लापरवाही और भ्रष्टाचार का दूसरा नाम नगर निगम
- लगभग 2 साल से लंबित है भवन का नामांतरण, दौड़ भाग में फरियादी के लाखों रुपए बर्बाद
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। नगर निगम जोन 2 पर लगने वाले आरोपों का सिलसिला थम नहीं रहा है । घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे, बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला- बशीर बद्र साहब की यह लाइन मामले को बयान कर रहीं है। वहीं एक तरफ लखनऊ नगर आयुक्त इन्द्र जीत सिंह नगर निगम की छवि सुधारने का हर संभव प्रयास कर रहें है वहीं दूसरी तरफ कुछ अधिकारी/कर्मचारियों के भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण फरियादियों को नगर निगम भटकना पड़ रहा है।
बता दें कि भवन स्वामी के पास सभी स्वामित्व के दस्तावेज होने के बाद भी एक झूठी शिकायत पर उसका नाम नगर निगम के अभिलेखों से हटाकर पुन: मृतक का नाम दर्ज कर के टैक्स मृतक के नाम से वसूल किया जा रहा है। जोन-2 के भवन संख्या एमआईजी-37 का है। वर्ष 2020 में भवन का नामांतरण भवन स्वामी मनुदिप शर्मा के नाम हुआ था जिसमें मनुदीप के द्वारा स्वामित्व के सभी दस्तावेज उपलब्ध करवाए गए थे। साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के द्वारा मनुदीप के पक्ष में निष्पादित फ्री होल्ड डीड होने के बाद भी नगर निगम लखनऊ के तत्कालीन कर अधीक्षक चन्द्र शेखर यादव द्वारा पीडि़त मनुदीप शर्मा का नाम नगर निगम के अभिलेखों से हटा दिया गया। बताते चलें उक्त भवन मनुदीप शर्मा के पिता व माता के देहांत के बाद मनुदीप को एक लौते विधिक उत्तराधिकारी होने के नाते प्राप्त हुआ।
कार्यवाही से बच रहे वर्तमान जोनल अधिकारी
वहीं वर्तमान में तैनात जोनल अधिकारी दिव्यांशु पाण्डेय भी उक्त प्रकरण में कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं हो रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक जोनल अधिकारी पाण्डेय पीडि़त मनुदीप के मामा के पड़ोसी है जिसकी वजह वह कार्यवाही करने से बच रहें हैं। जोनल अधिकारी पुराने अधिकारियों का नाम लेकर कहते हैं की जब पुराने अधिकारियों ने आप का काम नहीं किया तो मैं क्यों करूं । जोनल अधिकारी उक्त प्रकरण में शांत दिखते है और पीडि़त से मिलने और उसका फोन उठाने से बचते हैं । हैरानी वाली बात है कि नोडल अधिकारी अरुण कुमार गुप्ता के द्वारा उपरोक्त मामला संज्ञान लेने के बाद भी आखिर जोनल क्यों शांत है और कार्यवाही के नाम पर पत्राचार कर के समय व्यतीत कर रहें हैं।