10-10 हजार में NDA ने खरीदे महिलाओं के वोट! बिहार चुनाव पर नेहा सिंह राठौर के तीखे बयान
दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से आज एक तरफ जहां NDA खेमे में ख़ुशी की लहर है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष बेईमानी के आरोप लगा रहा है। आलम ये है कि चुनाव आयोग पर खुलेआम आरोप लग रहे हैं।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से आज एक तरफ जहां NDA खेमे में ख़ुशी की लहर है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष बेईमानी के आरोप लगा रहा है। आलम ये है कि चुनाव आयोग पर खुलेआम आरोप लग रहे हैं।
आम जनता से लेकर विपक्षी नेता तक सवाल दाग रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग इस मामले पर मूक बना भाजपा की जीत के जश्न में शामिल हो रहा है। वो एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि ‘जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का’. ठीक वैसा ही हुआ बिहार चुनाव में, चुनाव आयोग ने सत्ताधारी गठबंधन को फुल छूट दे दी और आदर्श आचारसंहिता लागू होने के बाजवूद बिहार में नीतीश सरकार द्वारा महिलाओं को पैसे बांटे गए लेकिन चुनाव आयोग के मुँह से चूँ तक नहीं निकली। और आचार संहिता का धौंसा दिखाया भी गया तो सिर्फ विपक्ष पर। खैर चुनावी नतीजों के आने के बाद विपक्ष ने अब घेरना शुरू कर दिया है।
इसी कड़ी में अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाली भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौड़ ने भी भाजपा समेत चुनाव आयोग पर सवाल खड़े कर दिए। वोट चोरी जैसे मुद्दों को उठाते हुए रेखा सिंह राठौड़ ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि बिहार का चुनाव लोकतंत्र की छाती पर पैर रखकर लड़ा गया है. चाहे आप इसे मेहनत कहिए, रणनीति कहिए, कूटनीति कहिए या चाणक्य नीति कहिए… लेकिन है ये चोरी और बेईमानी ही. साथ ही सवाल भी किया कि आख़िर कब तक बिहार के लोगों को सस्ता लेबर बनाने की साजिश चलती रहेगी? बिहार के मुद्दे बिहार चुनाव में क्यों नहीं उठाये जाते?
हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है जब नेहा सिंह राठौड़ ने सत्ताधरी दल और बिहार के उन वोटरों को घेरा हो, जिन्हे बिहार में विकास और रोजगार नहीं चाहिए बल्कि अंधभक्ति में डूबे लोगों को ऐसी सरकार चाहिए जिसमें लोगों को रोजगार और अपनी ज़रूरतों के लिए दर बा दर की ठोकरें खानी पड़ें। वहीं इससे पहले भी चुनावी नतीजों के आने के बाद नेहा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि बिहार के इस दस हजारी चुनाव ने साबित कर दिया कि बिहार के लोगों को रोजगार और विकास से कोई मतलब नहीं है। उन्हें तो बस मनोरंजन चाहिए।
ऐसा नेता चाहिए जो कट्टे और गमछे की बात करें। उनके बिहारीपने को समझे और उनके मजदूरों वाली पहचान को सरंक्षित करे। नेहा सिंह राठौर ने कहा कि बिहार की असली पहचान तो यहां कि बेरोजगारी और पलायन है। जो भी इस पहचान को खत्म करना चाहेगा बिहार के लोग उसे हराकर ही दम लेंगे। अगर बिहार में कारखाने लग जाएंगे तो फिर विरह के गीतों का क्या होगा? फिर रेलिया बैरन जैसे गीत कौन गाएगा? उन्होंने कहा कि परदेस से वापस बिहार लौटने का सुख कैसे लेंगे बिहार के लोग?
