मोदी के मेगा डिनर में नहीं आए नीतीश नायडू,मचा हड़कंप
बिहार की राजनीति अचानक एक बार फिर उफान पर आ गई है। एक ओर जहां महागठबंधन के 18 विधायक के टूटने का बड़ा दावा सामने आया है तो वहीं दूसरी ओर एनडीए में रार-तकरारा को दौर तेज हो गया।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार की राजनीति अचानक एक बार फिर उफान पर आ गई है। एक ओर जहां महागठबंधन के 18 विधायक के टूटने का बड़ा दावा सामने आया है तो वहीं दूसरी ओर एनडीए में रार-तकरारा को दौर तेज हो गया।
इस बार एनडीए में जो तकरार है वो किसी पद या आईएएस की तैनाती को लेकर नहीं बल्कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की राजनीति यानि जदयू में इंट्री को लेकर है। लेकिन निशांत की इंट्री में अचानक बीजेपी और अमितशाह कहां से आ गए हैं, इसको लेकर हर कोई अचंभित हैं। नीतीश के दो बड़े नेता अचानक अमितशाह से मिलने दिल्ली पहुंच गए हैं और बंद कमरे में मीटिंग हुई है। क्यों अचानक जदयू के दो नेता अमितशाह से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं, और निशांत कुमार की जदयू में इंट्री को लेकर कहां पेंच फंसा है,
बिहार में अभी सरकार बने एक महीना भी नहीं बीत पाया है लेकिन जदयू और बीजेपी में रार-तकरार का दौर भयंकर तरीके से शुरु हो गया है। एक ओर जहां गृह मंत्रालय से लेकर स्पीकर तक के पदों पर बीजेपी ने एकतरफा अपना दबदबा नीतीश सरकार पर बना रखा है तो वहीं अब जब जदयू नीतीश कुमार की जगह निशांत कुमार को पार्टी में शामिल कराने की तैयारी में जुटी है तो वहीं दूसरी शायद बीजेपी या पीएम साहब के चाणक्य जी ने निशांत कुमार की इंट्री में भी कुछ पेंच फंसा दिया है क्योंकि आज अचानक एक खबर मीडिया की सुर्खियों में है।
जदयू के दो नेता अचानक अमितशाह से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं लेकिन यहां दो बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार की अगर जदयू में इंट्री होनी है तो इसमें अमितशाह का क्या रोल है। क्योंकि जदयू के फैसले तो नीतीश कुमार और जदयू के सीनियर लीडर करेंगे। लेकिन क्यों इस मामले में अमितशाह से जदयू के नेता मिल रहे हैं, ये एक बहुत बड़ा सवाल है। क्या निशांत कुमार को पार्टी में लेने के लिए जदयू को अब अमितशाह से परमिशन की जरुरत है या फिर खेल कुछ और है।
जदयू के दो नेता जो अमितशाह से मिलने गए हैं उसमें जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और विजय चौधरी है, ऐसे में मामला कुछ न कुछ पेचीदा जरुर है। क्योंकि आमतौर पर विजय चौधरी जदयू के सीनियर लीडर में हैं और नीतीश कुमार के सबसे करीबी माने जाते हैं। वैस आमतौर पर जब जदयू के ओर से नेताओं का समूह अमितशाह या पीएम मोदी से मिलता था तो उसमें दो नाम ललन सिंह और संजय झा के होते थे लेकिन इस बार ललन सिंह नहीं बल्कि विजय चौधरी हैं, ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि निशांत की जदयू में इंट्री को लेकर भयंकर पेंच फंसा हुआ है।
पिछले दिनों निशाांत कुमार के सीएम बनने की चर्चा भी तेज हो गई थीं, दावा किया जा रहा था कि नीतीश कुमार ने सिर्फ और सिर्फ बीजेपी को गृह मंत्रालय और स्पीकर का पद इस वजह से दिया है कि वो सीधे निशांत को सीएम की कुर्सी दे सकें और अब इसी की कवायद में जदयू के नेता जुटे हैं। जैसा कि नीतीश कुमार के काम करने की स्टाइल है कि वो सबकुछ बिल्कुल फिट अंदाज में करते हैं और कहीं से कोई चूक नहीं होती, निशांत की इंट्री में नीतीश कुमार का खेल बिल्कुल फिट है। क्योंकि पहले संजय झा से बयान दिलवाया कि निशांत की राजनीति में इंट्री जरुरी है। फिर अपने दो नेताओं को सीधे अमितशाह के पास भेज कर अपने प्रस्ताव पर चर्चा लगवाना चाहते हैं लेकिन अंदरखाने से जो बातें निकल कर सामने आ रही हैं उसमें दावा किया जा रहा है कि इस पर बीजेपी राजी नहीं है और इसी को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
हालांकि कुछ इस तरह की चर्चाएं भी है कि नीतीश कुमार सीएम और निशांत डिप्टी सीएम होंगे लेकिन जैसा कि नीतीश कुमार का रवैया रहा है, ऐसे में साफ है कि ये मुमकिन होता तो फिलहाल नहीं दिख रहा है। ऐसे में एक बार साफ है कि जदयू की पहली कोशिश यही है कि नीतीश की जगह निशांत कुमार को मिले और नीतीश कुमार खुद राजनीति से संन्यास लेते हुए संरक्षक की भूमिका में किरदार निभाएं। क्योंकि नीतीश कुमार की उम्र 74 साल की है। एक मार्च को वो 75 साल के हो जाएंगे, उनकी सेहत भी बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में कहा जा रहा है कि खरमास के बाद खेल की तैयारी शुरु होगी और मार्च में बड़ा खेल हो सकता है।
