टीचर्स ट्रेनिंग पर आप और उपराज्यपाल में रार: ‘दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहे हैं एलजी’
- टीचरों को ट्रेनिंग पर फिनलैंड भेजना चाहती है आप सरकार
- दिल्ली विधानसभा में भी जबरदस्त हंगामा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली की आप सरकार ने अध्यापाकों को फिनलैंड ट्रेनिंग पर भेजे जाने पर एलजी के रोक संबंधी आदेश पर आपत्ती जताते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जहां आप ने विधान सभा में इस मामले को उठाते हुए इसे गलत बताया है, वहीं सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी इसे असंवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास पब्लिक ऑर्डर, लैंड और पुलिस का अधिकार है, इसके अलावा कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने कहा ऐसे में दिल्ली सरकार के खर्च पर फिनलैंड अध्यापकों को टे्रनिंग भेजने से रोकना उचित नहीं है। सीएम ने कहा कि एलजी दिल्ली की जनता द्वारा चुनी गई सरकार को काम नहीं करने दे रहे है। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के बच्चों क ो अच्छी शिक्षा देने के लिए सरकार ने अपने टीचरों को वहां भेजन का फैसला किया है। एलजी के इस कदम के खिलाफ आप ने मार्च करके विरोध जताया।
संविधान और सुप्रीम कोर्ट को मानें एलजी साहब : केजरीवाल
दिल्ली सरकार के काम में एलजी द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के विरोध में मार्च कर रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पत्रकारों से बातचीत में कई बातें कहीं। उन्होंने कहा, मैं सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर लेकर आया हूं। सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि एलजी स्वतंत्र रूप से कोई फैसला नहीं ले सकते। आज दिल्ली के मुख्यमंत्री और विधायकों को एलजी हाउस सिर्फ इस चीज के लिए जाना पड़ रहा है, क्योंकि वह शिक्षकों को फिनलैंड जाने की मांग कर रहे हैं। ये कोई बड़ी मांग नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि एलजी साहब को गलती का अहसास होगा। एलजी साहब ने दिल्ली में योगा क्लास रोक दी, इससे उन्हें क्या फायदा।
कल तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित
तीसरी बार बैठक शुरू होने के बाद फिर आप विधायकों ने हंगामा शुरू किया, वहीं दूसरी ओर भाजपा विधायक भी प्रदूषण के मामले में हंगामा कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष की बात दोनों पक्षों के विधायकों ने नहीं सुनी जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी।
भाजपा विधायक सदन में ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ पहुंचे
भाजपा विधायक अभय वर्मा दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढऩे के विरोध में सदन के अंदर ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर पहुंचे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने उनको सिलेंडर बाहर ले जाने के निर्देश दिए। इसके विरोध में वर्मा महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि दिल्ली के शिक्षक ट्रेनिंग के लिए फिनलैंड जाएं, तो एलजी को रोकने की पावर नहीं है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट और संविधान को मानना चाहिए।
मनीष सिसोदिया, उपमुख्यमंत्री, दिल्ली
जोशीमठ संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जोशीमठ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। तीन जजो की पीठ सोमवार को दो बजे इसकी सुनवाई करेगी। उत्तराखंड का जोशीमठ इन दिनों सुर्खियों में है, यहां की जमीन धंस रही है जिसके चलते सैकड़ों घरों में दरारें आ गई हैं, अभी तक 148 भवनों को अनसेफ चिन्हित करते हुए इसे रहने योग्य नहीं माना था। जोशीमठ को राष्ट्रीय आपदा घोषित किए जाने की मांग उठ रही।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जोशीमठ संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस याचिका को 16 जनवरी को सूचीबद्ध किया गया था। याचिका को लेकर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, पीएस नरसिंह और जेपी पारदीवाला की पीठ में सुनवाई हुई। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जनहित याचिका दायर कर जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि प्रभावित लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजा दिया जाना चाहिए।
सुनवाई से किया था इनकार
इसके पहले 10 जनवरी को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के वकील ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया था। जिसे सर्वोच्च अदालत ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि देश में स्थिति से निपटने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी गईं संस्थाएं हैं और सभी मामले उसके पास नहीं आने चाहिए। कोर्ट ने 16 जनवरी को याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की थी। याचिकाकर्ता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जोशीमठ में आई आपदा के लिए क्षेत्र में तेजी से हो रहे औद्योगीकरण को जिम्मेदार ठहराया है। इसके साथ ही उन्होंने वित्तीय सहायता देने की मांग भी की है। याचिका में कहा गया है कि ऐसे किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है जो मानव जीवन और उसकी पारिस्थितिकी को संकट में डालता है। केंद्र और राज्य सरकारों का कर्तव्य है कि वे ऐसी स्थिति को तुरंत रोकें।