Waqf Bill को लेकर मुस्लिमों का फूटा गुस्सा, घुटनों पर आए मोदी-शाह
वक्फ संसोधन विधेयक भारतीय राजनीति के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो रही है...... वक्फ (संशोधन) विधेयक दो हजार पच्चीस.....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः वक्फ संसोधन विधेयक भारतीय राजनीति के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो रही है…… वक्फ (संशोधन) विधेयक दो हजार पच्चीस….. जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़े जोर-शोर से संसद में पारित करवाया……. अब उसी सरकार के गले की फांस बनता दिख रहा है…… आपको बता दें कि इस विधेयक के खिलाफ देशभर में मुस्लिम समुदाय का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है……. मणिपुर से लेकर उत्तर प्रदेश तक…… कर्नूल से कोलकाता तक, काला पट्टा बांधकर नमाज़ अदा करने से लेकर विशाल प्रदर्शनों तक…… यह आंदोलन अब एक जन-आक्रोश में तब्दील हो चुका है……. दूसरी ओर, एनडीए गठबंधन में सहयोगी दलों के बीच दरारें साफ दिख रही हैं…… क्या यह वक्फ कानून वापस होगा…… क्या मोदी सरकार इस संकट से उबर पाएगी…… या फिर यह बीजेपी की उस अहंकारी सत्ता का अंतिम अध्याय साबित होगा……. जो पिछले 11 सालों से अल्पसंख्यकों को निशाना बनाती रही है……
आपको बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक दो हजार पच्चीस को संसद में पारित कराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता……. और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम” करार दिया था…… और उन्होंने दावा किया कि यह कानून वक्फ बोर्डों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करेगा…… और मुस्लिम समुदाय के गरीब तबके को लाभ पहुँचाएगा……. लेकिन मुस्लिम समुदाय इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता…… और संपत्तियों पर सीधा हमला मान रहा है…… वहीं इस विधेयक के प्रमुख प्रावधानों ने आग में घी डालने का काम किया है…….. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति…….. संपत्ति विवादों का फैसला सरकारी अधिकारियों को सौंपना……. और “वक्फ बाय यूज़र” की मान्यता खत्म करना……. ये ऐसे कदम हैं, जिन्हें मुस्लिम संगठन…… और नेता “असंवैधानिक” और “सामुदायिक पहचान के खिलाफ” बता रहे हैं…….
बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद पच्चीस और छब्बीस का उल्लंघन करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है…… AIMPLB के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यह बिल वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की साजिश है…… यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है…… जिसे हम किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे…… बोर्ड ने देशव्यापी आंदोलन की घोषणा की है…… जिसमें दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक विशाल सम्मेलन…… और मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, और पटना में बड़े प्रदर्शन शामिल हैं…..
आपको बता दें कि मणिपुर में मेइतेई-पंगल समुदाय ने इस बिल के खिलाफ सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन किए…… इम्फाल में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में कई लोग घायल हुए…… उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में तीन सौ से अधिक लोगों को काले पट्टे पहनकर विरोध करने के लिए नोटिस थमाए गए…… जिसके बाद स्थानीय प्रशासन पर दमनकारी रवैया अपनाने के आरोप लगे……. कर्नूल में एक बैठक में वक्ताओं ने इसे “मुस्लिम विरोधी एजेंडा” करार दिया…… और शांतिपूर्ण लेकिन सख्त विरोध की चेतावनी दी…… AIMPLB ने साफ कहा कि जब तक यह कानून पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता…… हमारा आंदोलन जारी रहेगा……. वहीं अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी ने इस बिल के जरिए मुस्लिम समुदाय को जानबूझकर उकसाया है……. ताकि ध्रुवीकरण की अपनी पुरानी रणनीति को फिर से आजमाया जा सके……. या फिर यह उसकी हिंदुत्ववादी नीति का एक और कदम है…… जो अल्पसंख्यकों को कुचलने के लिए उठाया गया है……
बता दें कि दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई बीजेपी को दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनावों में करारा झटका लगा…… और दो सौ चालीस सीटों पर सिमटकर यह पार्टी अब सहयोगी दलों…… जेडी(यू), टीडीपी, एलजेपी (रामविलास), और आरएलडी….. के भरोसे सत्ता चला रही है…… लेकिन वक्फ बिल ने इस गठबंधन की नींव को हिला दिया है…… बिहार में नीतीश कुमार की जेडी(यू) इस बिल के समर्थन के बाद मुस्लिम नेताओं के इस्तीफों से जूझ रही है……. पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अली अशरफ फातमी ने इस्तीफा दे दिया…… और कई स्थानीय नेताओं ने नीतीश पर “मुस्लिम विरोधी” होने का आरोप लगाया……. आपको बता दें कि जेडी(यू) के एक बड़े नेता ने कहा कि मुस्लिम वोट पहले ही हमारे हाथ से निकल चुके हैं…… यह बिल कोई नया नुकसान नहीं करेगा……. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में हमारी हार तय कर सकता है…..
