शहरों में होगी हमारी सरकार…यहां के हम हैं दावेदार..
अब महापौर, अध्यक्ष व सभासद बनने का सपना होगा पूरा
- प्रत्याशी पार्टी दफ्तरों के लगाने लगे चक्कर
- भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस ने शुरू की तैयारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी चुनाव आयोग ने नगर निगम चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के साथ ही पूरे प्रदेश में शहरी चुनावी राजनीति में प्रत्याशियों को लेकर सरगर्मियां भी तेज हो गई है। सपा, भाजपा, कांग्रेस, बसपा से लेकर आप तक के कार्यालयों में सभासदी, अध्यक्षी व मेयर की कुर्सी चाहने वालों की भीड़ जुटने लगी है। उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों का ऐलान कर दिया गया है। प्रदेश में निकाय के 14 हजार से ज्यादा पदों के लिए 4 और 11 मई को मतदान होंगे। 13 मई को वोटों की गिनती की जाएगी। इस बार के निकाय चुनाव में नगर निगम के पदों पर ईवीएम से वोटिंग कराई जाएगी, जबकि नगर पालिका और नगर पंचायत में बैलट पेपर के जरिए ही वोटिंग होगी। इस बार के चुनाव में मतदाताओं की संख्या तो बढ़ी ही है। साथ ही निकायों की संख्या और मतदान केंद्र भी बढ़ाए गए हैं।
प्रदेश के 760 निकायों के 14684 पदों पर 4 और 11 मई को निर्वाचन कराया जाएगा। प्रदेश के 17 नगर निगमों में ईवीएम से वोटिंग कराई जाएगी जबकि नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों का चुनाव बैलट पेपर से होगा। चुनाव आयुक्त ने बताया कि साल 2017 के मुकाबले इस बार चुनाव में मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। करीब 96 लाख 35 हजार 832 वोटर्स इस बार बढ़े हैं। वहीं, 2017 के सापेक्ष इस बार सात निकाय भी बढ़े हैं। 653 निकाय साल 2017 में थे, जबकि इस बार 760 निकायों में वोटिंग होगी। इस बार वोटिंग के लिए 2 हजार 361 मतदान केंद्र बढ़ाए गए हैं। साल 2017 के मुकाबले साल 2023 में 2024 पदों (अध्यक्ष, महापौर और पार्षद) की भी बढ़ोतरी हुई है। चुनाव आयुक्त ने बताया कि साल 2023 में 2 लाख मतदानकर्मियों की जरूरत पड़ेगी। महापौर के लिए (80 वार्ड से कम) 35 लाख रुपये, (80 से ज्यादा) 40 लाख रुपये, नगर पालिका के लिए 9 लाख और 12 लाख, पार्षद नगर निगम के लिए 3 लाख की खर्च सीमा रखी गई है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि निकाय चुनाव में अतिसंवेदनशील केंद्रों का चिह्नीकरण किया जा रहा है। इसके हिसाब से सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया जाएगा।
कई नामों की चर्चा
संयुक्ता भाटिया लखनऊ की पहली मेयर का खिताब इनके नाम है। साल 2017 के चुनाव में 3,77,166 वोट मिले थे। उन्होंने सपा प्रत्याशी मीरा वर्धन को करीब 1.31 लाख वोटों से हराया था। रेशू भाटिया बीजेपी क्षेत्रीय महिला मोर्चा में कोषाध्यक्ष हैं। पिछले एक दशक से पार्टी में सक्रिय हैं। निवर्तमान मेयर संयुक्ता भाटिया की बहू हैं। पति प्रशांत भाटिया संघ में सक्रिय हैं। अपर्णा यादव सपा के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की बहू हैं। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में आईं। चुनाव के लिए बनी महिला टीम की सक्रिय सदस्य रहीं। अब तक कोई पद या दायित्व नहीं मिला है। बिंदू बोरा: सामाजिक कार्यक्रमों के साथ समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहीं। लखनऊ उत्तर से विधायक डॉ. नीरज बोरा की पत्नी हैं। उत्तर विधानसभा के अलावा लखनऊ के कई इलाकों में उनकी सक्रियता है। अलका दास बाबू बनारसी दास की बहू और पूर्व मेयर अखिलेश दास की पत्नी हैं।। