जस्टिस वर्मा के तबादले को लेकर वकीलों का संग्राम

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे जाने पर मचा कोहराम
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट में अनिश्चितकालीन हड़ताल
  • वकील बोले- इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं
  • पब्लिक सर्वेंट और राजनेता की तरह ही जस्टिस वर्मा का भी ट्रायल होना चाहिए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जस्टिस यशंवत वर्मा के इलाहाबाद हाइकोर्ट तबादले पर इलाहाबाद के वकीलों का गुस्सा सांतवे आसमान पहुंच गया है। कोलेजियम के इस फैसले के विरोध में हाईकोर्ट के सभी वकील अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं। इस दौरान वकीलों ने किसी भी केस की सुनवाई में हाजिर होने से इनकार कर दिया है। बार एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप कर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की मांग की है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट अनिल तिवारी ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई डंपिंग ग्राउंड नहीं है। बार एसोसिएशन की आपात बैठक में सभी वकीलों ने एक स्वर में कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ेदान नहीं है कि भ्रष्टाचार के आरोपियों को यहां न्याय देने के लिए भेजा जाए।

मेरे खिलाफ रची गयी साजिश : यशवंत वर्मा

जस्टिस यशवंत वर्मा ने इसे अपने खिलाफ साजिश करार दिया है और जिस स्टोर रूम में पैसे रखे मिले है उससे पल्ला झाड़ लिया है। यही नहीं फायर सर्विस के मुखिया ने भी 21 मार्च को बयान जारी कर कहा कि न्यायधीश के घर से कोई पैसा नहीं मिला है। जबकि फायर सर्विस के जिन सिपाहियों को सबसे पहले पैसे दिखे उन पांच सिपाहियों के मोबाइल फोन जमा करवाये जा चुके हैं जोकि सीजेआई की जांच के अहम दस्तावेज हैं। जस्टिस यशंवत वर्मा ने कहा है कि उस स्टोर रूम को उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने आज तक इस्तेमाल नहीं किया।

न्यायिक कार्य पर रोक

सीजीआई ने जस्टिस यशंवत वर्मा के खिलाफ मिली शिकायत के आधार पर जांच शुरू कर दी है। यह जांच 1999 में किसी न्यायधीश के भ्रष्टाचार में कथित शामिल होने के बाद बने नियमों के तहत की जा रही है। इन नियमों में सबसे पहले सीजेआई संबधित न्यायधीश से जवाब मांगता है और यदि वह जवाब से संतुष्ट नहीं होता तो जांच समिति गठित कर आगे की कार्रवाई करता है। जस्टिस वर्मा के जवाब से सीजेआई सहमत नही दिखाई देते तभी उन्होंने तीन सदस्य जांच कमेटी का गठन कर दिया है। कमेटी ने उनके किसी भी न्यायिक कार्य में शामिल होने से रोक लगा दी है और उनसे सभी न्यायिक जिम्मेदारियां वापस ली जा चुकी है।

जस्टिस वर्मा का मूलकोर्ट में तबादला

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का तबादला उनके मूल हाईकोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय में करने की सिफारिश की है। ये सिफारिश ऐसे समय में आई है, जब उनके सरकारी बंगले में आग लगने के बाद वहां भारी मात्रा में नकदी मिली। जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने के फैसले के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन में नाराजग़ी फैल गयी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने उनके ट्रांसफर पर कड़ा एतराज जताते हुए उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट नहीं भेजने की अपील की है।

बोले उपराष्ट्रपति

राज्यसभा के सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना है कि स्वतंत्रता के बाद यह पहली बार है जब मुख्य न्यायाधीश ने सभी सामग्री को सार्वजनिक डोमेन में डाला है। उन्होंने न्यायपालिका की इन-हाउस प्रतिक्रिया को ‘सही दिशा में उठाया गया कदमÓ बताया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा एक समिति का गठन और उनके द्वारा दिखाई गई सतर्कता को भी विचार में लिया जाना चाहिए। न्यायपालिका और विधायिका जैसी संस्थाएं तभी अपना उद्देश्य अच्छे से निभा सकती हैं, जब उनका इन-हाउस तंत्र प्रभावी, त्वरित और जनता का विश्वास बनाए रखने वाला हो।

कॉरपोरेट वकील के तौर पर जस्टिस वर्मा ने शुरू किया था कॅरियर

जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने कैरियर की शुरूआत कारपोरेट वकील के तौर पर की थी। वह उत्तर प्रदेश के स्थाई वकील भी रह चुके हैं। जस्टिस यशवंत वर्मा 2016 में न्यायधीश बने और 2021 से वह बिक्रीकर जीएसटी खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे। सुनवाई के दौरान उन्होंने लीक से हटकर कई फैसले सुनाये। हाल ही में उन्होंने नेटफिल्क्सि की सीरीज पर रोक लगाने से मना कर दिया था। यही नहीं उन्होंने शीबू सोरेन के खिलाफ सीबीआइ जांच पर भी रोक लगा थी।

बढ़ रहा है सस्पेंस

अब यदि जस्टिस यशंवत वर्मा के बयान में सच्चाई है तो यह प्रकरण और ज्यादा पेचीदा हो रहा है। बड़ा सवाल यही है कि एक जज के घर के स्टोर रूम में इतनी नकदी कौन रख गया? क्या यह संभव है।

ट्रेड यूनियन ने भी हड़ताल का किया समर्थन

दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला होने पर भयंकर विवाद चल रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस तबादले के विरोध में आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है। ट्रेड यूनियन ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुबह 10:00 बजे से हाईकोर्ट के गेट नंबर 3 से विरोध प्रदर्शन शुरू कर हड़ताल कर दी है। वकीलों ने कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने पर बार एसोसिएशन ने कहा है कि सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीनियर एडवोकेट अनिल तिवारी ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। अनिल तिवारी के आवास पर हुई कार्यकारिणी की बैठक के बाद हड़ताल पर जाने का फैसला लिया गया।

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