राज्यसभा में कांग्रेस पर जमकर बरसे पीएम मोदी, बोले- अगर कांग्रेस न होती तो…

PM Modi lashed out at the Congress in the Rajya Sabha, said - If there was no Congress then...

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दिया। इस दौरान पीएम मोदी कांग्रेस पर जमकर हमला बोला उन्होंने बताया कि अगर महात्‍मा गांधी की इच्‍छा के अनुरूप अगर आजादी के बाद कांग्रेस समाप्‍त हो गई होती तो क्या होता? पीएम मोदी ने कहा कि अगर कांग्रेस न होती तो देश में कश्मीरी पंडितों का पलायन न होता, 1984 का दंगा न हुआ होता और तंदूर कांड न हुआ होता।

पीएम मोदी ने कहा कि अगर कांग्रेस न होती तो आपातकाल का कलंक न होता। अगर कांग्रेस न होती तो दशकों तक भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाकर नहीं रखा जाता। अगर कांग्रेस न होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी न होती। अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता। सालों साल पंजाब आतंकवाद की आग में न जलता। कश्मीर के पंडितों के कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती। बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं न होती। देश के सामान्य जन को सड़क, बिजली, पानी और शौचालय की मूलभूत सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार न करना पड़ता। अगर कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता और भारत विदेशी के बजाय स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं गिनाता रहूंगा कि कांग्रेस जब सत्ता में रही तो देश का विकास नहीं होने दिया। अब जब विपक्ष में है तब देश के विकास में बाधा डाल रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अब नेशन पर आपत्ति है। यदि नेशन गैर संवैधानिक है तो आपकी पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस क्यों रखा गया? अबकी यह नई सोच आई है तो इसका नाम बदल दीजिए। अपने पूर्वजों की गलती सुधार दीजिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने सभी राजनीतिक दलों से अपने-अपने राजनीतिक दलों में लोकतांत्रिक आदर्शों और मूल्यों को विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की सबसे पुरानी पार्टी के रूप में कांग्रेस को तो इसकी जिम्मेवारी जरूर उठानी चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश की आजादी के बाद कांग्रेस को विलुप्त करने की बात कही थी और ऐसा हो गया होता तो दशकों तक देश को विभिन्न समस्याओं से दो-चार ना होना पड़ता।

पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र में सिर्फ सुनाना ही नहीं होता है, सुनना भी लोकतंत्र का हिस्सा होता है। लेकिन सालों तक उपदेश देने की आदत रही है उनकी, इसलिए बातें सुनने में उन्हें मुश्किल हो रही है।

 

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