वैसे भी नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के गुरु हैं वो कभी भी बड़ा गेम करनी की हैसियत में हमेशा रहते हैं। 2005 के बाद से वो यूं ही नहीं सीएम के पद पर काबिज हैं और अगर निशांत की इंट्री को लेकर बीजेपी कोई बड़ा पेंच फंसाती है तो बिहार नया खेल हो सकता है। पिछले दिनों जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने बड़ा दावा किया था कि महागठबंधन के 18 विधायक उनके संपर्क में हैं और वो किसी वक्त भी महागठबंधन को तोड़ सकते है। ऐसे में साफ है कि नीतीश के 85 विधयाकों के साथ अगर 18 महागठबंधन के विधायक और 5 एआईएमआईएम के विधायक जुड़ जाएंगे तो बिहार में बड़ा खेल होना तय है।
ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने पहले से सारी सेंटिंग कर दी है। एक ओर जहां नीरज कुमार को बयान आया है तो वहीं जदयू के दो नेताअ अचानक अमितशाह से मिलने दिल्ली पहुंच गए हैं और बंद कमरे में बातें हुई है। यानि कि नीतीश कुमार और जदयू की प्राथमिकता है कि निशांत को सीधे सीएम की कुर्सी पर बैठाया जाए लेकिन बीजेपी और चिराग पासवान इसको मानने को तैयार नहीं है। पिछले दिनों ही चिराग का बयान आया था कि नीतीश कुमार सिर्फ और सिर्फ इस वजह से कम सीट पाने के बाद भी सीएम है क्योंकि उनके पास एक्सपीरियंस है और एनडीए सिर्फ और सिर्फ एक्सपीरियंस वाले को ही सीएम का पद देगी। दावा किया जा रहा है असल तकरार यही है, जदयू चाहती है कि निशांत को सीधे सीएम की कुर्सी दे दी जाए और नीतीश कुमार संरक्षक की भूमिका में रहे।
जैसे कभी यूपी की राजनीति में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव के साथ किया था। कुछ ऐसी ही तैयारी जदयू की भी है लेकिन फिलहाल गठबंधन धर्म बीच में आ जा रहा है और इसी को लेकर पेंच फंसा हुआ है। कई सीनियर जर्नलिस्ट का दावा है कि फिलहाल नीतीश कुमार बहुत सक्रिय नहीं हैं क्योंकि आमतौर पर वो खरमास में बहुत एक्टिव नहीं होते हैं लेकिन खरमास के बाद वो अचानक न सिर्फ एक्टिव होते हैं बल्कि बड़ा गेम करते हैं। पिछले दो बार उन्होंने खरमास के बाद ही खेल किया था। जिस तरह का बयान नीरज कुमार की ओर से आया है, उसमें न सिर्फ महागठबंधन को जोर का झटका लगा है बल्कि बीजेपी भी अपने कदम फूंक-फूंक कर रखना शुरु कर चुकी है।
निशांत की एंट्री की चर्चा काफी समय से चल रही थी, लेकिन अमित शाह के साथ जेडीयू के दो बड़े नेताओं की मुलाक़ात के बाद यह और तेज़ हो गई। सीनियर जर्नलिस्टों का मामना है कि जो सूचना सामने आ रही है उसके अनुसार इस बैठक में नीतीश कुमार की सेहत और उनके राजनीतिक भविष्य के साथ‑साथ निशांत की पार्टी व सरकार में संभावित भूमिका पर भी विस्तार से चर्चा हुई। वे कहते हैं कि जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा पहले निशांत की राजनीति में एंट्री को खारिज करते थे, पर अब वे इसका समर्थन कर रहे हैं। इससे साफ है तैयारी चल रही है। हालांकि नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। पार्टी के नेता चाह रहे हैं। लेकिन निशांत ने भी राजनीति में एंट्री को लेकर अभी तक कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि अंदरखाने का दावा है कि बड़े गेम की तैयारी है।
अब ये तैयारी कितनी सफल होती है और खरमास के बाद क्या कुछ होता है, ये देखना सबसे ज्यादा अहम होगा, क्योंकि नीतीश कुमार जो पहले से दिल्ली से लेकर पटना तक में अपना जाल बिछाकर बैठे हैं एक तरफ नीरज कुमार के 18 विधायक तोड़ने का बयान है तो दूसरी तरफ जदयू के नेताओं की अमितशाह से अचानक मुलाकात। दोनों मामले बिहार की सियासत में निशांत की इंट्री से जोड़कर देखे जा रहे हैं। हालांकि आगे क्या होगा, ये आने वाला समय बताएंगा लेकिन नीतीश कुमार को हल्का समझने की कोशिश शायद ही अमित शाह और पीएम साहब करें। ऐसे में निशांत की न सिर्फ इंट्री बल्कि सीएम जैसा बड़ा पद मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।