वहीं चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) भी इस संकट से अछूती नहीं है…… मुस्लिम कार्यकर्ताओं ने चिराग पर बीजेपी के सामने “घुटने टेकने” का आरोप लगाया है…… बिहार में मुस्लिम वोटों का रुझान तेजी से लालू प्रसाद यादव की आरजेडी की ओर बढ़ रहा है….. जो दो हजार पच्चीस के विधानसभा चुनाव में एनडीए के लिए खतरे की घंटी है……. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी इस बिल के समर्थन को लेकर असमंजस में है…… सूत्रों के मुताबिक, नायडू मुस्लिम समुदाय के दबाव में इस कानून के खिलाफ स्टैंड ले सकते हैं…… टीडीपी के एक नेता ने कहा कि हमारा आधार मुस्लिम और ईसाई समुदायों में भी है…… इस बिल का समर्थन हमारे लिए आत्मघाती होगा…..
उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी की आरएलडी भी संकट में है….. पार्टी के मुस्लिम नेता शाहजेब रिजवी ने इस्तीफा दे दिया….. और बीजेपी पर “साम्प्रदायिक साजिश” का आरोप लगाया….. मणिपुर में बीजेपी माइनॉरिटी मोर्चा के अध्यक्ष के घर को आग के हवाले कर दिया गया…… क्योंकि उन्होंने इस बिल का समर्थन किया था….. वहीं यह साफ है कि सहयोगी दल बीजेपी के इस फैसले से खुश नहीं हैं…… सवाल यह है कि क्या ये दल खुले तौर पर बगावत करेंगे…… या फिर मोदी के दबाव में चुपचाप घुटने टेक देंगे….
आपको बता दें कि बीजेपी और मोदी सरकार इस बिल को पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में पेश कर रही है…… केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा कि यह बिल मुस्लिम धार्मिक मामलों में दखल नहीं देता……. बल्कि संपत्तियों को निजी लाभ के लिए लीज पर देने वालों को पकड़ेगा…… वक्फ संपत्तियों का इस्तेमाल गरीब मुस्लिमों के कल्याण के लिए होना चाहिए…… लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे हिंदुत्व एजेंडे का हिस्सा मानते हैं….. कांग्रेस की सोनिया गांधी ने इसे “संविधान पर हमला” करार दिया….. और कहा कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश है…… AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने इसे “मुस्लिम संपत्तियों पर सरकारी कब्जे की साजिश” बताया….. और चेतावनी दी….. यह बिल बीजेपी की अल्पसंख्यक विरोधी नीति का चरम है……
वहीं यह पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार पर अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों का आरोप लगा हो…… नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और ट्रिपल तलाक कानून जैसे कदमों ने पहले भी मुस्लिम समुदाय को नाराज किया था…… लेकिन वक्फ बिल का विरोध बहुत बड़ा है….. क्योंकि यह सीधे उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा है….. बीजेपी शायद यह मान रही थी कि सहयोगी दलों का समर्थन…… और संसद में बहुमत इस बिल को आसानी से लागू करवा देगा…… लेकिन सड़कों पर उमड़ा जन-आक्रोश और सहयोगी दलों की बेचैनी ने इस रणनीति को ध्वस्त कर दिया है…… क्या यह हिंदुत्व की जीत है…… या फिर एक आत्मघाती कदम…. जो बीजेपी को ले डूबेगा…..
वहीं AIMPLB ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा……. जब तक यह “भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण” कानून रद्द नहीं हो जाता……. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पंद्रह अप्रैल को एक विशाल सम्मेलन की योजना है…… जिसमें लाखों लोग शामिल होंगे…… मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, और पटना में बड़े प्रदर्शन होंगे…… सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद….. और असदुद्दीन ओवैसी ने अलग-अलग याचिकाएँ दायर की हैं…… जिसमें इसकी संवैधानिकता को चुनौती दी गई है…… वहीं अगर अदालत इस बिल के खिलाफ फैसला सुनाती है…… तो यह मोदी सरकार के लिए करारा झटका होगा……
जिसको लेकर सहयोगी दलों का दबाव भी बढ़ रहा है……. अगर नीतीश, नायडू, चिराग, और जयंत जैसे नेता खुले तौर पर विरोध में आते हैं……. तो एनडीए में टूट निश्चित है…… बीजेपी के पास दो रास्ते हैं….. या तो वह इस बिल को वापस ले….. और अपनी साख बचाए, या फिर जिद पर अड़ी रहे….. और गठबंधन के साथ-साथ अपनी राजनीतिक जमीन खो दे….. वहीं अब देखना होगा की भंयकर विरोध के बाद सरकार बैकफुट पर आती है….. या फिर इसी तरह से हिटलर शाही जारी रहती है…. मोदी सरकार ने पहले दिन से ही जनता को धोखा देने का काम किया है…. जितने भी वादे सरकार के द्वारा किए गए वे एक भी वादे अभी तक पूरे नहीं हुए…. बावजूद इसके सरकार की नाकामी के चलते देश आर्थिक मंदी की दलदल में धंसता हुआ दिखाई दे रहा है…. लेकिन सरकार सब कुछ चाक चौबंद होने का दावा कर रही है…..



