बिहार में बढ़ती मॉब लिंचिंग, नेवादा में मुस्लिम व्यक्ति को जिंदा जलाने की कोशिश

बिहार में एनडीए को मिली प्रचंड जीत के बाद वही कुछ होना शुरु हो चुका है जिसका अंदाज पहले से लगाया जा रहा था। बिहार भी अब यूपी और असम के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ता दिख रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार में एनडीए को मिली प्रचंड जीत के बाद वही कुछ होना शुरु हो चुका है जिसका अंदाज पहले से लगाया जा रहा था। बिहार भी अब यूपी और असम के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ता दिख रहा है।

एक व्यक्ति को जिंदा जलाकर मारने की कोशिश की गई है? वो भी सिर्फ और सिर्फ इसलिए कि व्यक्ति मुस्लिम समाज से ताआल्लुक रखता था। और सबसे बड़ी बात यह है कि नीतीश कुमार की पुलिस करने के बजाय गिरफ्तारियों को गिनाने में लगी हुई है। हालांकि इस बीच मॉब लिंचिग का शिकार हुए परिवार पर गम का पहाड़ टूट पड़ा है और तीन छोटे बच्चों की परवरिश पर संकट की काली छाया मंडराने लगी है। कैसे सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से नेवादा के एक गरीब मुस्लिम के साथ मॉब लिंचिंग हुइ्र है,

नवादा के एक गांव में मोहम्मद अतरह हुसैन अपना काम कर रहा था। वो एक साधारण आदमी था, परिवार पालने के लिए मेहनत करता था। लेकिन कुछ लोग आए, उसे घेरा। उन्होंने उसे कमरे में खींचा, उसकी पैंट खोली, और देखा कि वो मुसलमान है। फिर क्या? लोहे की रॉड से पीटा, उंगलियां तोड़ी, छाती पर खड़े होकर कुचला, प्लास से कान काटने की कोशिश की और यही नहीं उसके पट्रोल डालकर जलाने की कोशिश की गई। इतना जुल्म कि छह दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई। उसकी पत्नी ने बताया कि हमले वाले उसे मियां कहकर ताने मार रहे थे। ये कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि सोची-समझी नफरत थी।

पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन क्या न्याय होगा? शायद नहीं, क्योंकि ऐसे केसों में बीजेपी की सरकारें में न्याय की जगह राजनीति होती है। अब सोचिए, ये घटना अकेली नहीं है। बिहार में पहले भी मॉब लिंचिंग हुई हैं, लेकिन अब ये बढ़ रही हैं। क्यों? क्योंकि बिहार की एनडीए सरकार, जिसमें बीजेपी शामिल है, नीतीश सरकार भी यूपी और असम की तरह काम कर रही है। यूपी में योगी सरकार ने लव जिहाद कानून बनाए, मुसलमानों को कई बार टारगेट किया गया।

असम में हिमंता बिस्वा सरमा ने एनआरसी के नाम पर लाखों को बेघर किया। और अब बिहार में नीतीश कुमार की सरकार वही रास्ता अपनाती नजर आ रही है। ऐसे में कही न कहीं बीजेपी की राज्य सरकारों पर आरोप लगता है कि वो नफरत फैला रही हैं ताकि वोट बटोर सकें। लेकिन सबकुछ जनता की जान की कीमत पर हो रह है जोकि न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि एक गलत तस्वीर भारतीय समाज की दुनिया के सामने पेश कर रहा हैं।

आंकड़े झूठ नहीं बोलते। 2014 में मोदी सरकार आई, और उसके बाद मॉब लिंचिंग के मामले बढ़ गए। इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट कहती है कि 84 प्रतिशत विक्टिम मुसलमान हैं। क्यों? क्योंकि बीजेपी और आरएसएस कहीं न कहीं नफरती चिंटुओं को शह देती नजर आती हैं। उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाईयां नहीं होती है।

बीजेपी के राज्य सरकारों की हर कोशिश होती है कि इस तरह के लोगों को बचाया जाए। और नवादा की घटना इसी का नतीजा है। वैसे मोदी के परम भक्त बनने के बाद नीतीश कुमार कहते हैं कि सबका साथ, सबका विकास, लेकिन सच इससे अलग दिखाई देता है मोहम्मद अतहर एक गरीब परिवार से था ,वो गांव-गांव साइकिल पर कपड़े रखकर फेरी लगाता था। उस दिन वो काम पर था, जब नफरत पंसदों ने उसको पकड़ा। अतहर के परिवार वालों के अनुसार भट्टा गांव के पास, 6-7 युवकों ने उन्हें रोक लिया।

ये युवक नशे में लग रहे थे। उन्होंने अतहर से उनका नाम और पता पूछा। जब अतहर ने अपना नाम बताया – मोहम्मद अतहर हुसैन – तो वे और गुस्से में आ गए। अतहर की पत्नी, शबनम परवीन ने बाद में मीडिया को बताया कि उन युवकों ने अतहर की पैंट खोलकर उनका धर्म चेक किया। जी हां, आपने सही सुना – पैंट खोलकर देखा कि वे किस धर्म के हैं। फिर, उन्होंने अतहर पर चोरी का इल्जाम लगाया और बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, वे पेट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश भी कर रहे थे, लेकिन किसी तरह अतहर बच गए। लेकिन पीटाई इतनी बुरी थी कि उनकी हालत गंभीर हो गई और छह दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद अतहर की मौत हो गई।

