राहुल की यात्रा ने दी कश्मीर कांग्रेस को बूस्टर खुराक, 17 नेताओं ने की घर वापसी
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं समेत 17 उनकी पार्टी छोडक़र वापस कांग्रेस में लौट आए। इन नेताओं में कश्मीर के पूर्व उप मुख्यमंत्री ताराचंद भी शामिल हैं। सभी की घर वापसी नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में हुई। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इन नेताओं का पार्टी में स्वागत किया। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष विकार रसूल वानी घर वापसी समारोह के दौरान मौजूद रहे। आजाद ने अपनी पार्टी, डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) बनाई है और जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेने के अपने फैसले की घोषणा की है। उनकी पार्टी बनने के कुछ ही समय के बाद बिखरने लगी है। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर वह अपनी पार्टी के नेताओं को रोकने में कामयाब नहीं हुए तो तो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक नया विकल्प देने का उनका सपना टूट जाएगा।
हालांकि एक सप्ताह पहले अचानक गुलाम नबी आजाद को लेकर चर्चा हुई थी कि वह कांग्रेस में वापसी कर रहे हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता पार्टी में उनकी वापसी के लिए सौहार्दपूर्ण फॉर्मूले के लिए पर्दे के पीछे काम कर रहे थे। हालांकि गुलाम नबी आवाज की कांग्रेस में वापसी को लेकर बात नहीं बनी लेकिन उनके कई वरिष्ठ नेता टूटकर वापस पार्टी में आ गए हैं।
हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनावों से पहले, आजाद ने कहा था कि केवल कांग्रेस ही बीजेपी से लड़ सकती है, आप नहीं, और तब दिग्विजय सिंह ने उन्हें भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। हाल ही में आजाद ने कश्मीरी पंडितों के मुद्दे पर बीजेपी से मतभेद जाहिर किया था।
तारचंद के अलावा, कांग्रेस के पाले में लौटने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में पूर्व मंत्री पीरजादा मोहम्मद सईद, पूर्व मंत्री डॉ. मनोहरलाल शर्मा, पूर्व विधायक बलवान सिंह और गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के जम्मू जिला अध्यक्ष विनोद शर्मा शामिल हैं। 17 नेताओं के अचानक टूटकर कांग्रेस में वापसी करने के बाद डीएपी को बड़ा झटका है वहीं कांग्रेस को फायदा हो सकता है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद 1996, 2002 और 2008 में लगातार तीन पर विधायक रहे हैं। वह खौर निर्वाचित क्षेत्र का प्रतिनिधत्व कहते हैं। वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वहीं डॉ. मनोहरलाल शर्मा भी जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री रह चुके हैं। बलवान सिंह भी पूर्व विधायक हैं। पीरजादा जम्मू- कश्मीर के पूर्व मंत्री रहे हैं। इसके अलावा वह 2003-07 से जम्मू-कश्मीर में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी थे।
जम्मू-कश्मीर विधानसबा चुनाव से पहले अपनी पार्टी बनाई तो कहा गया कि गुलाब नबी आजाद कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे। एक के बाद एक कई बड़े नेता कांग्रेस छोडक़र उनके साथ चले गए। अब गुलाम नबी आजाद की पार्टी छोडक़र कांग्रेस में जाने वाले नेताओं से पार्टी को फायदा होगा। जो नेता पार्टी में गए हैं, उनमें से कई ऐसे हैं, जिनका अपने इलाके में दबदबा है, अलग पहचान है। वहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी राज्य में पहुंच रही है। उससे पहले पार्टी नेताओं का वापसी करने से कांग्रेस को चुनाव में फायदा होगा।
पार्टी आलाकमान के साथ अपने मतभेदों के बाद आजाद ने अगस्त में इस्तीफा दे दिया था और राहुल गांधी को निशाना बनाया था। वह 1970 के दशक के मध्य में कांग्रेस में शामिल हुए थे और पार्टी और सरकार दोनों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पी.वी. नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री थे। वह 2005 से 2008 तक जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को संबोधित अपने त्याग पत्र में, आजाद ने कहा था, आप जानते हैं कि दिवंगत श्रीमती इंदिरा गांधी, स्वर्गीय श्री संजय गांधी से लेकर आपके दिवंगत पति सहित आपके परिवार के साथ मेरा बेहद करीबी रिश्ता था। उस भावना में, आपके लिए भी मेरे मन में बहुत व्यक्तिगत सम्मान है जो हमेशा जारी रहेगा।