गौरतलब है कि जिस तरह से नेता ने इन मुद्दों को उठाया है और चुनाव आयोग से सवाल किये हैं। ऐसे ही कई और नेता भी चुनाव आयोग से सवाल दाग चुके हैं। वहीं जीत के बाद पीएम मोदी ने गमछा लहरा कर अपनी जीत का अभिवादन किया। पीएम मोदी ने कार से उतरते ही गमछा लहरा कर लोगों का अभिवादन किया। इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान मुजफ्फरपुर में मोदी ने गमछा हवा में लहराया था। पीएम मोदा का यह वीडियो काफी वायरल हुआ था।
पीएम मोदी पहले भी कई बार गमछा लहराकर संदेश दे चुके हैं। हालांकि जिस तरह से नेता सिंह राठौड़ पीएम मोदी और भाजपा पर आरोप गए रही हैं कई ये लोग गमछा और कट्टा पॉलिटिक्स करते हैं जिसे लेकर खुद पीएम मोदी चर्चा में रह चुके हैं। दरअसल बिहार चुनाव के प्रचार के दौरान उन्होंने गमछा, कट्टा जैसे शब्दों का सहारा लेकर अपना चुनावी प्रचार किया था जिसे लेकर अब पीएम मोदी पर सवाल उठ रहे हैं।
हालांकि बिहार चुनाव जीतने के लिए NDA ने किस तरह से सिस्टम का मिसयूज़ किया है ये बात अब जनता भी बखूबी समझ रही है। बता दें कि आदर्श आचारसंहिता लागू होने के बावजूद भी नीतीश सरकार ने बिहार की महिला वोटरों को लुभाने के लिए जमकर पैसे बांटे और चुनाव आयोग ने भी NDA से दोस्ती निभाते हुए जमकर साथ दिया और मोदी-नीतीश ने जो किया उन्हें करने दिया।
तभी तो बिहार में इलेक्शन से ठीक पहले महिलाओं के खाते में 10,000 रुपये डालने के एनडीए सरकार के फैसले ने चुनाव परिणाम को जिस तरह से प्रभावित किया है, उससे आधी आबादी वाली मतदाताओं की अहमियत और भी बढ़ गई है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। बीते चार वर्षों में इसी तरह से 10 से ज्यादा राज्यों में महिला वोटरों का घर ‘लक्ष्मी’ से भरने वाला यह चुनावी फॉर्मूला जोरदार तरीके से काम कर चुका है।
बिहार में वोटों की गिनती से पहले जब यह मालूम पड़ा कि पुरुषों के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत ज्यादा महिलाओं ने वोट डालकर राज्य में मतदान के सारे रिकॉर्ड तोड़ने में योगदान दिया है, तभी अनुमान लगाया जाने लगा कि आने वाला परिणाम किस ओर इशारा कर रहा है। क्योंकि, बीते कुछ वर्षों में यह देखा जा चुका है कि जितने भी राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं, उनमें से दो-तिहाई में महिला मतदाताओं ने मतदान करने में पुरुषों को पछाड़ दिया है। और बिहार में NDA ने पूर्ण बहुमत दर्ज कर लिया। हालांकि विपक्षी नेता इसे लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने तीखी प्रतिक्रिया दी हैं. उन्होंने इस जीत में चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि जनता ने बदलाव का मन बनाया था लेकिन, चुनाव आयोग की वजह से ऐसा नतीजा आया है. अवधेश प्रसाद ने कहा कि- बिहार चुनाव में बड़े पैमाने पर लोकतंत्र को खरीदा गया, जब चुनाव की घोषणा होती है और पूरे राज्य में आचार संहिता लागू होती है, तब सरकार की ओर से महिलाओं के खातों में 10-10 हज़ार रुपये जमा किए जाते हैं.
यह लोकतंत्र के लिए और लोकतंत्र का जो मान्यताएं हैं, आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया गया है. इसमें चुनाव आयोग की बहुत अहम भूमिका रही. इसके कारण इस तरह का नतीजा आया. हालांकि चुनावी फैसला भले ही NDA के पक्ष में आया हो लेकिन ये अब सब समझ चुके हैं कि चुनाव जीतने के लिए कैसे भाजपा मंडली ने चुनाव आयोग की सह से लोकतंत्र का गला घोटा है।



