विवादास्पद आदेश पर CM सख्त: बोले- जाति-धर्म के नाम पर न हो कार्रवाई; पंचायती राज के संयुक्त निदेशक पर गिरी गाज

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंचायती राज विभाग द्वारा जारी उस विवादास्पद आदेश पर सख्त नाराजगी जताई है, जिसमें ग्रामसभा की भूमि से अवैध कब्जा हटाने की कार्यवाही को जाति विशेष (यादव) और धर्म विशेष (मुस्लिम) से जोड़कर निर्देशित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने संबंधित आदेश को पूर्णतः भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य करार देते हुए उसे तत्काल प्रभाव से रद्द करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, निदेशक पंचायती राज ने इसे रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर आदेश जारी करने वाले संबंधित संयुक्त निदेशक एसएन सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि इस प्रकार की भाषा और सोच न केवल शासन की नीतियों के विरुद्ध है, बल्कि समाज में विभाजन पैदा करने वाली है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध कब्जों के खिलाफ कार्यवाही पूरी निष्पक्षता, तथ्यों और कानून के अनुसार होनी चाहिए, न कि जाति या धर्म के आधार पर। उन्होंने अधिकारियों को इस प्रकार की गलती की पुनरावृत्ति नहीं होने देने की चेतावनी भी दी है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि सरकार समरसता, सामाजिक न्याय और सबके समान अधिकारों के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। सरकार की नीतियां किसी व्यक्ति, समुदाय या वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह से प्रेरित नहीं हो सकतीं। हमारी प्रतिबद्धता संविधान और न्याय की मूल भावना के प्रति है।
बता दें कि बलिया के डीपीआरओ अवनीश कुमार श्रीवास्तव ने दो जुलाई को जिले के सभी विकास खंड अधिकारियों को निदेशक पंचायती राज की ओर से 29 जुलाई को जारी आदेश का हवाला देते हुए दो जाति विशेष के लोगों द्वारा गांव की सार्वजनिक जमीनों पर किए गए कब्जा को खाली कराने के लिए अभियान चलाने का निर्देश जारी किया था। इसे लेकर विवाद खड़ा हो गया था।
डीपीआरओ बलिया का यह आदेश जैसे ही सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो हडकंप मच गया। निदेशालय ने आनन -फानन में आदेश की जांच की गई तो पता चला कि पंचायती राज निदेशक अमित सिंह की जानकारी के बिना ही संयुक्त निदेशक एसएन सिंह की ओर से यह आदेश जारी किया गया है।

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