बिहार में बैकफुट पर एनडीए बदली चुनावी रणनीति

- निशांत को आगे किया, युवा व अनुभव का मेल
- युवा बिहार, युवा सीएम जैसे भवनात्मक नारों की बहार
- तेजस्वी यादव के धुंआधार अटैक के बाद अब नीतीश नहीं निशांत होंगे पोस्टर ब्वाय
- तेजस्वी ने दिया था नारा टायर्ड भी रिटायर्ड भी सीएम नीतीश कुमार
- निशांत के चुनाव लडऩे का रास्ता साफ
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार की सियासी पिच बहुत तेजी से अपना मिजाज बदलती दिखायी दे रही है। कप्तान नीतीश कुमार की खराब परफार्मेंस और मंत्रीमंडल विस्तार के बाद घटित घटनाओं ने विपक्ष को दमदार अवसर प्रदान किये। तेजस्वी यादव के टायर्ड और रिटायर्ड सीएम जैसे नारे और लालू यादव के पक्ष में लगे टाइगर जिंदा है जैसे पोस्टर से एनडीए बिहार में बैकफुट पर है और उसने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। ताजा रूझानों और बयानों के आधार पर यह बात कही जा सकती है कि सीएम नीतिश के डैमेज कंट्रोल के तौर पर उनके बेटे निशांत को आगे कर तेजस्वी के अटैक को कम करने की कोशिश की जा रही है।
सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार बिहार चुनाव 2025 से राजनीति में डेब्यू करेंगे। इस बात की मुकम्मल तस्दीक हो चुकी है। वह नालांदा से चुनाव लड़ेंगे और तेजस्वी यादव के आरोपों को डिफेंड करेंगे। निशांत के पक्ष में गिरिराज सिंह से लेकर शहनवाज हुसैन तक के बयान आ चुके हैं। यही नहीं जीतन राम मांझी भी निशांत के चुनाव लडऩे की वकालत कर चुके हैं। तेजस्वी यादव ने बिहार के जातिगत और समाजिक आंकड़ों को पेश कर आरोप लगाये थे कि बिहार में 60 फीसदी संख्याा युवाओं की हैं और सीएम 70 वर्ष पार कर चुके हैं। उन्हें युवाओं की समस्याओं का पता नहीं। सरकार रोजगार को छोड़कर दूसरे सभी अन्य मुददों पर बात कर रही है।
असर कर गया तेजस्वी का बयान!
तेजस्वी की यह बात बिहार के लोगों में धर गयी और तेजी से महौल बदलने लगा। तेजस्वी के इस बयान के बाद एनडीए ने अपनी रणनीति में बदलाव किया और फ्रंटफुट पर नीतिश के बेटे निशांत का नाम आगे कर दिया। अब यदि राजद युवाओं की बात करेंगे तो जनता दल युनाइटेड के पास युवा भी अनुभव भी जैसे नारों के साथ उनके आरोपों को काटने की प्लानिंग है।
खट््टा—मीठा हो सकता है निशांत का आगमन
यदि निशांत चुनाव लड़ते हैं तो इस पहलू का राजनीति फायदा भी है और नुकसान होने की संभावना भी है। जदयू के भीतर ही बहुत से ऐसे लोग है जो नहीं चाहते कि निशांत चुनाव लड़े और राजनीति में सक्रिय हों। जैसा की यूपी में हुआ था अखिलेश यादव के सीएम बनने का सबसे ज्यादा विरोध पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों ने किया था। यही कारण था कि यूपी में सपा दोबारा से सरकार बनाने से चूक गयी। यदि बिहार में भी निशांत को आगे किया जाता है तो पार्टी के भीतर गुटबाजी बड़ जाएगी। खुद जदयू जो अभी तक एक है टूट सकता है और वरिष्ठ नेता राजद में जा सकते हैं। इस तरह की खबरों का खुलासा खुद तेजस्वी यादव दे चुके हैं। तेजस्वी दावा कर चुके हैं कि उनके सम्पर्क में बिहार सरकार के कई मंत्री है। पूर्व में भी जदयू के कई वरिष्ठ राजद की सदस्या ग्रहण कर चुके हैं। जदयू के मुस्लिम विधायक और मंत्री बीजेपी से तालमेल के बाद पार्टी के भीतर स्वंय को असहल महसूस कर रहे हैं।
सरल और सौम्य निशांत
निशांत कुमार कम बोलते हैं और सार्वजनिक जीवन में अभी उनकी सीएम नीतिश कुमार के बेटे के तौर पर ही पहचान है। उनके पास किसी भी चुनाव को लडऩे का अनुभव नहीं है। ऐसे में क्या वह राजनीतक कौशल में परिपक्वव हो चुके तेजस्वी यादव का अकेले मुकाबला कर सकेंगे यह सवाल बड़ा है। हालांकि एनडीए की रजानीति नीतिश कुमार के इर्दगिर्द ही रहेगी। निशांत को बस युवाओं वाले मुददे को मैनेज करने के लिए आगे किया जा रहा है। क्योंकि सर्वे के मुताबिक नीतिश सरकार को लेकर बिहार के लोगों में अब कोई साफ्ट कार्नर नहीं बचा है। हां अंकगणित जरूर एनडीए के पक्ष में है लेकिन यदि किसी नारे या फिर लहर ने चुनाव के बीच जन्म ले लिया तो फिर एनडीए के लिए मुश्किल हो सकती है।
