लाइव कैमरों के सामने खरगे ने निकाल दी सरकार की हेकड़ी

संसद के शीतकालीन सत्र में एक ओर जहां राज्य सभा में संसद नियमों का पाठ पढ़ाने वाली पीएम साहब की पार्टी बुरी तरह बेनकाब हो गई है तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी की एक और डिमांड पर बीजेपी के संसदीय कार्यमंत्री ने घुटने टेक दिए है,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: संसद के शीतकालीन सत्र में एक ओर जहां राज्य सभा में संसद नियमों का पाठ पढ़ाने वाली पीएम साहब की पार्टी बुरी तरह बेनकाब हो गई है तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी की एक और डिमांड पर बीजेपी के संसदीय कार्यमंत्री ने घुटने टेक दिए है, और एसआईआर की तरह एक और जनहित से जुड़े मुद्दे चर्चा कराने को तैयार हो गई है।

ऐसे न सिर्फ सदन में राहुल गांधी की बड़ी जीत हुई बल्कि अचानक सेशन के बीच की पीएम साहब का विदेश दौरों को प्रोग्राम आ गया है। संसद नियमों और नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाली पार्टी कैसे बुरी तरह से सदन में बेनकाब हो गई है और राहुल गांधी की किस डिमांड पर सरकार ने घुटने टेक दिए हैं,

शुक्रवार को संसद के राज्य सभा में अजीब नजारा देखने को मिला है। वैसे तो पीएम साहब और उनकी सरकार बहुत नैतिकता का दावा करती है, लेकिन सच यह है कि कभी गृह मंत्री सदन में ही गाली देने लगते हैं तो कभी बीजेपी यही भूल जाती है कि सदन की परंपरा क्या है। कल हुआ दरअसल ऐसा था कि जब राज्य सभा शुरु हुई तो सदन में चर्चा के दौरान कोई भी सरकार का मंत्री नहीं पहुंचा था। वैसे तो पीएम साहब संसद में जब पहली बार आए थे तो दडंवत होकर संसद को प्रमाण किया था लेकिन शायद उनके मंत्री जी लोग संसद की गरिमा को नहीं समझ सके हैं क्योंकि काफी समय बाद ऐसा देखा गया है कि राज्य सभा शुरु हो गई है और राज्य सभा में विपक्ष के सवालों को सुनने या फिर जवाब देने वाला कोई नहीं है और ऐसे में बेचारे सभापति यानि कि उपराष्ट्रपति केसी सुदर्शन भी बुरा फंस गए।

एक ओर जहां मल्लिकार्जुन खरगे ने खड़े होकर गोहार लगाई कि कोई भी सरकार का मंत्री अभी तक सदन में नहीं पहुंचा है ओर आपको बता दें किजैसे ही प्रश्नकाल आगे बढ़ा, विपक्ष ने इस बात पर आपत्ति जताई कि सदन में एक भी कैबिनेट मंत्री मौजूद नहीं है। सदन में हंगामा तब शुरू हुआ जब विपक्षी सदस्यों ने कहा कि सदन के सुचारू संचालन के लिए कम से कम एक कैबिनेट मंत्री की उपस्थिति अनिवार्य है। सभापति सीपी राधाकृष्णन ने भी इस पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने एक जूनियर मंत्री को तुरंत किसी कैबिनेट मंत्री को बुलाने के लिए कहा और बोले, कि मैं प्रक्रिया समझता हूं, यहां एक कैबिनेट मंत्री होना ही चाहिए। हालांकि, विपक्ष इससे मानने को तैयार नहीं हुआ.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, कि यह सदन का अपमान है, बिना कैबिनेट मंत्री के कार्यवाही नहीं चल सकती। लगभग 5 मिनट तक इंतजार के बाद सभापति ने बाध्य होकर सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। सदन के दोबारा शुरू होने पर संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने बात बनाने की पूरी कोशिश की लेकिन ये दलील बहुत सही साबित नहीं होती दिखी। उन्होंने बताया कि पूर्व लोकसभा स्पीकर और पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल के निधन पर लोकसभा में श्रद्धांजलि दी जा रही थी और इसी कारण कई कैबिनेट मंत्री वहां मौजूद थे।

उन्होंने कहा,कि सदन में कोई कैबिनेट मंत्री न होना दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्होंने न सिर्फ माफी मांगी बल्कि यह भी बताया कि नेता सदन जेपी नड्डा के नाम प्रश्न लगे थे, जिसके कारण वे भी लोकसभा में थे। ऐसे में सदन में न सिर्फ पीएम साहब की पार्टी संसद नियमों और कानून को बहुत पालन करने के मामले में बुरी तरह से एक्सपोज हो गई , क्योंकि राज्य सभा सिर्फ और सिर्फ इस वजह से स्थगित करनी पड़ी क्योंकि कोई मंत्री नहीं था यानि कि 10 मिनट सदन का एक मंत्री का न होना खा गया।

