गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी नहीं करती हैं सबा नकवी

4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। विवादास्पद बयान के मामले में बढ़ते अंतरराष्टï्रीय दबाव के बीच दिल्ली पुलिस ने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर एफआईआर दर्ज की है लेकिन इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार सबा नकवी पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। सवाल यह है कि पत्रकारों के खिलाफ दमन की ये कार्रवाई कब तक जारी रहेगी? इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार समीरात्मज मिश्र, सैयद कासिम, सुशील दुबे, उमाकांत लखेड़ा, प्रो. रविकांत और अभिषेक कुमार के साथ एक लंबी परिचर्चा की।
समीरात्मज मिश्र ने कहा अभिव्यक्ति की स्वत्रतंता है। बावजूद खबरें लिखने के बाद कइयों के खिलाफ एफआईआर हुई है। सबा नकवी ने ट्वीट नहीं बल्कि रिट्वीट किया था। किसी की भावना भड़क रही है, वो जाकर एफआईआर दर्ज करा देता है मगर कोर्ट तय करता है क्या सही क्या गलत है। उमाकांत लखेड़ा ने कहा, सबा नकवी मामले में टिप्पणी नहीं है और हाल की घटनाओं में तो बिल्कुल नहीं है। गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी वे कभी करती ही नहीं। दिल्ली पुलिस व सरकार सॉफ्ट टारगेट ढूढ़ते हैं। उसके खिलाफ एफआईआर कर दूसरे लोगों को भी डराने का काम करते हैं। प्रो. रविकांत ने कहा, पुलिस की जो भूमिका है, कई बार संदेहास्पद हो जाती है। आज जिस तरह से पुलिस तंत्र चल रहा है उसे ऊपर से निर्देश आते हैं, वहीं करना है। उनके पास कानून का विवेक नहीं है। एफआईआर दर्ज करने से पहले विवेचना होनी चाहिए, पूछताछ होनी चाहिए, मगर ऐसा नहीं है। सुशील दुबे ने कहा, पूर्वांचल की नमक रोटी की खबर छापने वाला पत्रकार कैंसर से मर जाता है, उसकी खबर रोक दी जाती है। उन्नाव व कानपुर देहात में पत्रकारों के साथ दुव्र्यवहार किया गया। इससे आत्मा दुखती है। देश के गद्ïदारों को गोली मारो जैसे कहने वाले लोग मंत्री बन जाते हैं तो देश की आत्मा दुखती है। लिंचिंग के नाम पर एक बेकसूर को मार दिया जाता तो आत्मा दुखती है।
सैयद कासिम ने कहा, सबा नकवी ने बीजेपी, संघ व अटल बिहारी जैसे लोगों को कवर किया तो भी इस मुल्क में उन पर एफआईआर दर्ज हुई। नुपुर पर एफआईआर दर्ज होने में इतना दिन लग गया मगर सुरक्षा मिलने में एक दिन भी नहीं लगा तो क्या कहा जाए?

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