नीति आयोग पर भी झगड़ा ! कई मुख्यमंत्रियों ने किया बहिष्कार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन पर उठा बवाल अभी शांत नही हुआ था कुछ विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को नीति आयोग की बैठक शामिल न होने का फैसला करके सियासी घमासान और तेज कर दिया है। नीतिश कुमार ने जहां इस बैठक के औचित्य पर सवाल उठाया है वहीं भाजपा ने इसको लेकर कांगे्रस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
ज्ञात हो राजधानी के प्रगति मैदान में नए कन्वेंशन सेंटर में विकसित भारत 2047 टीम इंडिया की भूमिका विषय पर नीति आयोग की 8वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक हो रही है। इस बैठक की अध्यक्षता पीएम मोदी कर रहे हैं। हालांकि इस बैठक में सात राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए हैं। पीएम मोदी इस बैठक में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की जाति का हवाला देते हुए भडक़ाऊ बयान देने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई है। इन नेताओं पर आरोप है कि इन्होंने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को लेकर नए संसद भवन के उद्घाटन पर राष्ट्रपति की जाति को लेकर बयान दिया था जिसका उद्देश्य समुदायों व समूहों के बीच विद्वेष पैदा करना और भारत सरकार के खिलाफ माहौल खराब करने का प्रयास करना है। खबर है कि शिकायत दर्ज कर ली है। शिकायत में उनपर आरोप लगाया है कि उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की जाति का हवाला देते हुए अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अविश्वास पैदा किया है जो कि आईपीसी 121,153ए, 505 और 34 की धाराओं के तहत अरपाध है।

नीति आयोग की बैठक और उद्घाटन में शामिल होने का कोई मतलब नहीं : नीतीश कुमार

पटना। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक से भी दूरी बना ली है। शनिवार को नीतीश कुमार ने केंद्र की भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा कि सत्ता में बैठे लोग आजादी की लड़ाई के इतिहास को बदल देंगे। मुझे बहुत बुरा लग रहा है। सीएम नीतीश ने कहा कि नीति आयोग की बैठक और नए संसद भवन के उद्घाटन में शामिल होने का कोई मतलब नहीं था। नए संसद की क्या जरूरत थी। मैंने बार-बार कहा है कि सत्ता में बैठे लोग इस देश के इतिहास को बदल देंगे। इतिहास को भुला देंगे क्या। उन्होंने पूर्व निर्धारित व्यस्तताओं का हवाला देते हुए बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है। चर्चा है कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के बदले वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी को बैठक में शामिल होने के लिए अधिकृत किया है।

ये सीएम नहीं हुए शामिल

नीति आयोग की बैठक का जिन 8 मुख्यमंत्रियों ने बहिष्कार किया है उनमें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, तेलंगाना के सीएम केसीआर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया शामिल हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने काफी उहापोह के बाद शुक्रवार देर रात बैठक में आने का फैसला किया।

जनता का अहित कर रहे हैं विपक्षी नेता: रविशंकर प्रसाद

नई दिल्ली। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्षी नेता मोदी विरोध के चलते राज्य की जनता का नुकसान करने पर लगे हैं। भाजपा नेता ने कहा कि विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री जिन्होंने नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक को छोडऩे का फैसला किया है, वे अपने राज्यों के विकास का बहिष्कार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गवर्निंग काउंसिल की बैठक (जीसीएम) में 100 से अधिक मुद्दों पर चर्चा होती है और जिन राज्यों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा उसकी जनता को नुकसान होगा। रविशंकर ने कहा- नीति आयोग देश के विकास और योजनाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और इस बैठक में जो मुख्यमंत्री नहीं आए हैं वो अपने प्रदेश की जनता की आवाज यहां तक नहीं ला रहे हैं। गवर्निंग काउन्सिल की बैठक में महत्वपूर्ण चर्चा होती है, महत्वपूर्ण फैसले होते हैं और उसके बाद ये फैसले जमीन पर लागू होते हैं। बावजूद इसके भी ये मुख्यमंत्री क्यों नहीं आ रहे? मोदी विरोध में आप कहां तक जाएंगे? ये मुख्यमंत्री अपने प्रदेश की जनता का अहित क्यों कर रहे हैं?

नरसिम्हा राव के समय ही आया था प्रस्ताव : गुलाम नबी आजाद

श्रीनगर। बायकॉट को लेकर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के प्रमुख गुलाम नबी आजाद का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि सभी सांसदों को नए संसद भवन के निर्माण का स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वह दिल्ली में होते तो उद्घाटन समारोह में जरूर शामिल होंते। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नए संसद भवन के निर्माण का विचार सबसे पहले पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार के समय में रखा गया था, लेकिन बाद में यह ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कांग्रेस के पूर्व दिग्गज नेता ने कहा, यह (नए संसद भवन का निर्माण) अच्छी बात है। यह एक अच्छी संसद है। नरसिम्हा राव सरकार के दौरान भी ऐसा प्रस्ताव था, लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका। अब जब इसका निर्माण हो गया है, तो सभी सांसदों को इसका स्वागत करना चाहिए। मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है। विपक्ष को रिकॉर्ड समय में नई संसद बनाने के लिए सरकार की प्रशंसा करनी चाहिए, जबकि वे सरकार की आलोचना कर रहे हैं। मैं विपक्ष के इसका बहिष्कार करने के सख्त खिलाफ हूं।

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