एक ओर जहां सदन में मंत्री न होने पर बीजेपी बुरी तरह एक्सपोज हुई तो वहीं दूसरी ओर लोकसभा में राहुल गांधी ने खड़े होकर वायु प्रदूषण की ऐसी डिामांड रखी कि तुरंत ही इस पर चर्चा को क्रेद्रीय मंत्री किरेण रिजिजू ने हामी भरी। जैसे ही प्रश्न काल शुरु हुआ तो लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार को इस पर विस्तृत चर्चा करनी चाहिए। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस समस्या से निपटने के लिए हर शहर के लिए एक व्यवस्थित योजना सामने रखनी चाहिए। कांग्रेस सांसद ने कहा कि हमारे ज्यादातर शहरों पर जहरीली हवा की चादर पसरी हुई है। लाखों बच्चों को फेफड़ों की बीमारियां हो रही हैं, उनका भविष्य बर्बाद हो रहा है और लोगों को कैंसर हो रहा है। वृद्ध लोगों को सांस लेने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि यह कोई वैचारिक मुद्दा नहीं है और मुझे यकीन कि यह एक ऐसा विषय है जिस पर सरकार और हमारे बीच सहमति होगी। उन्होंने आगे कहा कि सदन में हर कोई इस बात से सहमत है कि वायु प्रदूषण और इससे हमारे लोगों को जो नुकसान हो रहा है, वह ऐसी चीज है जिस पर हमें सरकार का सहयोग करना चाहिए । कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार को देश के शहरों में वायु प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए एक योजना विकसित करनी चाहिए और विपक्ष को योजना विकसित करने में सरकार के साथ सहयोग करके खुशी होगी।

उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे पर हम देश को दिखा सकते हैं कि हम किसी महत्वपूर्ण चीज पर मिलकर काम कर सकते हैं। बाद में संसदीय कार्यमंत्री ने इस पर सहमति जताई हे माना जा रहा है कि एक दो दिन में इस पर चर्चा हो सकती है।  इससे पहले राहुल गांधी और विपक्ष के दवाब में एआईआर पर चर्चा करानी पड़ी है और राहुल गांधी का मानना है कि न सिर्फ एसआईआर बल्कि वंदे मातरम् पर भी उन्होंने सरकार को पछाड़ा है।

राहुल गांधी पिछली दोनों चर्चा में न सिर्फ सदन को पिछाड़ने की बता कर रहे हैं बल्कि वायु प्रदूषण के परिचर्चा में सुझावों पर सहमति बनाने की बात कर रहे हैं। वैसे भी आपको बता दें कि वायु प्रदूषण देश के लिए बड़ा खतरा बनता दिख रहा है। भारत में हर साल करीब 12 लाख लोग वायु प्रदूषण की वजह से मरते हैं। दिल्ली का एक्यूआई अक्सर 400 से ऊपर चला जाता है, जो बहुत खराब कैटेगरी है। बच्चे अस्थमा के शिकार हो रहे हैं, बुजुर्गों को दिल की बीमारियां हो रही हैं। किसान पराली जलाते हैं, फैक्ट्रियां धुंआ उगलती हैं, गाड़ियां ट्रैफिक में फंसी रहती हैं सब मिलकर हवा को जहर बना देते हैं। लेकिन सरकार क्या कर रही है? नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम है, लेकिन वो कागजों पर ज्यादा चलता है। ग्राउंड पर कितना बदलाव आया? बहुत कम। अब जब यह मुद्दा संसद में राहुल गांधी ने उठाया है तो इस पर चर्चा होगी और शायद फिर से कोई हल निकल सके।

मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आते ही क्लीन इंडिया का वादा किया था, लेकिन क्लीन एयर कहां है? स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में प्रदूषण कंट्रोल को इग्नोर किया गया। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए मशीनें दी गईं, लेकिन कितनी? बहुत कम। इंडस्ट्रीज को छूट मिली रहती है। क्यों? क्योंकि बड़े बिजनेसमैन सरकार के डोनर्स हैं। हालांकि रिजिजू ने हामी भरी क्योंकि इंकार नहीं कर सकते थे। लेकिन राज्या सभा में मंत्री न भेजकर दिखा दिया कि इरादा नहीं है। इस बीच पीए साहब का विदेश प्लान भी आ गया है। वो एक बार फिर से तीन देशों की यात्रा पर उड़ने वाले हैं। और वो 15 से 18 तक विदेशों में होंगे।

लेकिन राहुल गांधी ने वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाकर न सिर्फ एक जनहित का बड़ा काम किया है बल्कि ये राहुल गांधी का मास्टर स्ट्रोक भी कहा जा सकता है। क्योंकि जिस तरह से सरकार को राहुल गांधी ने सवाल उठाकर घेरा है, ये अपने आप में एक बड़ा कदम है बल्कि एक बड़ी जीत है क्योंकि शायद इसी राहुल गांधी के उठाए मुद्दे से ही दिल्ली और देश के बड़े शहरों को पॉलूशन से मुक्ति मिल जाए।

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