सारे नियम ताक पर रखकर नगर आयुक्त ने कंप्यूटर प्रोग्रामर को बनाया जोनल अधिकारी
- जोन-4 में टैक्स और सफाई में बड़े बड़े खेल जारी
- तीन साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर आए थे कम्प्यूटर प्रोग्रामर
लखनऊ। भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस की नीति राजधानी लखनऊ में दम तोड़ रही है। लखनऊ नगर निगम में जीरो टॉलरेंस की नीति के मुताबिक काम नहीं हो रहा है। यहां पिछले पांच साल से एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर सुजीत श्रीवास्तव ने अपना साम्राज्य स्थापित कर रखा है। आलम ये है कि तीन साल के लिए नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए इस कम्प्यूटर प्रोग्रामर को निगम का चस्का लग चुका है। सफाई संस्थाओं के साथ मिलकर श्रमिकों की तैनाती में खेल से लेकर उच्च अफसरों की हर सुख सुविधा का ख्याल रखने में सुजीत को महारथ हासिल है। यही कारण है कि नगर निगम ही नहीं, बल्कि शासन में भी सुजीत की पकड़ मजबूत है। यही कारण है कि सुजीत श्रीवास्तव नगर निगम के जोन चार में जोनल अधिकारी के पद पर बिना सर्विस बुक के ही तैनात हैं। करीब दो साल पहले यह प्रतिनियुक्ति खत्म हो चुकी है। उसके बाद भी उन पर नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी मेहरबान हैं। बता दें कि बिना सर्विस बुक के किसी अफसर का नगर निगम में काम करने का यह एक गंभीर मामला है। सूत्र बताते हैं कि जोन चार में सफाई के नाम पर बड़े-बड़े खेल हो रहें है, जोन में सफाई श्रमिकों की तैनाती देने वाली संस्थाओं के मालिकों से सुजीत के बड़े ही गहरे रिश्ते हैं। संस्थाओं के तमाम श्रमिक केवल कागजों पर हैं, मगर सुजीत श्रीवास्तव संस्थाओं को खुला संरक्षण दे रहे हैं। यही नहीं, इनके क्षेत्र में सफाई के निरीक्षण में नगर निगम के आला अफसर भी नही जाते हैं। जबकि जोर चार में सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट है।
योगी सरकार में जुगाड़ तत्र पर टिके सुजीत
बताया जाता है कि पांच साल पहले नगर विकास विभाग के आदेश पर गोरखपुर के गीडा में कम्प्यूटर प्रोग्रामर के पद पर कार्यरत सुजीत श्रीवास्तव को सहायक नगर आयुक्त पद पर प्रतिनियुक्ति देते लखनऊ नगर निगम तैनात किया गया था। इसके बाद से ये जोन-चार जैसा वीआईपी जोन संभाल रहें हैं। जबकि स्वच्छता के नाम पर जोर चार सिफर है। आए-दिन साफ-सफाई किए जाने को लेकर स्थानीय लोग सवाल उठाते हैं। सूत्र बताते हैं कि जोन-चार में टैक्स असेसमेंट में रोजाना लाखों का खेल किया जा रहा है।
अजय द्विवेदी के ठेंगे पर शासन का आदेश
नगर विकास विभाग के आदेश के तहत कम्प्यूटर प्रोग्रामर सुजीत की प्रतिनियुक्ति तीन साल के लिए थी, यदि उससे पहले लखनऊ नगर निगम में सहायक नगर आयुक्त पद पर नई नियुक्ति हो गई तो उनकी प्रतिनियुक्ति स्वत: समाप्त हो जाएगी। बावजूद इसके शासन का यह नगर आयुक्त अजय द्विवेदी के ठेंगे पर है।