राधा अष्टमी के दिन विधि-विधान से करें पूजा, मनोकामनाएं होंगी पूर्ण 

हिन्दू-धर्म की मान्यताओं के अनुसार राधाअष्टमी का पर्व आज बुधवार (11 सितंबर) को देशभर में धूम-धाम से मनाया जा रहा है...

4PM न्यूज नेटवर्क: 

  • राधाअष्टमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप
  • मनोकामनाएं होंगी पूर्ण, दूर हो जाएंगे सभी कष्ट
  • ऐसे में सभी समस्याओं से मिल सकता है छुटकारा

हिन्दू-धर्म की मान्यताओं के अनुसार राधाअष्टमी का पर्व आज बुधवार (11 सितंबर) को देशभर में धूम-धाम से मनाया जा रहा है। राधा अष्टमी, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। राधा जी को भगवान श्रीकृष्ण की संगिनी और भक्ति की देवी माना जाता है। आपको बता दें कि इस दिन व्रत, पूजा और भजन-कीर्तन के माध्यम से भक्त राधा-कृष्ण की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

धार्मिक मत है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर राधा रानी संग जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की पूजा-भक्ति करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही भजन-कीर्तन और सत्संग का पाठ किया जाता है।

विधि-विधान से करें पूजा, मनोकामनाएं होंगी पूर्ण

  • इस शुभ अवसर पर मोक्ष प्रदान करने वाली राधा रानी संग भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
  • वैष्णव समाज के उपासक राधा रानी के निमित्त अष्टमी का व्रत भी रखते हैं।
  • इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • इसके साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।
  • साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भी राधा रानी की उपासना करते हैं।
  • भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीजी संग बांके बिहारी की पूजा करें।

 इन मंत्रो का जाप करने से होगा धन लाभ

धार्मिक शास्त्रों के हिसाब से राधाष्टमी की पूजा राधा रानी के इस आठ अक्षरों के मंत्र के साथ आरंभ करना बहुत शुभ माना जाता है।  अग्नि देव को खीर चढ़ाई जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी हो सकती है।

  • ओम ह्रीं श्रीराधिकायै नम:
  • ओम ह्रीं श्री राधिकायै नम:

अगर आपको हमेशा आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ती है, तो राधा रानी के इस सप्ताक्षर मंत्र का जाप जरूर करें। इस मंत्र का सवा लाख बार जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।

  • ओम ह्रीं राधिकायै नम:
  • ओम ह्रीं श्रीराधायै स्वाहा

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