यूपी में तैयार हो रही गठबंधन की जमीन जानें कौन है किसके साथ
नई दिल्ली। यूपी के विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं. इस समय सूबे में सियासी सरगर्मियां जोरो पर हैं. गठबंधन बनाने और बिखरने का दौर चल रहा है. ऐसे में छोटे और जाति आधारित दलों की राजनीति में जरूरत बढ़ गई है. सत्ता पर काबिज़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का जोर अधिक से अधिक इस तरह के दलों को अपनी ओर करने पर है. बसपा और कांग्रेस इस दिशा में कम थोड़ी कम सक्रिय हैं. तो देखते हैं कि अभी सूबे में कौन-कौन से गठबंधन इन दिनों अपास में गांठ बांध रहे हैं.
सबसे पहले बात करते हैं सत्तारूढ़ भाजपा की. उत्तर प्रदेश में भाजपा का अपना दल (सोनेलाल) से गठबंधन चल रहा है. पार्टी की नेता अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री हैं. वो मोदी की पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री थीं. अपना दल (सोनेलाल) को लेकर आमतौर पर यह मान्यता है कि यह पार्टी कुर्मी जाति की पार्टी मानी जाती है. इस जाति की पूर्वी उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य जिलों में अच्छी आबादी है. अपना दल ने साल 2017 का चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर 11 सीटों पर लड़ा था. जिसमें उसको 9 सीटों पर जीत मिली थी. उत्तर प्रदेश में यादव के बाद कुर्मी पिछड़ा वर्ग का सबसे बड़े वोट बैंक हैं. सीटों के आधार पर अपना दल (सोनेलाल) कांग्रेस से भी बड़ी पार्टी है.
वहीं भाजपा ने निषाद पार्टी से भी गठबंधन कर रखा है. मल्लाह, बिंद और नोनिया जैसी पिछड़ी जातियों के प्रतिनिधित्व का दम भरने वाली निषाद पार्टी का आधार पूर्वांचल तक ही सीमित है. बताते चलें कि गोरखपुर लोकसभा सीट पर 2018 में हुए उपचुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी ने निषाद पार्टी से समझौता किया था. बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव में निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के बेटे प्रवीन कुमार निषाद को संत कबीर नगर से टिकट दिया था. ओर उन्होंने जीत भी हासिल की. भाजपा ने संजय निषाद को विधान परिषद भेजा है. भाजपा और निषाद पार्टी ने 2022 के चुनाव के लिए अभी सीट बंटवारे पर कोई घोषणा नहीं की है. इस बंटवारे को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति बरकरार है.
सुभासपा के चीफ ओमप्रकाश राजभर ने 20 अक्तूबर को जब सपा के साथ गठबंधन का ऐलान किया तो बीजेपी ने भी 7 छोटे दलों से गठबंधन घोषणा की. ये पार्टियों हैं केवट रामधनी बिन्द की भारतीय मानव समाज पार्टी, चन्द्रमा वनवासी की मुसहर आन्दोलन मंच , बाबू लाल राजभर की शोषित समाज पार्टी, कृष्णगोपाल सिंह कश्यप की मानवहित पार्टी, भीम राजभर की भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी, चन्दन सिंह चौहान की पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी और महेंद्र प्रजापति की भारतीय समता समाज पार्टी. ये सभी जाति आधारित पार्टियां हैं.
आखिलेश के नेतृत्व में सपा ने 2017 का चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था. जिसमें उसे बुरी तरह से हार मिली थी. समाजवादी पार्टी कह रही है कि सपा अब बड़े दलों के साथ गठबंधन नहीं करेगी. इसी के मद्देनजर सपा आगे बढ़ रही है. सपा ने ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और महान दल से गठबंधन किया है. सपा ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) और कुछ छोटे दलों के साथ भी गठबंधन की बात कही है.
ओमप्रकाश राजभर की पार्टी का आधार भी पिछड़ी जातियों में ही मौजूद है. इसे ध्यान में रखकर समाजवादी पार्टी ने यह समझौता किया है. सुभासपा ने पिछला चुनाव भाजपा के साथ लड़ा था. तब उसे 8 में 4 सीटों पर जीत मिली थी. उसे 0.70 फीसदी मत मिले थे. समाजवादी पार्टी का दूसरा बड़ा सहयोगी का नाम है महान दल. इसकी स्थापना केशव देव मौर्य ने 2008 में बसपा को छोडऩे के बाद की थी. इसका दल का आधार कुशवाहा, शाक्य, मौर्य, सैनी (माली) जैसी पिछड़ी जातियों को ही माना जाता है. महान दल पश्चिम यूपी के कुछ जिलों में प्रभावी दिखता है. इस पार्टी ने 2008 के बाद सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े. लेकिन अपना खाता खोलने में कामयाब नहीं हो सकी. महान दल ने 2012 का चुनाव 14 सीटों पर लड़ा था. लेकिन उसकी जमानत जब्त हो गई थी. महान दल को 96 हजार 87 वोट मिले थे. अगर बात साल 2017 के चुनाव की करें तो महान दल ने 74 सीटों पर यह चुनाव लड़ा. इनमें से 71 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी.
कांग्रेस और बसपा ने अभी तक एकला चलो की राह पर ही चल रहे हैं. बसपा ने अकेले ही चुनाव लडऩे का ऐलान किया है. वहीं कुछ ऐसी खबरें हैं कि कांग्रेस समझौते के लिए रालोद के साथ गुपचुप बातचीत कर रही है. हालांकि सपा चीफ अखिलेश यादव ने पहले ही कह रखा है कि उनकी पार्टी का रालोद से गठबंधन है. वहीं दूसरी ओर रालोद ने अपना घोषणापत्र तो जारी कर दिया है. लेकिन वह किससे समझौत करेगी यह स्पष्टï नहीं है.