोमबत्तियां बुझाने के बजाय नई प्रतिभाओं को हुनर दिखाने का मौका देते हैं। सात जुलाई को 50वां जन्मदिन मनाने वाले कैलाश आज एक कार्यक्रम कर रहे हैं। कोविड के बाद पहली बार ऑफलाइन आयोजित होने की वजह से इस बार कार्यक्रम कुछ दिन आगे खिसक गया है। पद्मश्री गायक ने इस मौके पर कहा, मेरे संघर्ष के दिनों में कोई गाइड करने वाला नहीं था, लेकिन अब नहीं चाहता कि तमाम हुनरमंद उन्हीं मुश्किलों को झेलें जो कभी मैंने सही हैं। वह देशभर में बेहतरीन संगीत की अलख जगाना चाहते हैं। कैलाश 2002 में मुंबई पहुंचे। उस समय रिकॉर्ड कंपनियां मनमानी शर्तें चलाती थीं। एल्बम निकालने की काफी कोशिशें कीं, पर यह कहकर खारिज कर दिया गया कि यह नहीं चलेगा। इसी बीच फिल्म के लिए गाया गया उनका गाना अल्लाह के बंदे हिट हो गया। तब पहले मना कर चुकी एक रिकॉर्ड कंपनी ने उन्हें एल्बम रिकॉर्ड करने के लिए बुलाया। कैलाश बताते हैं कि बचपन से ही संगीत के प्रति जुनून ने उन्हें क्रांतिकारी बना दिया। पिता पंडिताई करते थे और चाहते थे कि वह भी यही पेशा अपनाएं। संगीत सीखने को लेकर पिता से अनबन हुई तो घर से भाग गए। तब उनकी आयु 12-13 वर्ष थी। वह बताते हैं कि इसके बाद खाने व जिंदगी चलाने के लिए जद्दोजहद की, पर यह जुनून ही था कि वह न सिर्फ गाने लिखते, बल्कि संगीतबद्ध करने से लेकर उसे आवाज देने तक सब कुछ खुद ही करते।

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