मऊ सीट को लेकर राजभर- BJP में बढ़ा टकराव, टूट जाएगा NDA! 

हेट स्पीच मामले में दोषी ठहराए गए अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त होने के बाद मऊ सदर सीट खाली हो चुकी है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः हेट स्पीच में दोषी ठहराए जाने के बाद अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता निरस्त हो गई है…. जिसके चलते मऊ सदर सीट खाली हो चुकी है….. वहीं अब यहां उपचुनाव होना तय है…. जिसको लेकर अब बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि इस सीट से सुभासपा मैदान में उतरेगी या भाजपा……. वहीं मऊ सदर सीट को लेकर दावा दोनों ही पार्टी कर रही हैं….. और दोनों के तर्क भी अपने-अपने हैं…… दरअसल अब्बास अंसारी जब विधायक बने थे……. तब उनकी पार्टी सुभासपा- सपा के साथ गठबंधन में थी…… वहीं अब सुभासपा का गठबंधन भाजपा से है……. इससे स्थितियां बदल चुकी हैं…… वहीं आज हम बात करेंगे की  इस सीट पर दोनों दलों में किसका दावा मजबूत है…… और इस सीट पर राजनीतिक समीकरण क्या हैं….

2022 का विधानसभा चुनाव सुभासपा ने सपा के साथ गठबंधन में लड़ा था…….. तब सुभासपा के टिकट पर मऊ सदर सीट से अब्बास अंसारी चुनाव लड़े…. और वे दावा करते रहे हैं कि उन्हें सपा के कोटे से ये टिकट मिला था……. वहीं सपा से गठबंधन छोड़कर सुभासपा जब भाजपा के साथ आई…….. तब भी अब्बास यूपी सरकार के विरोध में ही मुखर रहे……. वह अक्सर सरकार के खिलाफ सपा मुखिया अखिलेश के पोस्ट को री-पोस्ट करते रहे….. वहीं लोकसभा 2024 के चुनाव में ये सीट समझौते के तहत सुभासपा को मिली थी…….. सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर भाजपा के सिंबल पर चुनाव में उतरे थे…….. सपा ने यहां से राजीव राय और बसपा ने बालकृष्ण चौहान को प्रत्याशी बनाया था…….

वहीं चुनाव परिणाम सपा उम्मीदवार राजीव राय के पक्ष में आया……. और उन्होंने अरविंद राजभर को 1.62 लाख वोटों के अंतर से हराया…….. राजीव राय को 5.03 लाख तो अरविंद को 3.40 लाख वोट मिले थे……. बसपा तीसरे स्थान पर रही……. उसे यहां 2.09 लाख वोट से संतोष करना पड़ा था…… वहीं अब उपचुनाव में भाजपा अपना प्रत्याशी इस आधार पर उतार सकती है कि उसने लोकसभा चुनाव में सुभासपा को मौका दिया था…… जानकारी के मुताबिक मऊ और गाजीपुर जिले भी सुभासपा का गढ़ माने जाते हैं…… लेकिन 2024 के लोकसभा में जिस तरह से सुभासपा प्रमुख के बेटे को हार देखनी पड़ी………. उससे ये संदेश भी निकला कि ओपी की राजभर सहित अन्य पिछड़ों पर पकड़ कमजोर हो रही है……

आपको बता दें कि घोसी उपचुनाव में भी ये दिख चुका है……. तब दारा सिंह चौहान बीजेपी प्रत्याशी और मंत्री के तौर पर मैदान में थे…….. सुभासपा के समर्थन के बावजूद उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था…….. दूसरी वजह ये भी है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाया था…….. वे दूसरे नंबर पर रहे थे……. अब्बास ने यह सीट 38,116 वोटों के अंतर से जीती थी…… तब अशोक सिंह को 86,575 वोट मिले थे……. वहीं बसपा के भीम राजभर भी 44 हजार के लगभग वोट ले गए थे……. बसपा का इतिहास रहा है कि वह अमूमन उपचुनाव नहीं लड़ती…….. ऐसे में राजभर वोटों के समर्थन से बीजेपी के अशोक सिंह उपचुनाव में तगड़ी चुनौती दे सकते हैं……..

