सर्वे पर मोहन भागवत असहमत, आरएसएस से जुड़ी पत्रिका में लेख- विवादित स्थलों का इतिहास जानना जरूरी

नई दिल्ली। मस्जिदों के सर्वे की बढ़ती मांग के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में कहा कि ऐसे मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है. हालांकि आरएसएस से जुड़ी पत्रिका द ऑर्गनाइजर का मत अलग है. उसने तर्क दिया है कि विवादित स्थलों और संरचनाओं का वास्तविक इतिहास जानना महत्वपूर्ण है. पत्रिका ने संभल मस्जिद विवाद पर एक कवर स्टोरी प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया है कि कैसे संभल में शाही जामा मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर मौजूद था. इसमें संभल के सांप्रदायिक इतिहास का भी वर्णन किया गया है.
पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर के लिखे संपादकीय में कहा गया है, धार्मिक कटुता और असामंजस्य को खत्म करने के लिए एक समान दृष्टिकोण की आवश्यकता है. बाबासाहेब आंबेडकर जाति-आधारित भेदभाव के मूल कारण तक गए और इसे समाप्त करने के लिए संवैधानिक उपाय प्रदान किए. तर्क दिया गया है कि यह तभी हासिल किया जा सकता है जब मुसलमान सच्चाई को स्वीकार करें और इससे इनकार करने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा.
संपादकीय में आगे लिखा गया कि न्याय और सच्चाई जानने के अधिकार तक ऐसी पहुंच से इनकार करना सिर्फ इसलिए कि छद्म बुद्धिजीवी घटिया धर्मनिरपेक्षता को लागू करना जारी रखना चाहते हैं, इससे कट्टरवाद, अलगाववाद और शत्रुता को बढ़ावा मिलेगा.
19 दिसंबर को पुणे में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर हिंदुओं के लिए आस्था का मामला था, लेकिन उन्होंने कहा कि रोज ऐसे नए मुद्दों को उठाना अस्वीकार्य है.
मोहन भागवत के बयान पर स्वामी रामभद्राचार्य ने भी असहमति जताई थी. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत हिंदुओं के बारे में कोई आवाज नहीं उठाते. खाली अपनी राजनीति करते हैं. उनर्को ं सुरक्षा चाहिए और आनंद में जीवन व्यतीत करना है. संघ नहीं था तो क्या हिंदू धर्म नहीं था क्या. उन्होंने कहा कि राम मंदिर निर्माण आंदोलन में संघ की कोई भूमिका नहीं है. गवाही हमने दी. संघर्ष हमने किया. उन्होंने क्या किया.
पुणे में एक कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने देश में सद्भावना की वकालत की थी और मंदिर-मस्जिद को लेकर शुरू हुए नए विवादों पर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने हालिया विवादों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद ऐसे विवादों को उठाकर कुछ लोगों को लगता है कि वे हिंदुओं के नेता बन जाएंगे.

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