चौथे दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ा संसद का सत्र

  • लोकसभा व राज्यसभा की कार्रवाई दो बजे तक स्थगित

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। विपक्ष के हंगामें के बाद लोकसभा की कार्यवाही चौथे दिन हंगामें के बाद सोमवार तक लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले शुक्रवार को भी अदाणी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी दल मामले की जांच की मांग पर अड़े हुए हैं। इसी मांग को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया। हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई है। उधर आज सुबह 10 बजे विपक्षी दलों ने बैठक की थी। बैठक में सरकार को घेरने की रणनीति बनाई गई।
राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। विपक्ष के हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित की गई थी। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चीन के साथ सीमा की स्थिति पर चर्चा के लिए लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने चर्चा के लिए राज्यसभा में नियम 267 के तहत नोटिस दिया।

निराधार दावे न करें : ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने  विपक्ष से कहा कि वह निराधार दावे न करें और सदन को चलने दें। प्रश्नकाल संसदीय कार्यवाही का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे बाधित नहीं किया जाना चाहिए।

जेपीसी जांच की मांग पर अड़ा विपक्ष

विपक्ष इस पर जांच की मांग कर रहा है। विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से मामले की जांच कराने की मांग पर अड़े हुए हैं। कांग्रेस 6 फरवरी को देशभर में एलआईसी और एसबीआई के कार्यालयों के सामने प्रदर्शन करेगी।

आरबीआई ने मांगी रिपोर्ट

इस बीच, आरबीआई ने सभी बैंकों से कहा है कि उनकी तरफ से अदाणी समूह की विभिन्न कंपनियोंको कितना कर्ज दिया गया है, इसका पूरा लेखा जोखा उसके समक्ष रखें। आरबीआई यह जानना चाहता है कि एक कॉरपोरेट हाउस में वित्तीय कंपनियों की तरफ से किए जाने वाल निवेश या कर्ज आवंटन में नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया गया है। सेबी भी पूरे मामले पर नजर रखे हुए है।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी कूदीं

कोलकाता। अमेरिका की हिंडनबर्ग रिसर्च एजेंसी द्वारा जाने-माने उद्योगपति गौतम अदाणी पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा गड़बड़ी के आरोप लगाने के बाद अब इसपर सियासत भी तेज हो गई है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की चर्चित नेता महुआ मोइत्रा ने अदाणी परिवार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अदाणी परिवार और सेबी अधिकारियों के बीच सांठगांठ हैं इसलिए मनमाने तरीके से सबकुछ किया गया। उन्होंने कहा कि सेबी की समिति में अदाणी के रिश्तेदार भी काम करते हैं जिससे इस तरह की हेराफेरी को अंजाम दिया गया। महुआ मोइत्रा ने कहा कि अदाणी के समधी मशहूर वकील सिरिल श्रॉफ सेबी की समिति में काम करते हैं। महुआ ने कहा कि सिरिल श्रॉफ की बेटी की शादी उद्योगपति गौतम अदाणी के बेटे से हुई है।

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री सेंसर मामले में केंद्र से मांगा जवाब

  • तीन हफ्तों में दे जवाब, अप्रैल में होगी सुनवाई

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को सेंसर करने से रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई अप्रैल में होगी। वरिष्ठ पत्रकार एन राम, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और एडवोकेट प्रशांत भूषण की ओर से वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह एक ऐसा मामला है, जहां सार्वजनिक डोमेन में आदेश दिए बिना आपातकालीन शक्तियां लागू की गईं। उन्होंने बताया कि डॉक्यूमेंट्री के लिंक शेयर करने वाले ट्वीट ब्लॉक कर दिए गए हैं। बता दें कि इससे पहले शीर्ष अदालत ने 30 जनवरी को कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी अगले सोमवार को सुनवाई करेगी।

21 जनवरी को केंद्र्र ने लगाया था बैन

बता दें कि 21 जनवरी को केंद्र सरकार ने विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री इंडिया : द मोदी क्वेश्चन को देश में प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, कई शिक्षण संस्थानों में छात्र संगठनों ने डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन को लेकर हंगामा किया है, जिस पर विवाद की स्थिति भी पैदा हुई है।

प्रतिबंध हटाने की थी मांग

सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि बीबीसी की डॉक्युमेंट्री में दिखाई गई सच्चाई से सरकार डर गई है। याचिका में कहा गया कि ये बैन द्वेषपूर्ण और मनमाना होने के साथ-साथ असंवैधानिक है। एक याचिका में तर्क दिया गया कि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से निर्धारित किया है कि सरकार या उसकी नीतियों या यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की आलोचना संप्रभुता का उल्लंघन करने के समान नहीं है।

किरेन रिजिजू ने की थी तल्ख टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर केंद्रीय कानून मंत्री ने तल्ख टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि इस तरह ये लोग माननीय सर्वोच्च न्यायालय का कीमती समय बर्बाद करते हैं, जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए तारीखों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बता दें कि पत्रकार एन राम, एडवोकेट प्रशांत भूषण, TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

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