देश में काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा 2 अप्रैल, “विश्वगुरु” के खोखले दावे पर बड़ा खुलासा!
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में आने वाले लगभग हर उत्पाद पर कम से कम दस फीसदी टैरिफ लगाने का फ़ैसला लिया है....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत के इतिहास में दो अप्रैल दो हजार पच्चीस का दिन एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो सकता है…… अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर छब्बीस प्रतिशत का रेसिप्रोकल टैरिफ थोप दिया है…… और इस फैसले ने न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है….. बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित “विश्वगुरु” छवि को भी धूल में मिला दिया है…… ट्रंप के इस कदम ने साफ कर दिया है कि वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक ताकत महज एक खोखला दावा है……. जहां एक ओर ट्रंप ने इसे “लिबरेशन डे” करार देते हुए अमेरिकी उद्योगों के पुनर्जन्म की बात कही…… वहीं भारत में यह हाहाकार और आर्थिक तबाही का सबब बनता दिख रहा है……. इस खबर में हम न केवल इस टैरिफ संकट के हर पहलू के बारे में बात करेंगे….. बल्कि यह भी जानेंगे कि मोदी सरकार के राज में देश की स्थिति कितनी दयनीय हो चुकी है…..
अमेरिका ने दो अप्रैल दो हजार पच्चीस को घोषणा की थी कि वह भारत सहित कई देशों पर जवाबी टैरिफ लगाएगा…… भारत पर छब्बीस प्रतिशत का टैरिफ….. चीन पर चौंतीस प्रतिशत, वियतनाम पर छियालीस प्रतिशत और यूरोपीय संघ पर बीस प्रतिशत का शुल्क लगाया गया…… ट्रंप ने इसे अमेरिकी हितों की रक्षा का कदम बताया और कहा कि भारत ने हमारे साथ सही व्यवहार नहीं किया…… यह बयान उस दोस्ती की हकीकत खोलता है……. जिसे मोदी बार-बार “मेरा दोस्त डोनाल्ड” कहकर गर्व से दिखावा करते थे…… लेकिन ट्रंप ने साफ कर दिया कि उनकी नजर में दोस्ती से ज्यादा अमेरिकी अर्थव्यवस्था की प्राथमिकता है…… इस टैरिफ का सबसे ज्यादा असर भारत के ऑटोमोबाइल, स्टील….. और कृषि क्षेत्र पर पड़ने की आशंका है….. विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत के निर्यात को बुरी तरह प्रभावित करेगा….. जिसका सीधा असर देश की जीडीपी…. और रोजगार पर होगा…..
वहीं अब सवाल यह है कि आखिर मोदी सरकार ने इस संकट को टालने के लिए क्या किया….. इसका सीधा सा जवाब है कुछ भी नहीं……. ट्रंप के इस फैसले से पहले भारत को कोई ठोस कूटनीतिक रणनीति बनानी चाहिए थी…….. लेकिन मोदी सरकार की निष्क्रियता ने देश को इस आर्थिक संकट में धकेल दिया…… सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप ने मोदी को चेतावनी दी थी कि अगर भारत अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ में कटौती नहीं करता…… तो जवाबी कार्रवाई होगी…… लेकिन मोदी सरकार ने न तो इस चेतावनी को गंभीरता से लिया….. और न ही कोई प्रभावी जवाब तैयार किया…… नतीजा? ट्रंप ने भारत को “टैरिफ किंग” करार देते हुए यह कड़ा कदम उठा लिया…….. यह साफ है कि मोदी की कथित वैश्विक नेतृत्व की छवि ट्रंप जैसे नेताओं के सामने बौनी साबित हुई है…… जहां ट्रंप ने अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति को मजबूती से लागू किया…… वहीं मोदी ने भारत के हितों को दांव पर लगा दिया…..
आपको बता दें कि इस टैरिफ का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर तत्काल दिखना शुरू हो गया है…… शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई…… और मात्र दस सेकंड में एक लाख तिरानबे हजार करोड़ रुपये डूब गए…… ऑटोमोबाइल सेक्टर, जो पहले से ही मंदी की मार झेल रहा था….. अब और गहरे संकट में फंस गया है…… स्टील उद्योग, जो भारत के निर्यात का अहम हिस्सा है…… वहीं अब अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं रह गया…… कृषि क्षेत्र, जो पहले से ही किसानों के विरोध….. और सरकारी नीतियों की मार झेल रहा है…… अब इस टैरिफ के कारण और कमजोर होगा……. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत का व्यापार घाटा बढ़ेगा……. मुद्रास्फीति में उछाल आएगा…. और आम आदमी की जेब पर भारी बोझ पड़ेगा…..