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा के लिए भी उनके नाम की पैरवी हुई थी। अब मेयर के टिकट के लिए उनके नाम की चर्चा है। नम्रता पाठक डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की पत्नी हैं। पिछले कुछ बरसों से सामाजिक कार्यक्रम और समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। बीजेपी संगठन में कोई पद नहीं है, लेकिन पार्टी के अभियानों में सक्रिय हैं।
मेयर पद के लिए पैरवी मेें नेता
नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही हर दल में टिकट को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। पर्दे के पीछे दावेदारों ने पैरवी तेज कर दी है। दावेदार देर शाम से पार्टी कार्यालय से लेकर बड़े नेताओं की चौखट पर पहुंचने लगे। एक तरफ बीजेपी में सास-बहू और बड़े नेताओं की पत्नियों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, वहीं सपा में ब्राह्मण चेहरे को टिकट मिलने की चर्चा है। हालांकि बसपा में सबकी निगाहें पार्टी सुप्रीमो मायावती की तरफ टिकी हैं जबकि कांग्रेस से एक पूर्व मंत्री की बेटी को दावेदार बताया जा रहा है। हालांकि किस दल से किसे टिकट मिलेगा और कौन कौन मैदान में उतरेगा? यह नामांकन शुरू होने के साथ पता चलेगा। बीजेपी में पर्दे के पीछे से दावेदारी तेज हो गई है। टिकट की आस में लखनऊ से लेकर दिल्ली तक दावेदार दौड़ लगाने लगे हैं। पार्टी से लेकर संघ कार्यालय तक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। लेकिन पार्टी चौंकाने वाला चेहरा भी मैदान में उतार सकती है।
सपा ब्राह्मणों पर डालेगी डोरे
सपा ब्राह्मण चेहरे पर दांव! निकाय चुनाव का बिगुल फूंकने के साथ सपा में मेयर कैंडिडेट के नाम पर मंथन तेज हो गया है। पार्टी राजधानी में जातीय समीकरण को साधने के लिए मेयर कैंडिडेट पर किसी ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगा सकती है। नगर सपा कार्यालय में भी मेयर पद के लिए कई ब्राह्मण चेहरे ने आवेदन भी किया है। जबकि पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा की पत्नी स्वाति मिश्रा का नाम टिकट की रेस में सबसे आगे चल रहा है। टिकट के लिए ये हैं दौड़ में स्वाति मिश्रा पूर्व मंत्री अभिषेक मिश्रा की पत्नी हैं। इन्हें पूर्व सीएम अखिलेश यादव का सबसे करीबी माना जाता है।वहीं ज्योति शुक्ला सपा के टिकट पर डालीगंज वॉर्ड से दो बार पार्षद रह चुकी हैं। साथ ही इनके पति मुकेश शुक्ला भी सपा से पार्षद रह चुके हैं। अल्पना वाजपेयी लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ में उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित रह चुकी हैं। किरन पाण्डेय सपा में निवर्तमान नगर महिला सभा की अध्यक्ष रह चुकी हैं। मीरा वर्धन: साल 2017 में मेयर पद पर चुनाव लड़ चुकी हैं। मेयर चुनाव में दूसरे स्थान पर रही थीं। कांति सिंह सपा के समर्थन से साल 2014 में एमएलसी का चुनाव जीता था। श्वेता मनोचा पति पवन मनोचा सपा व्यापार सभा के उपाध्यक्ष रह चुक हैं। साथ ही पंजाबी समाज से ताल्लुक रखते हैं। मुस्लिम चेहरे पर भी विचार: मुस्लिम चेहरा मुनव्वर राना की बेटी सुमैया राना ने भी आवेदन किया है। इसके अलावा सपा नेता नाहिद लारी खान भी मेयर का चुनाव लडऩे की इच्छा जता चुकी हैं।
आप ने भी दुरुस्त की अपनी क्षमता
