पहले दो चरणों में मुस्लिम बदल सकते हैं चुनाव परिणाम!

लखनऊ। वेस्ट यूपी में मुस्लिम मतदाता चुनाव परिणाम बदल सकते हैं। बीस जिलों में चुनावी रण सज चुका है और सियासी दल आमने-सामने हैं। पहले चरण का चुनाव दस तथा दूसरे चरण का चुनाव 14 फरवरी को है। दोनों चरणों में बड़ी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं। अहम यह है कि कई सीटों पर मुस्लिम वोटरों की तादाद काफी है और वे चुनाव का परिणाम बदलने की कुव्वत रखते हैं। यही कारण है कि भाजपा को छोड़ दिया जाए तो बाकी दलों ने मुस्लिमों पर खूब दांव लगाया है। शुरुआती दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की जिन 113 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, वहां मुस्लिम वोटों की तगड़ी पकड़ है। पहले चरण में 11 जिलों की 58 और दूसरे चरण में नौ जिलों की 55 सीटों पर मतदान होना है।

इन सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन, बसपा, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी ने जमकर मुस्लिमों को टिकट दिए हैं। इन दलों ने 127 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इनमें पहले चरण की सीटों पर 50 तो दूसरे चरण की सीटों पर 77 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी रण में हैं। बता दें कि पहले चरण में सपा-रालोद गठबंधन के 13, बसपा के 17, कांग्रेस के 11 और एआईएमआईएम के 9 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। दूसरे चरण में सपा-रालोद गठबंधन के 18, बसपा के 23, कांग्रेस के 21 और एआईएमआईएम के 15 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं। पिछले चुनाव में पहले चरण वाली 58 में से 53 और दूसरे चरण वाली 55 में से 38 सीटें भाजपा ने जीती थीं। पश्चिमी यूपी की नौ सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर सब पर भारी हैं। इन नौ सीटों पर मुस्लिम वोटरों की तादाद करीब 57 फीसदी है।

 

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