वहीं ट्रंप के टैरिफ ने भारत को आर्थिक मंदी के कगार पर ला खड़ा किया है…… अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि यह कदम वैश्विक व्यापार को प्रभावित करेगा…… और भारत जैसे विकासशील देशों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा….. गोल्डमैन सैक्स जैसे निवेश बैंकों ने मंदी की संभावना को पैंतीस प्रतिशत तक बढ़ा दिया है….. इसका कारण साफ है कि भारत की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर मांग……. निजी निवेश में कमी और बेरोजगारी की मार झेल रही है…… हाल ही में आयकर में कटौती के बावजूद लोगों की खर्च करने की क्षमता घटी है….. वहीं अब टैरिफ का यह झटका देश को और गहरे संकट में धकेल सकता है…… जहां एक ओर ट्रंप का दावा है कि यह नीति अमेरिका को समृद्ध बनाएगी……. वहीं भारत में यह तबाही का कारण बन रही है…..
आपको बता दें कि मोदी सरकार की सबसे बड़ी नाकामी यह रही कि उसने इस संकट से निपटने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई….. वहीं जब ट्रंप ने टैरिफ की घोषणा की……. तो भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने बस इतना कहा कि वह इसका “विश्लेषण” कर रहा है…… क्या यह विश्लेषण देश को इस संकट से बचा पाएगा….. शायद नहीं…… सरकार की नीतियों ने पहले ही किसानों, मजदूरों और छोटे उद्यमियों को निराश किया है….. वहीं अब यह टैरिफ संकट उनकी कमर तोड़ने वाला है……. विपक्षी नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में इसे “अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाला कदम” करार दिया…… और सरकार से सवाल किया कि वह इसके खिलाफ क्या कर रही है……. लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया…… यह साफ है कि मोदी सरकार के पास न तो कोई रणनीति है….. और न ही जनता के प्रति जवाबदेही…..
इस टैरिफ का सबसे बड़ा असर आम जनता पर पड़ेगा….. आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी……. जिससे महंगाई में भारी उछाल आएगा……. पेट्रोल-डीजल से लेकर रोजमर्रा की चीजें तक महंगी होंगी…… दूसरी ओर, निर्यात प्रभावित होने से लाखों नौकरियां खतरे में पड़ेंगी…. ऑटो सेक्टर में पहले ही छंटनी शुरू हो चुकी है…… और अब स्टील और कृषि क्षेत्र में भी यही हाल होने वाला है…… मोदी सरकार के “मेक इन इंडिया” जैसे नारे अब खोखले साबित हो रहे हैं…… क्योंकि वैश्विक बाजार में भारत की साख दांव पर लग गई है…… जनता पूछ रही है…. क्या यही है अच्छे दिन……..
आपको बता दें कि ट्रंप के इस कदम ने भारत की वैश्विक छवि को भी नुकसान पहुंचाया है….. जहां मोदी खुद को विश्वगुरु बताने में व्यस्त थे……. वहीं ट्रंप ने एक झटके में भारत को उसकी औकात दिखा दी…… अमेरिका के साथ भारत की कथित “रणनीतिक साझेदारी” अब मजाक बनकर रह गई है…… ट्रंप ने साफ कहा कि भारत ने अमेरिकी उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ लगाकर व्यापार को असंभव बना दिया था……. लेकिन सवाल यह है कि क्या मोदी सरकार ने इस खतरे को भांपने की कोशिश की…… इसका भी जवाब वही है नहीं…….. भारत की यह कूटनीतिक हार न केवल अमेरिका के साथ संबंधों को प्रभावित करेगी……. बल्कि अन्य देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों पर भी सवाल उठाएगी…..
ट्रंप के टैरिफ के जवाब में भारत क्या कर रहा है…… कुछ भी नहीं…… जहां अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट वेसेंट ने चेतावनी दी कि जवाबी शुल्क न लगाएं…… वहीं भारत सरकार चुप्पी साधे हुए है…… विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को संतुलित प्रतिक्रिया देनी चाहिए……. लेकिन मोदी सरकार में वह हिम्मत नहीं दिख रही……. क्या भारत अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगा सकता है….. शायद नहीं….. क्योंकि इससे अमेरिका के साथ संबंध और बिगड़ सकते हैं…… लेकिन इस निष्क्रियता का खामियाजा देश की जनता को भुगतना पड़ रहा है……. सरकार की यह कमजोरी साफ करती है कि मोदी के राज में भारत की विदेश नीति पूरी तरह असफल हो चुकी है…..
आपको बता दें कि मोदी सरकार के ग्यारह साल के शासन में देश की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है……. बेरोजगारी अपने चरम पर है, महंगाई आसमान छू रही है…… और अब यह टैरिफ संकट अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर रहा है…… “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे जुमले हवा में उड़ गए हैं……. किसान सड़कों पर हैं…… युवा नौकरियों के लिए भटक रहे हैं, और उद्योग मंदी की मार झेल रहे हैं…… ट्रंप का यह टैरिफ संकट मोदी सरकार की नाकामी का सबसे बड़ा सबूत है…… जहां दुनिया के बड़े नेता अपने देश के हितों की रक्षा कर रहे हैं…… वहीं मोदी ट्रंप के सामने नतमस्तक हो गए हैं……. यह साफ है कि उनके राज में देश न केवल आर्थिक, बल्कि सामाजिक और नैतिक रूप से भी कमजोर हो गया है…..