और सबसे चौंका देने वाली बात यह है कि जब अतहर की पत्नी शाबाना ने केस दर्ज कराया तो उल्टे दूसरे ओर से अतहर पर चोरी के इल्जाम का केस दर्ज कराया दिया। जबकि घटना के बारे में मरने से पहले अतहर ने मीडिया से बात की थी, जिसमें इस बात का जिक्र था कि ये मॉब लिंचिंग की घटना है और परिवार वालों का दावा भी यही है लेकिन अब इस मामले को सीधे तौर पर चोरी के रुप में पेश किया जा रहा है ताकि आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई न की जा सके और वो गैर इरादतन हत्या के केस में बाद में आसानी से रिहाई हो जाए जबकि परिवार के अनुसार ये केस पूरी तरह से मॉब लिंचिंग से जुड़ा हुआ है। रोह थाना प्रभारी रंजन कुमार ने बताया कि मामला दर्ज कर तीन आरोपियों सोनू कुमार, रंजन कुमार और श्री कुमार को गिरफ्तार किया गया है। शेष की तलाश जारी है।

फॉरेंसिक टीम की मौजूदगी में मजिस्ट्रेटी पोस्टमार्टम कराया गया। इस वारदात के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई थी। अब अतहर की मौत के बाद मातम भी पसर गया है। वहीं पुलिस उन बाकी आरोपियों की तलाश कर रही है, जिन्होंने इस तरह क्रूरता से अतहर को मौत के मुंह में ढकेल दिया।

याद कीजिए, गिरिराज सिंह जैसे मंत्री मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने की बात करते हैं। जैसे कि ये उनका अपना देश नहीं हो और ये सबकुछ पीएम मोदी की छत्रछाया में होता है। जब अटल बिहारी बाजपेई हुआ करते थे तो वो ऐसे बयानों से गुरेज करने की बात करते थे लेकिन अब तो खुद पीएम साहब अक्सर चुनावी मंचों से मुस्लिमों को मिटा देने, डेमोग्राफी को दुरुस्त करने का मंच से ऐलान करते हैं। क्यों? क्योंकि ये उनकी वोट बैंक पॉलिटिक्स है।

अखलाक को यूपी में मार दिया, मोदी सरकार ने क्या कहा? दुखद घटना। लेकिन कोई सख्त एक्शन नहीं। यहां तक कि यूपी सरकार अब मुकदमें में सीधा इंटरफेयर भी शुरु कर चुकी है और अब अब नवादा में वही हुआ।

बिहार सरकार कह रही है जांच हो रही है, लेकिन जिस तरह से मॉब लिंचिंग की घटना को चोरी की घटना में बदलने का प्रयास हुआ है वो सारी कहानी को पलट देगा। नीतीश कुमार पहले सेकुलर थे, लेकिन अब मोदी के साथ मिलकर वही कर रहे हैं जो मोदी और आरएसएस चाहता है और बिहार भी अब यूपी और असम के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है.

शायद इसी वजह से बीजेपी ने नीतीश कुमार से गृह मंत्रालय लिया है कि वो अपने अन्य प्रदेशों की पॉलिसी की बिहार में भी लागू करेंगे लेकिन सम्राट को सम्राट बनाने की कोशिश की जाएगी लेकिन ये बिहार में नेवादा में हुई ये घटना ने न सिर्फ सम्राट चौधरी को सवालों के घेरे में ला दिया है बल्कि सीधे तौर पर नीतीश सरकार पर भी सवाल खड़ा कर रही है।

भले से ही नीतीश कुमार सेक्युलर रहे हों लेकिन उनकी पार्टी में ललन सिंह जैसे कई नेता हैं जो ये मानते हैं कि नीतीश को आगे गढ़ाने में मुस्लिमों को कोई योगदान नहीं है और इस बार के चुनाव में तो ये बात पूरी तरह से साफ भी हो गई है कि नीतीश कुमार के साथ मुस्लिम जुड़ने से कतरा रहे थे लेकिन उसके बाद भी नीतीश कुमार ने जीत दर्ज की हैं। ऐसे में नीतीश कुमार से सेक्युलर समुदाय को भी बहुत उम्मीदें तो नहीं थी लेकिन इतना जरुर था कि बिहार में जिस तरह की घटना अतहर के साथ हुई वो नहीं होगी और अगर ऐसी घटना होगी तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

लेकिन जिस तरीके से मॉब लिंचिंग को चोरी में बदलने का प्रयास हुआ है वो सच में नीतीश सरकार पर सवाल उठा रहा है। हालांकि अभी जांच जारी है लेकिन अतहर के तीन छोटे-छोटे बच्चे है। अतहर की वाइफ शबाना का संसार पूरी तरह से उजड़ चुका है। बच्चों की परवरिश कैसे होगी। परिवार को खर्चा कैसे पूरा होगा, बच्चों की पढ़ाई, दवाई और जीवन यापन कैसे चलेगा, ये सबसे बड़ा सवाल है। क्या जिन नफरत पंसदों ने एक परिवार को उजाड़ दिया है, नीतीश या मोदी सरकार इसी भरपाई कर पाएगी।

फिलहाल ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है। क्योंकि अतहर ने मीडिया में साफतौर पर बयान दिया है और परिवार वालों का भी सीधा आरोप है, इस वजह पुलिस से लेकर नीतीश सभी पर सवाल खड़े हो रहे है और कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार शायद सत्ता के लोभ में जय प्रकाश नरायण और जार्ज जी के रास्तों से बहुत हद तक हटते हुए दिख रहे हैं। पूरे मामले पर आपको क्या मानना है, क्या जिस तरह से अतहर के साथ हुआ है, क्या ये मॉब लिंचिंग की घटना नहीं है। और ये तो क्या ये बात गलत नहीं है कि इसको चोरी की घटना में बदलने का प्रयास हो रहा है। क्या नीतीश कुमार अब जय प्रकाश और जार्ज की रास्ते से अगल हो गए हैं।

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