पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बयान के बाद सियासी हंगामा, बीजेपी में तकरार बता रहा विपक्ष

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे लोकसभा चुनाव के बाद से पूरी तरह से साइलेंट चल रही थीं... उपचुनाव से ठीक पहले मुखर हो गई हैं....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे लोकसभा चुनाव के बाद से पूरी तरह से साइलेंट चल रही थीं… उपचुनाव से ठीक पहले मुखर हो गई हैं…. और बिना किसी का नाम लिए लगातार एक के बाद एक तीखे तीर छोड़ रही है… राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा राजे सीएम पद की तगड़ी दावेदार थी… लेकिन उनकी जगह भजन लाल शर्मा को सीएम बना दिया गया… जिसके बाद से वह नाराज चल रही थी…  और लोकसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा राजे ने केवल अपने बेटे की सीट पर ही चुनाव प्रचार किया था… और दूसरी सीटों पर चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया था… आपको बता दें कि पार्टी के द्वारा दरकिनार किए जाने के बाद से वसुंधरा राजे के तेवर बदले- बदले नजर आ रहें है… और राजे लगातार बिना नाम लिए अपनी पार्टी पर हमलावर रहती है…

आपको बता दें कि वसुंधरा राजे राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का मजबूत दावेदार थीं…. पार्टी ने पहले बगैर सीएम फेस के चुनाव लड़ने का ऐलान किया… और फिर जीत के बाद भजनलाल शर्मा को सरकार की कमान सौंप दी…. करीब 10 महीने पहले मुख्यमंत्री पद के लिए भजनलाल शर्मा के नाम का प्रस्ताव भी विधायक दल की बैठक में वसुंधरा राजे से ही रखवाया गया…. तब से ही वसुंधरा के सियासी करियर को लेकर कयासों का दौर चलता आया है… लेकिन पूर्व सीएम चुनाव के बाद से ही साइलेंट रहीं. वसुंधरा अब अचानक मुखर हो गई हैं…

और उन्होंने सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर के सम्मान में आयोजित अभिनंदन समारोह के दौरान कहा कि ओम माथुर चाहे कितनी ही बुलंदियों पर पहुंच गए लेकिन इनके पैर हमेशा जमीन पर ही रहते हैं…. इसीलिए इनके चाहने वाले भी असंख्य हैं…. वरना कई लोगों को पीतल की लौंग क्या मिल जाती है…. वे खुद को सर्राफ समझ बैठते हैं…. वहीं वसुंधरा राजे की इस टिप्पणी ने नई चर्चा को जन्म दे दिया है… वसुंधरा की इस टिप्पणी को कोई सीएम भजन से जोड़कर देख रहा है… तो कोई विधानसभा में विपक्ष के नेता रह चुके मदन राठौड़ से जोड़कर देख रहा है…

वहीं यह टिप्पणी किसके लिए थी… यह तो वसुंधरा ही जानें लेकिन बात इसे लेकर भी हो रही है कि चुनाव के बाद से साइलेंट चल रहीं वसुंधरा राजे अचानक मुखर क्यों हो गईं, क्यों तेवर दिखा रही हैं…. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि वसुंधरा राजे राजस्थान बीजेपी का पावर सेंटर हुआ करती थीं… लेकिन पिछले करीब एक साल में ही परिस्थितियों ने ऐसी करवट ली कि वह हाशिए पर चली गई हैं…. सत्ता परिवर्तन का असर कहें या क्या, जो नेता-विधायक पहले वसुंधरा की परिक्रमा करते नजर आते थे, अब दूरी बना रहे हैं…. उनकी यह टिप्पणी नेताओं के व्यवहार में खुद को लेकर आए बदलाव को लेकर निराशा बता रही है…. सरकार में नहीं तो संगठन में ही सही या फिर कोई…. और जिम्मेदारी, महारानी अब तेवर दिखा रही हैं… तो उसके पीछे अपना खोया सियासी वैभव पाने की कोशिश ही है….

बता दें कि एक पहलू यह भी है कि वसुंधरा राजे 71 साल की हो चुकी हैं…. बीजेपी की अघोषित नीति 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट देने से परहेज कर मार्गदर्शक मंडल में डाल देने की रही है… राजस्थान के अगले चुनाव तक वसुंधरा बीजेपी में एक्टिव पॉलिटिक्स से रिटायरमेंट की इस आयु सीमा तक पहुंच चुकी होंगी… वसुंधरा राजे के सामने अब आगे भी एक्टिव पॉलिटिक्स में प्रासंगिक बनाए रखने की चुनौती है…

आपको बता दें कि वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत भी सियासत में हैं…. दुष्यंत झालावाड़-बारां सीट से चौथी बार के सांसद हैं…. बीजेपी ने जब सीएम के लिए भजनलाल शर्मा का नाम आगे किया… और इसका प्रस्ताव खुद वसुंधरा से ही रखवाया गया…. ऐसा कहा जाने लगा कि पार्टी ने उन्हें दुष्यंत को लेकर जरूर कोई बड़ा आश्वासन दिया होगा…. वसुंधरा की राजनीति का मिजाज भी ऐसा नहीं रहा है… जिससे यह मान लिया जाता कि वह समर्पित सिपाही की तरह आलाकमान का हर फैसला ऐसे ही मान लेंगी…. लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में लगातार तीसरी बार मोदी सरकार बन गई लेकिन दुष्यंत खाली हाथ ही रहे…. चौथी बार के विधायक दुष्यंत मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने से भी वंचित ही रहे….

वसुंधरा राजे सिंधिया के तेवरों के पीछे यह भी एक फैक्टर हो सकता है कि… दुष्यंत का लोकसभा चुनाव में टिकट पक्का रहे…. दुष्यंत चार बार के सांसद हैं और अब जब पार्टी वसुंधरा की परछाई से बाहर निकलने की तरफ बड़े कदम बढ़ा चुकी है…. पूर्व सीएम को यह चिंता भी सता रही होगी कि कहीं चार बार की एंटी इनकम्बेंसी का हवाला देकर पार्टी उनके बेटे का टिकट ही न काट दे…… हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बेटे और यूपी की पीलीभीत सीट से सांसद रहे वरुण गांधी का टिकट काट दिया था….

लोकसभा चुनाव नतीजों में दिखी उम्मीद- 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अकेले दम पूर्ण बहुमत के आंकड़े को पार करने वाली बीजेपी हालिया लोकसभा चुनाव में 240 सीटें ही जीत सकी…. दोनों ही चुनावों में राजस्थान की सभी 25 सीटें जीत क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी को इस बार 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा…. बता दें कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सीटों पर पार्टी के कमजोर प्रदर्शन को भी वसुंधरा के लिए आपदा में अवसर की तरह बताया जा रहा है…..वहीं वसुंधरा राजे के बयान से भाजपा सबक लेती है… या फिर अपनी मन मर्जी के मुताबिक ध्रुवीकरण की राजनीति आगे भी करती है…

 

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