पतंजलि ने किया बड़ा आयुर्वेदिक शोध: इस दवा को बताया रामबाण

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि का उद्देश्य आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करना और विश्व की स्वास्थ्य से जुड़ी वर्तमान समस्याओं का समाधान प्रदान करना है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः आयुर्वेदिक ज्ञान और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के मेल से पंतजलि आयुर्वेद ने एक नया रास्ता दिखाया है। पतंजलि द्वारा विकसित की गई आयुर्वेदिक औषधि ब्रोंकोम अब माइक्रोप्लास्टिक से होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में प्रभावी सिद्ध हो रही है।

वर्तमान में पूरी दुनिया प्लास्टिक प्रदूषण की गंभीर समस्या से जूझ रही है। प्लास्टिक के अति सूक्ष्म कण, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है, अब वह पानी और भोजन में आसानी से पाए दा रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार,हम अनजाने में हर दिन इन कणों का सेवन कर रहे हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य खतरे उत्पन्न हो सकते हैं। जब ये माइक्रोप्लास्टिक कण मानव शरीर, विशेष रूप से फेफड़ों में प्रवेश करते हैं, तो ये सूजन, जलन और कोशिकीय क्षति जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।  इन्हीं समस्याओं के समाधान के रूप में पतंजलि ने ब्रोंकोम को एक प्राकृतिक विकल्प के तौर पर प्रस्तुत किया है।

इस औषधि में प्रयुक्त आयुर्वेदिक घटक ऐसे गुणों से युक्त हैं जो शरीर से सूजन कम करने, श्वसन तंत्र को मजबूत करने और विषैले तत्वों को निष्क्रिय करने में मदद करते हैं। पतंजलि के अनुसार, ब्रोंकोम न केवल माइक्रोप्लास्टिक से उत्पन्न लक्षणों को कम करने में सहायक है, बल्कि यह आयुर्वेदिक औषधियों की वैज्ञानिक प्रासंगिकता को भी प्रमाणित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि आयुर्वेद और विज्ञान के इस संगम से नई चिकित्सा संभावनाएं उभर रही हैं, जो भविष्य में और भी व्यापक स्तर पर मानव स्वास्थ्य को लाभ पहुंचा सकती हैं।

पतंजलि ने की रिसर्च
पतंजलि के वैज्ञानिकों द्वारा चूहों पर किए गए नवीनतम शोध ने यह पुष्टि की है कि माइक्रोप्लास्टिक के कारण होने वाले फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी को आयुर्वेदिक औषधि ब्रोंकोम से काफी हद तक रोका जा सकता है. इस अनुपम अनुसंधान से पुष्टि हुई कि ब्रोंकोम के उपचार ने माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले फेफड़ों के इन्फ्लेमेशन से जुड़ें मार्कर्स जैसे Cytokine Releaseतथा इसके साथ-साथ Airway Hyper-Responsiveness को कम किया. यह शोध विश्व प्रतिष्ठित Elsevierप्रकाशन के अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल Biomedicine & Pharmacotherapy में प्रकाशित हुआ है.

आपको बता दें,कि इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि का उद्देश्य आयुर्वेद को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित करना और विश्व की स्वास्थ्य से जुड़ी वर्तमान समस्याओं का समाधान प्रदान करना है. यह शोध प्रमाणित करता है कि सनातन ज्ञान, लक्षित अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित औषधियों के माध्यम से पर्यावरणीय कारकों द्वारा जनित बीमारियों का भी समाधान संभव है. पतंजलि अनुसंधान संस्थान के उपाध्यक्ष और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने इस अवसर पर कहा कि सनातन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के इस अद्भुत संगम में पूरे विश्व को निरोगी बनाने की अपार क्षमता है. हमारा प्रयास है कि आयुर्वेद के इस प्राचीन ज्ञान को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ प्रस्तुत किया जाए.

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