मालपुरा दंगा केस: सबूतों के अभाव में 13 आरोपी बरी, कोर्ट ने पुलिस जांच पर उठाए सवाल
अदालत ने कहा है कि इस मामले में तीन जांच अधिकारी रहे. किसी ने भी मामले की ठीक तरह से जांच नहीं की.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: राजस्थान के टोंक जिलें में मालपुरा में 25 साल पहले हुए सांप्रदायिक दंगे के मामले में निचली अदालत ने बड़े फैसला सुनाया है। अदालत ने हत्या के मामले में 13 लोगों को बरी कर दिया।
राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा दंगा मामले से जुड़े एक केस में सांप्रदायिक दंगा मामलों की विशेष अदालत ने सभी 13 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में पुलिस की जांच पर सवाल खड़े किए हैं. अदालत ने कहा है कि इस मामले में तीन जांच अधिकारी रहे. किसी ने भी मामले की ठीक तरह से जांच नहीं की. कमजोर जांच की वजह से ही पर्याप्त सबूत सामने नहीं आए हैं और इसके चलते किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
आरोपियों के वकील वीके बाली और सोनल दाधीच ने बताया, ”इस मामले में सभी गवाहों के बयान विरोधाभासी थे.गवाहों ने कहा- आरोपियों के चेहरे ढके हुए थे. पुलिस ने वह हथियार भी बरामद नहीं किया, जिससे हत्या होना बताया गया.” कोर्ट ने भी माना कि पुलिस ने एक आरोपी को छोड़कर किसी की भी शिनाख्त परेड नहीं करवाई गई. जांच में वैज्ञानिक तथ्यों की अनदेखी की गई.
पीड़ित परिवार जाएगा ऊपरी अदालत
वहीं पीड़ित परिवार ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि वो ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे. इस मामले में शहजाद नाम के युवक ने मालपुरा थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी कि समुदाय विशेष के लोगों ने उसके भाई मोहम्मद सलीम और चाचा मोहम्मद अली की हत्या कर दी है. एफआईआर में कुछ लोगों को नामजद किया गया था, जबकि कई अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.
साल 2000 में मालपुरा में दो संप्रदायों के बीच दंगा हुआ था. इसमें एक पक्ष से हरिराम और कैलाश माली की मौत हो गई थी. दूसरे पक्ष से भी चार लोगों की मौत हुई थी. दोनों पक्षों की ओर से मामले दर्ज कराए गए थे. इसमें कुल 22 आरोपी थे.
7 आरोपियों को 2016 में ही हाईकोर्ट डिस्चार्ज यानी आरोपों से मुक्त कर चुका है. एक आरोपी की मौत हो चुकी है. एक आरोपी के नाबालिग होने के कारण उसका मामला जुवेनाइल बोर्ड में चल रहा है. 13 आरोपी बचे थे. कोर्ट ने इन सभी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है. विशेष अदालत मालपुरा दंगे से जुड़े एक अन्य मामले में 24 अगस्त को फैसला सुनाएगी.