आम आदमी पार्टी (आप) में लखनऊ मेयर प्रत्याशी के लिए अब तक करीब 15 आवेदन आ चुके हैं। इनमें ज्यादातर शिक्षक, चिकित्सक, ब्यूरोकेट्स, अधिवक्ता और सामाजिक क्षेत्रों में काम का अनुभव रखने वाली महिलाएं हैं। सूत्रों के मुताबिक, सबसे मजबूत दावेदारों में नीलम यादव, इस्मा जहीर, कायनाथ सिद्दीकी और सौम्या भट्ट के नाम बताए जा रहे हैं। इस बारे में आप जिलाध्यक्ष रोहित श्रीवास्तव का कहना है कि फिलपाल स्क्रीनिंग कमिटी आवेदकों के विभिन्न पहलुओं पर मंथन कर रही है। वहीं सौम्या भट्ट सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने दो दिन पहले ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सदस्यता ली है। वह एक लॉ फर्म भी चलाती हैं। नीलम यादव: वर्तमान में प्रदेश महिला विंग की अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। वह केंद्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी हैं। प्रदेश संगठन में उनकी मजबूत पैठ बताई जा रही है।इस्मा जहीर: गोमतीनगर निवासी इस्मा पार्टी के खेल प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष हैं।कायनात सिद्दीकी: इंदिरानगर निवासी कायनात सिद्दीकी पेश से आर्किटेक्ट हैं। वह पार्टी में तिरंगा शाखा प्रमुख हैं। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ पूर्वी से आप के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
चुनाव आयोग ने कहीं ये बातें
1- 14684 पदों पर निर्वाचन कराया जाएगा।
2- पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष और सदस्यों का चुनाव मतपेटिका से जरिए किया जाएगा।
3- साल 2017 के मुकाबले इस चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। करीब 96 लाख 35 हजार 832 वोटर्स इस बार बढ़े हैं।
4- 2017 के सापेक्ष इस बार सात निकाय बढ़े हैं। 760 निकाय इस बार हैं। 653 साल 2017 में थे।
5- 2 हजार 361 मतदान केंद्र बढ़ाए गए हैं।
6- साल 2017 के मुकाबले साल 2023 में 2024 पदों (अध्यक्ष महापौर और पार्षद) की बढ़ोतरी हुई है।
7- साल 2023 में 2 लाख मतदानकर्मियों की जरूरत पड़ेगी।
8- महापौर के लिए 80 वार्ड से कम 35 लाख रुपये, 80 से ज्यादा 40 लाख रुपये। नगर पालिका के लिए 9 लाख और 12 लाख। पार्षद नगर निगम के लिए 3 लाख खर्च सीमा होगी। अतिसंवेदनशील केंद्रों का चिह्नीकरण किया जा रहा है। जिलाधिकारियों को कहा है कि संवेदनशीलता का आकलन करके सूचित करें।
543 निकायों में चुनाव
बता दें कि उत्तर प्रदेश के 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 543 नगर पंचायत चुनावों के लिए मतदान कराए जाएंगे। इसके अलावा तकरीबन 4 हजार पार्षद इस प्रक्रिया के तहत चुने जाएंगे। बीते दिनो उत्तर प्रदेश सरकार ने निकाय चुनावों को लेकर आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत महिलाओं के लिए 288 सीटें आरक्षित की गई हैं। इसके अलावा ओबीसी के लिए 205 सीटें, एसस के लिए 110, एसटी के लिए 2 सीटें आरक्षित की गई हैं। ओबीसी आरक्षण को लेकर पेच फंसने के बाद ही दिसंबर 2022 में होने वाले चुनाव को अब कराया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की ओर से जारी ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना को खारिज कर दिया था और बिना आरक्षण ही चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। आरक्षण तय करने में प्रक्रिया का पालन न किए जाने का हवाला देकर अधिसूचना खारिज की गई थी। इसके बाद योगी सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग गठित कर नए सिरे से आरक्षण के लिए सर्वे कराया और फिर अधिसूचना जारी की थी।