बता दें कि उपचुनाव होने की हालत में मऊ सदर सीट से भाजपा के दावे के बीच सुभासपा के ओपी राजभर ने बड़ी हुंकार भरी है……. उनका साफ कहना है कि ये सीट मेरे विधायक की सदस्यता रद्द होने से खाली हुई है……… ऐसे में किसका दावा मजबूत है…… यह तो आने वाले दिनों में स्पष्ठ हो जाएगा….. जाहिर सी बात है अब्बास सुभासपा के विधायक थे……. वहीं अब उपचुनाव होगा तो सुभासपा ही यहां से प्रत्याशी उतारेगी…… जहां तक भाजपा के दावे की बात है तो गठबंधन में मिलकर निर्णय लिए जाते हैं…….. आपको बता दें कि उपचुनाव की सूरत में भी मऊ सदर सीट पर अंसारी परिवार से ही कोई न कोई प्रत्याशी होगा…….. सुभासपा की अभी तक की राजनीति में भी ये देखा गया है कि उन्हें हमेशा से अंसारी परिवार से समर्थन मिला है…….. ऐसे में वे अपनी पार्टी का प्रत्याशी उतारेंगे…… इसमें संदेह है……

बता दें कि मऊ में अंसारी परिवार के दबदबे से आज भी कोई इनकार नहीं कर सकता……… बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी यहां से 5 बार विधायक रहे……… उनके जेल जाने के चलते 2022 में अब्बास अंसारी ने यहां से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की……. अंसारी परिवार को मऊ में हमेशा से ही अशोक सिंह की ओर से चुनौती पेश की जाती रही है……. लगभग डेढ़ दशक से वे अंसारी परिवार से मोर्चा ले रहे हैं……. अशोक सिंह ने न सिर्फ माफिया मुख्तार अंसारी……. और उसके परिवार के आतंक के खिलाफ मोर्चा खोला……. बल्कि तमाम सामाजिक-राजनीतिक दबावों के बावजूद कभी पीछे नहीं हटे…..

जिस तरह से प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में माफियाओं के खिलाफ व्यापक अभियान चल रहा है…….. उसे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में भी उत्साह है कि इस बार उपचुनाव में वे इस सीट पर अंसारी परिवार का वर्चस्व समाप्त करके ही दम लेंगे…… यही कारण है कि अभी से भाजपा कार्यकर्ताओं में अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने की पुरजोर मांग की गई है…….. हालांकि पूरी तरह से गेंद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के पाले में है…….. भाजपा इस सीट पर उपचुनाव की सूरत में खुद का प्रत्याशी उतारेगी या गठबंधन के तहत सुभासपा को इस सीट पर प्रत्याशी उतारने देगी……

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार बिहार चुनाव से पहले की मऊ में उपचुनाव कराने की रणनीति में जुटी है……. यही कारण है कि सरकार ने इस सीट को रिक्त घोषित करने में गजब की तेजी दिखाई है…….. शनिवार को जैसे ही अब्बास अंसारी को सजा मिली……… सरकार तुरंत हरकत में आ गई…….. संभावना जताई जा रही थी कि अब्बास इस सजा के खिलाफ सोमवार को हाईकोर्ट में अपील कर सकते है……. अगर वह सजा पर स्टे हासिल कर लेते तो सरकार इस सीट को रिक्त नहीं घोषित करा पाती……. यही वजह रही कि सरकार ने एक दिन पहले यानी रविवार को ही उसकी विधानसभा सदस्यता समाप्त करते हुए सीट रिक्त घोषित करने का आदेश जारी करा दिया…….

आपको बता दें कि विधानसभा की ओर से सीट रिक्तता की सूचना भारत निर्वाचन आयोग को भेज दी गई है……. वहीं अब आयोग यहां उपचुनाव की तारीख घोषित करेगी……. आयोग यहां बिहार विधानसभा चुनाव के साथ भी उपचुनाव करा सकती है……. या फिर इसके पहले भी उपचुनाव घोषित कर सकती है…….. विधि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अब्बास को हाईकोर्ट से सजा पर स्टे मिलता है…… तो उपचुनाव रुक सकता है…… हाईकोर्ट को स्टे आदेश में इसका भी स्पष्ट उल्लेख करना होगा……. वहीं अगर उपचुनाव होता है तो यूपी में मऊ एकमात्र ऐसा जिला होगा……… जहां पर 5 साल में दो विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होगा…….. इससे पहले घोसी सीट पर उपचुनाव हुआ था……. जिसमें बीजेपी हार गई थी……

हेट स्पीच की बात 3 मार्च 2022 की है……. जब अब्बास ने मऊ के पहाड़पुर मैदान में चुनावी रैली की……. इस दौरान उन्होंने कहा कि यहां पर जो आज डंडा चला रहे हैं…… अगले मुख्यमंत्री होने वाले अखिलेश भैया से कहकर आया हूं…….. सरकार बनने के बाद छह महीने तक कोई तबादला और तैनाती नहीं होगी…… जो हैं वह यहीं रहेगा…… जिस-जिस के साथ जो-जो किया है……. उसका हिसाब किताब यहां देना पड़ेगा……

 

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