आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक पर संसद की मुहर, राज्यसभा से भी पास
नई दिल्ली। आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक की सिर्फ खामियां गिनाने और एक भी उपयोगी सलाह नहीं देने को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी नेताओं को आड़े हाथों लिया। राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार के हर काम को शंका की नजर से न देखे। इस विधेयक को लाने का एकमात्र उद्ïदेश्य अपराधियों के खिलाफ पुख्ता इलेक्ट्रानिक सुबूत जुटाकर जल्द से जल्द सजा दिलाना है। विपक्ष को इसमें राजनीति नहीं देखनी चाहिए। आपराधिक प्रक्रिया पहचान विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया। लोकसभा ने इसे दो दिन पहले ही पास कर दिया था। अब राष्टï्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा, जो बंदी पहचान अधिनियम, 1920 का स्थान लेगा। दरअसल, लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा सत्तापक्ष और विपक्ष में बंटी दिखी। लोकसभा में कांग्रेस के मनीष तिवारी के बाद राज्यसभा में पी चिदंबरम ने भी विधेयक को असंवैधानिक, मानवाधिकारों के खिलाफ, निजता के अधिकारों के हनन करने वाला और पुलिस को अत्यधिक शक्तियां देने वाला बताया। तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, वामपंथी दलों समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी इन्हीं तर्कों के आधार विधेयक का विरोध किया और उसे संसद की स्थायी या प्रवर समिति को भेजने की मांग की। विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर राय द्वारा मोदी सरकार को फासिस्ट बताए जाने पर शाह ने बंगाल सरकार को घेरा। राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ङ्क्षहसा की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि बंगाल सरकार ने फासिस्ट की नई परिभाषा गढ़ दी है।
जघन्य मामलों में बड़ी संख्या में छूट जाते हैं अपराधी
विपक्ष के इस रवैये पर आपत्ति जताते हुए अमित शाह ने कहा कि सरकार के हर फैसले का विरोध करना उचित नहीं होगा। विपक्ष के सदस्यों को विधेयक के प्रावधानों का विरोध करने और उसकी खामियां गिनाने का अधिकार है, लेकिन यदि वे अपराधियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाने के लिए कोई नया सुझाव देते तो बेहतर होता। शाह ने विधेयक के प्रविधानों दुरुपयोग की आशंका जताने पर भी विपक्ष पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आप इसीलिए शंका कर रहे हो, क्योंकि आपने सत्ता में रहकर कानून का दुरुपयोग किया है। लोकतंत्र में किसी की सत्ता स्थायी नहीं होती और कल कोई भी दल सत्ता में आ सकता है। उन्होंने कहा कि कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए देश में अदालतें मौजूद हैं।