कर्नाटक मंत्रिमंडल का विस्तार, 24 विधायकों ने ली मंत्री पद की शपथ
बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने शुक्रवार को 24 मंत्रियों के लिए नामों को अंतिम रूप देते हुए कैबिनेट विस्तार की प्रक्रिया पूरी कर ली। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी, जिन्होंने भाजपा से कांग्रेस में शामिल होने और लिंगायत वोट बैंक को झुकाने में मदद की, को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। मंत्रियों की सूची राजभवन भेज दी गई है। शपथग्रहण समारोह आज सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, नामधारी रेड्डी समुदाय से गडग जिले के वरिष्ठ कांग्रेस नेता एच. के. पाटिल, बेंगलुरु में हेब्बल सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले कृष्णा बायरे गौड़ा, मांड्या जिले से एन. चेलुवारायस्वामी, मैसूरु जिले से के. वेंकटेश और चिक्कबल्लपुरा जिले से डॉ. एम.सी. सुधाकर को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। सभी वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। तीन विधायक अनुसूचित जाति से, दो अनुसूचित जनजाति से और पांच अन्य पिछड़े समुदाय कुरुबा, राजू, मराठा, एडिगा और मोगावीरा से हैं। ओल्ड मैसूर और कल्याण कर्नाटक क्षेत्र से सात-सात मंत्री, कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र से छह और मध्य कर्नाटक से दो मंत्री हैं।
बीदर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ईश्वर खंड्रे, यादगीर से शरणबसप्पा दर्शनपुर, विजयपुरा से शिवानंद पाटिल, दावणगेरे से एसएस मल्लिकार्जुन और बेलगावी से लक्ष्मी हेब्बलकर लिंगायत समुदाय से मंत्री बनाए गए हैं।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के दाहिने हाथ डॉ. एच.सी. महादेवप्पा मैसूरु जिले से, बागलकोट जिले से आर. बी. थिम्मापुर और कोप्पल जिले से शिवराज तंगादगी को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। सभी अनुसूचित जाति से हैं।
तुमकुरु जिले से के. एन. राजन्ना और सिद्दरमैया के कट्टर अनुयायी व बेल्लारी जिले से विधायक बी. नागेंंद्र को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। दोनों अनुसूचित जनजाति से हैं।
बेंगलुरु में गांधीनगर सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले 6 बार के विधायक और पूर्व राज्य प्रमुख दिनेश गुंडू राव को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।। वह ब्राह्मण समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उत्तर कन्नड़ जिले के मोगावीरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मंकल वैद्य को दिग्गज कांग्रेसी नेता आर. वी. देशपांडे पर तरजीह दी गई है।
मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले बीदर के एक वरिष्ठ कांग्रेसी रहीम खान को कैबिनेट में शामिल किया गया है।
चित्रदुर्ग से जैन समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले डी. सुधाकर को अनुसूचित जनजाति समुदाय से तीन बार के विधायक रघु मूर्ति पर वरीयता देते हुए कैबिनेट पद दिया गया है।
धारवाड़ के संतोष लाड, मराठा समुदाय से संबंधित, एन.एस. राजू बीसी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रायचूर के बोसाराजू और कुरुबा समुदाय से सिद्धारमैया के करीबी विश्वासपात्र भैरथी सुरेश भी मंत्री होंगे।
पार्टी ने पूर्व सीएम बी एस येदियुरप्पा के घरेलू मैदान में पार्टी की जड़ें मजबूत करने के मद्देनजर शिवमोग्गा से मधु बंगारप्पा को समायोजित किया है। बंगारप्पा एडिगा ओबीसी समुदाय से हैं।
दूसरी सूची में छह लिंगायत, चार वोक्कालिगा, पांच ओबीसी, तीन एससी, दो एसटी के साथ ब्राह्मण, मुस्लिम, जैन और रेड्डी समुदाय से एक-एक विधायक को कैबिनेट में जगह दी गई है। लिंगायत समुदाय की सभी उप-जातियों को ध्यान में रखा गया है और आठ विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया है। वोक्कालिगाओं को डिप्टी सीएम के पद सहित पांच स्थान मिले हैं। वहीं, दलितों को नौ कैबिनेट सीट मिली है।
राजू क्षत्रिय (बोसेराजू) और मछुआरों (मंकला वैद्य) जैसे छोटे समुदायों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है। कुरुबा समुदाय (सुरेश) को केवल एक सीट दी गई है, क्योंकि सीएम सिद्धारमैया इसी समुदाय से हैं।
मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व दो मंत्री (बी.जेड. जमीर अहमद खान, रहीम खान) करते हैं, जबकि यू.टी. खादर को स्पीकर बनाया गया है।
खादर राज्य विधानसभा के अध्यक्ष बनने वाले पहले मुस्लिम हैं। ईसाइयों (के.जे. जॉर्ज) और जैन समुदायों (डी. सुधाकर) को एक सीट दी गई है।
सिद्दरमैया और कांग्रेस ने सत्ता में क्षेत्रवार और सामुदायिक आधार को संतुलित करने की कोशिश की है। कित्तूर और कल्याण कर्नाटक क्षेत्रों सहित उत्तर कर्नाटक, राज्य के मध्य क्षेत्र और मैसूरु क्षेत्रों को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है।
कांग्रेस नेता रुद्रप्पा लमानी के लिए मंत्री पद की मांग को लेकर उनके समर्थकों ने कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। रुद्रप्पा मनप्पा लमानी ने हावेरी निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता है। एक समर्थक ने कहा,
हमारे बंजारा समुदाय के नेता रुद्रप्पा लमानी का नाम कल रात तक सूची में था, लेकिन आज हमने देखा कि उनका नाम सूची में नहीं था। अगर हमारे नेता को मंत्री पद नहीं मिलेगा, तो हम इसका विरोध करेंगे क्योंकि हमने चुनाव में कांग्रेस को 75 फीसद वोट दिया था। इसलिए हमारे समुदाय से कम से कम एक नेता को मंत्रिमंडल में जगह मिलनी चाहिए।
सिद्दरमैया और शिवकुमार के अलावा आठ और मंत्री जी. परमेश्वर, के. एच. मुनियप्पा, के. जे. जॉर्ज, एम. बी. पाटिल, सतीश जारकीहोली, प्रियांक खरगे, रामलीमगा रेड्डी और अहमद खान ने पिछले शनिवार को बेंगलुरु में शपथ ली थी। हालांकि, उनमें से किसी को भी अभी तक कोई पोर्टफोलियो आवंटित नहीं किया गया है।
बता दें, सिद्दरमैया और शिवकुमार दोनों पिछले तीन दिनों से दिल्ली में थे और उन्होंने पार्टी नेतृत्व के साथ कई दौर की चर्चा की थी। सिद्दरमैया, शिवकुमार और कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला सहित शीर्ष केंद्रीय नेताओं के बीच घंटों की गहन चर्चा के बाद 24 विधायकों के नाम तय किए गए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी ने सूची को अंतिम रूप दिया।
सूत्रों ने बताया कि संभावित मंत्रियों के नामों को लेकर सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच मतभेद उभरे थे, लेकिन चर्चा के दौरान इन्हें सुलझा लिया गया। इस बीच सभी नेता नए मंत्रियों के शपथग्रहण समारोह के लिए दिल्ली से बेंगलुरु के लिए रवाना हो गए। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके झारखंड के समकक्ष हेमंत सोरेन भी शनिवार के कार्यक्रम के लिए शिवकुमार और सुरजेवाला के साथ रवाना हुए।