मोहाली कोर्ट का आदेश, SHO जशनप्रीत सिंह पर थप्पड़ मारने के आरोप में दर्ज हो FIR
कोर्ट ने कहा कि यह राज्य के विरूद्ध अपराध है. अगर पीड़ित इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता, तब भी इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: मोहाली के एक कोर्ट ने पुलिस को SHO इंस्पेक्टर जशनप्रीत सिंह के खिलाफ कोर्ट चौकीदार को थप्पड़ मारने को आरोप में FIR दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य के विरूद्ध अपराध है. अगर पीड़ित इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता, तब भी इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
पंजाब के मोहाली की एक कोर्ट ने मंगलवार को पुलिस को तत्कालीन एसएचओ इंस्पेक्टर जशनप्रीत सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश था. इंस्पेक्टर पर आरोप था कि उन्होंने एक हाई प्रोफाइल आरोपी की पेशी के दौरान एक कोर्ट चौकीदार पर कथित तौर पर हमला कर दिया. अदालत ने इसे राज्य के विरुद्ध अपराध बताते हुए कहा कि इंस्पेक्टर की हरकतें उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर थीं.
न्यायिक मजिस्ट्रेट संगम कौशल ने बुधवार को आदेश पारित करते हुए इंस्पेक्टर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया, जिसमें स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, सरकारी कर्मचारी पर हमला करना, ड्यूटी में बाधा डालना और छीना झपटी करना शामिल हैं.
इस वजह से हुई झड़प
चौकीदार बलजीत और इंस्पेक्टर जशनप्रीत के बीच झड़प 6 जुलाई को एसएएस नगर कोर्ट परिसर के मुख्य द्वार पर हुई. इंस्पेक्टर को अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की पेशी के लिए सुरक्षा व्यवस्था संभालने के लिए तैनात किया गया था. गेट पर तैनात चौकीदार बलजीत सिंह ने कथित तौर पर बिना अनुमति के चाबियां देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद इंस्पेक्टर ने चौकीदार को थप्पड़ मार दिया. अदालत के आदेश के अनुसार इंस्पेक्टर ने चौकीदार से चाबियां छीन लीं और उसके चेहरे पर दो-तीन घूंसे मारे, इसके बाद गेट खोलने के लिए चाबियां अपने अधीनस्थ को सौंप दीं.
बलजीत ने इस मामले की जानकारी सिविल जज अनीश गोयल को दी. लेकिन बाद में जज को दिए गए बयान में बलजीत ने कहा कि वह शिकायत दर्ज नहीं कराना चाहते, क्योंकि यह घटना व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सार्वजनिक कर्तव्य से जुड़ी थी. पीड़ित के पीछे हटने के बावजूद, अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसे अपराधों में जानबूझकर चोट पहुंचाना, छीना-झपटी करना, किसी लोक सेवक को उसके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के लिए उस पर हमला करना आदि शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध गैर-समझौता योग्य है, जबकि पीड़ित एक सरकारी सेवा में तैनात है. उन्होंने कहा कि पीड़ित ने समझौता कर लिया, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उसके कहने पर अपराध सुलझ गया है.
सीसीटीवी फुटेज और जांच रिकॉर्ड के जरिए सुनाया फैसला
पीड़ित के पीछे हट जाने के बाद अदालत ने सीसीटीवी फुटेज, जांच रिकॉर्ड और गवाहों के बयानों के आधार पर अपना आदेश सुनाया. अदालत ने कहा कि फुटेज थोड़े अस्पष्ट है, लेकिन ये देखा जा सकता है कि आरोपी पीड़ित की ओर दौड़ रहा है और उसके बाद जल्दबाजी और मारपीट की घटना होती है. सीसीटीवी में इंस्पेक्टर बलजीत का गाल पकड़े हुए उसका पीछा करता हुआ दिखाई देता है, और इंस्पेक्टर गेट की चाबियां पकड़े हुए दिखाई देता है. इसी के आधार पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआर करने का आदेश दिया.
मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई यानी आज अनुपालन के लिए होगी. अदालत ने कहा कि यह मामला न्यायिक परिसर में आधिकारिक अधिकारों के दुरुपयोग को उजागर करता है और इसे केवल समझौते के आधार पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.



