एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी में क्या फर्क है? जानें विस्तार से

दिल से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों और उनके परिजनों के मन में अक्सर कुछ जरूरी सवाल होते हैं कि एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी आखिर होती क्या है

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दिल से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों और उनके परिजनों के मन में अक्सर कुछ जरूरी सवाल होते हैं कि एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी आखिर होती क्या है, और इनकी जरूरत कब पड़ती है इस बारे में हमने कार्डियोलॉजी एक्सपर्ट्स से बात की और उनकी राय जानी। दिल की बीमारियों का सही समय पर पता लगाना जीवन बचाने में बेहद अहम होता है। ऐसे में जब मरीज को छाती में दर्द और सांस लेने में दिक्कत जैसी शिकायतें होती हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले ईसीजी (ECG) की सलाह देते हैं। अगर ईसीजी में कोई गड़बड़ी सामने आती है, तो आगे की जांच के लिए एंजियोग्राफी की जाती है।

दिल की धमनियों में ब्लॉकेज होने पर मरीज को हार्ट अटैक या अन्य गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में एंजियोप्लास्टी एक अहम प्रक्रिया होती है, जिसके जरिए नसों में जमे अवरोध को हटाया जाता है और रक्त प्रवाह को सामान्य बनाया जाता है। राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली के कार्डियोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बताते हैं कि एंजियोप्लास्टी एक प्रकार की माइनर सर्जरी है, जो हार्ट की ब्लॉकेज नसों को खोलने के लिए की जाती है।

जिससे हार्ट की नसों से ब्लॉकेज हटता है.

इस प्रोसीजर में गुबारे के साथ एक एक स्टेंट (एक छोटी धातु की जाली) भी लगाई जाती है. स्टंट ब्लॉकेज को हटाता है. किसी एक व्यक्ति में एक से ज्यादा स्टंट भी लगाए जा सकते हैं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि हार्ट की कितनी नसों में ब्लॉकेज है. हालांकि हर मामले में ब्लॉकेज को खत्म करने के लिए एंजियोप्लास्टी नहीं की जाती है. कुछ लोगों को डॉक्टर बाईपास सर्जरी कराने की सलाह भी देते हैं.

बाईपास सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है
अपोलो अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ. चिन्मय गुप्ता बताते हैं किजब डॉक्टरों को लगता है कि मरीज को स्टंट नहीं डाला जा सकता है या फिर एक से अधिक ब्लॉकेज है तो बाईपास सर्जरी की जाती है. यह व्यक्ति की उम्र और उसकी हेल्थ कंडीशन पर निर्भर करता है. आमतौर पर भविष्य में हार्ट अटैक के खतरे को कम करने के लिए इसका सहारा लिया जाता है.

इस सर्जरी में सबसे पहले ग्राफ्टिंग की जाती है. इसमें सर्जनएक स्वस्थ नस को शरीर के दूसरे हिस्से से लेता है और इसे ब्लॉक हुई
नस के चारों ओर लगाता है, जिससे हार्ट तक ब्लड फ्लों के लिए एक नया रास्ता बन जाता है. यहआमतौर पर हार्ट-फेफड़े की मशीन
के साथ की जाती है, जिससे मरीज को कोई रिस्क न हो. इस सर्जरी के बाद हार्ट तक खून की आपूर्ति में सुधार होता है.

कितने फीसदी ब्लॉकेज में आपको क्या कराना चाहिए?
हार्ट ब्लॉकेज के मरीज का इलाज दवा, एंजियोग्राफी या फिर बाईपास सर्जरी तीन तरीकों से किया जाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि ब्लॉकेज कितना है. अगर ब्लॉकेज 20-30 फ़ीसदी है और मेन आर्टरी में नहीं है, तो दवाओं से इलाज किया जा सकता है. अगर ये 40-50 फ़ीसदी से ज़्यादा है, लेकिन दो जगहों से ज़्यादा नहीं है, तो स्टेंट डाला जा सकता है.

आपको बता दें,कि अगर ब्लॉकेज 70-80 फ़ीसदी से ज़्यादा है और सभी नसें ब्लॉक हैं, तो बाईपास सर्जरी की जा सकती है. ये सभी चीजें मरीज की उम्र उसकी हेल्थ हिस्ट्री के देखने के बाद तय की जाती है. कुछ मामलों में कम ब्लॉकेज होने पर भी स्टंट डाला जा सकता है. यह निर्णय डॉक्टरों की टीम मरीज के हिसाब से ही लेती है. ऐसे में अगर आपको हार्ट की बीमारी है तो अपने डॉक्टर की सलाह लेकर ही इलाज कराएं.

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