वक्फ बिल ने बिगाड़ा खेल
बिहार में नीतीश कुमार को भारी संख्या में मुसलमानों का वोट मिलता है। लेकिन बीजेपी के समर्थन से सरकार चलाने से मुस्लमान बिहार में उनसे उतना नाराज नहीं है जितना वक्फ बिल पर उनकी चुप्पी को लेकर मुस्लमान नाराज है। यदि पटल पर वक्फ बिल पेश हो जाता है जिसके आसार कम है तो इसका असर बिहार के चुनाव पर एनडीए के लिए निगेटिव होगा। जो मुस्लिम वोट नीतिश के साथ जाता है वह या तो तटस्थ हो जाएगा या फिर बीजेपी को हराने वाले दल के साथ जुड़ सकता है। ऐसे में 2 से तीन फीसदी वोटों का स्विंग ही तेजस्वी सरकार बनाने के लिए काफी होगा।
मोतिहारी में गरजे राजद प्रमुख, बोले-जनता अब बदलाव चाहती है
मोतिहारी। राष्टï्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मोतिहारी में एक बड़ा राजनीतिक बयान देकर बिहार की सियासत को गर्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनने से कोई माई का लाल नहीं रोक सकता। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता पक्ष चाहे जितनी भी बातें करे, जनता अब बदलाव चाहती है और वह बदलाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आएगा। राजद सुप्रीमो मोतिहारी के कल्याणपुर से विधायक मनोज कुमार यादव के पिता दिवंगत कामरेड यमुना यादव की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कोटवा प्रखंड के जसौली जमुनिया गांव पहुंचे थे। इस अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उन्होंने करीब आठ मिनट तक लोगों को संबोधित किया। अपने चिर-परिचित भोजपुरी अंदाज में लालू यादव ने लोगों से अपील की कि वे गांव-गांव जाकर तेजस्वी यादव की योजनाओं का प्रचार करें और महागठबंधन के प्रत्याशियों को भारी मतों से जिताएं।
‘माई बहिन मान योजनाÓ को बताया क्रांतिकारी पहल
लालू यादव ने तेजस्वी यादव द्वारा प्रस्तावित ‘माई बहिन मान योजना’ की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह योजना महिलाओं के सशक्तिकरण और सम्मान के लिए एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि यह योजना जनता के दिलों में उतर चुकी है और अब इसकी गूंज हर गांव-हर टोले तक पहुंचनी चाहिए।
पशुपति पारस भी सीएम नीतीश पर बरसे
चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस ने भी सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर आग उगली है। उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में उन नेताओं को वोट न दें जो भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं और जिन्होंने पिछले 20 वर्षों में बिहार को कोई विकास नहीं दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जातिवाद में डूबा हुआ और बीमारू बताया है। पारस ने जनता से नए युग की शुरुआत करने के लिए कहा है।
बदलाव के लिए कांग्रेस की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहा बिहार
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि बिहार में बहुत उथल-पुथल है और यह स्पष्ट है कि जब इतनी अशांति होती है, तो लोग बदलाव चाहते हैं। बिहार अब बदलाव के लिए कांग्रेस की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री का स्वास्थ्य एक चिंता का विषय है। उनके बेहतर स्वास्थ्य की हम कामना करते हैं। लेकिन, नीतीश कुमार के स्वास्थ्य और बिहार की जो स्थिति है, उसे देखते हुए चिंता बढ़ जाती है। अस्वस्थ मुख्यमंत्री के हाथों में बिहार कितना सुरक्षित है यह एक गंभीर सवाल है।